!! बालक और उसकी ईमानदारी !!
प्रतापगढ़ के एक छोटे से गांव में नंदू नाम का एक बालक अपने निर्धन माता-पिता के साथ रहता था। एक दिन दो भाई अपनी फसल
प्रतापगढ़ के एक छोटे से गांव में नंदू नाम का एक बालक अपने निर्धन माता-पिता के साथ रहता था। एक दिन दो भाई अपनी फसल
सुंदर नगर में एक सेठ रहते थे। उनमें हर गुण था- नहीं था तो बस खुद को संयत में रख पाने का गुण। जरा-सी बात
एक व्यक्ति के बारे में मशहूर हो गया कि उसका चेहरा बहुत मनहूस है। लोगों ने उसके मनहूस होने की शिकायत राजा से की। राजा
एक वैद्य गुरु गोविंद सिंह के दर्शन हेतु आनन्दपुर गया। वहां गुरुजी से मिलने पर उन्होंने कहा कि जाओ और जरूरतमंदों को सेवा करो। वापस
एक नगर में एक शीशमहल था। महल की हरेक दीवार पर सैकड़ों शीशे जडे़ हुए थे। एक दिन एक गुस्सैल कुत्ता महल में घुस गया।
एक सम्राट का एक नौकर था, नाई था उसका। वह उसकी मालिश करता, हजामत बनाता। सम्राट बड़ा हैरान होता था कि वह हमेशा प्रसन्न, बड़ा
एक महान विद्वान से मिलने के लिये एक दिन रोशनपुर के राजा आये। राजा ने विद्वान से पुछा, ‘क्या इस दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति
एक बार एक मोर था जो बहुत सुन्दर था, उसके पंख बेहद खूबसूरत थे। एक दिन खूब झम–झम बारिश हुई और मोर नाचने लगा। नाचते
मोहित एक Runner था, इसका सपना ओलंपिक में जाना था। वह हर मैराथन में हिस्सा लेता था । लेकिन आज तक कोई भी मैराथन पूरा
एक प्रसिद्ध राजा हुआ करते थे जिनका नाम रामधन था। अपने नाम की ही तरह प्रजा सेवा ही उनका धर्म था। उनकी प्रजा भी उन्हें
पुराने समय में एक व्यक्ति बहुत आलसी था। वह कोई काम नहीं करता, बस इधर-उधर से किसी तरह खाने की व्यवस्था कर लेता था। एक
एक बच्चा प्रतिदिन अपने दादा जी को सायंकालीन पूजा करते देखता था। बच्चा भी उनकी इस पूजा को देखकर अंदर से स्वयं इस अनुष्ठान को
एक बार एक राजा ने फैसला लिया कि वह प्रतिदिन 100 अंधे लोगों को खीर खिलाया करेगा। एक दिन खीर वाले दूध में सांप ने
एक गुरु के दो शिष्य थे। एक पढ़ाई में बहुत तेज और विद्वान था और दूसरा फिसड्डी। पहले शिष्य की हर जगह प्रसंशा और सम्मान
किसी जंगल में एक शेर रहता था जिससे सभी पशु-पक्षी बहुत डरते थे। शेर रोज किसी एक जानवर को मार कर अपना पेट भरता था।
एक बार एक संत महाराज किसी काम से एक कस्बे में पहुंचे। रात्रि में रुकने के लिए वे कस्बे के एक मंदिर में गए। लेकिन
किसी गाँव में एक किसान को बहुत दूर से पीने के लिए पानी भरकर लाना पड़ता था. उसके पास दो बाल्टियाँ थीं जिन्हें वह एक
एक बार धार्मिक विषयों के मर्मज्ञ साहित्यकार भक्त रामशरण दास को विनोबा जी द्वारा लिखित गीता प्रवचन पढ़ने को मिला। रामशरणजी किसी भी पुस्तक को
एक छोटी सी अच्छी आदत आपकी सोच बदल सकती हैं, और सभी बाधाएं दूर हो सकती हैं। एक प्रचलित कथा के अनुसार पुराने समय में
एक घर में दो भाई रहते थे। छोटी उम्र में ही उनके माता और पिता की मृत्यु हो गई थी। इस भरी विपत्ति को सहते
दिन का समय था। मिर्जा गालिब ने शेरवानी उठाई और मस्जिद की ओर चल दिये। मार्ग में एक सायेदार वृक्ष देखा। वे सुस्ताने के लिए
पुराने समय में किसी शहर में एक जौहरी रहता था, उसकी असमय मृत्यु हो गई। उसके परिवार में पत्नी और उसका एक बेटा था। जौहरी
एक ग्रामीण था। वह अनपढ़ था। वह पढ़ना-लिखना नहीं जानता था। उन्होंने अक्सर लोगों को किताबें या पेपर पढ़ने के लिए चश्मा पहना हुआ देखा
एक दिन कॉलेज में प्रोफेसर ने विद्यर्थियों से पूछा, कि इस संसार में जो कुछ भी है उसे भगवान ने ही बनाया है न ?
एक ग्रामीण था। वह अनपढ़ था। वह पढ़ना-लिखना नहीं जानता था। उन्होंने अक्सर लोगों को किताबें या पेपर पढ़ने के लिए चश्मा पहना हुआ देखा
बहुत समय पहले की बात है, जब सिकंदर अपने शक्ति के बल पर दुनिया भर में राज करने लगा था। वह अपनी शक्ति पर इतना
एक व्यक्ति ऑटो से रेलवे स्टेशन जा रहा था। ऑटो वाला बड़े आराम से ऑटो चला रहा था। एक कार अचानक ही पार्किंग से निकलकर
राज ज्योतिषी ने राजा वसुसेना की श्रद्धा ज्योतिष पर बहुत जमा दी थी। वे बिना मुहूर्त जाने कोई काम ही नहीं करते थे शत्रुओं को
एक बार भगवान बुद्ध के दो शिष्य उनसे मिलने जा रहे थे । पूरे दिन का सफर था । चलते-चलते रास्ते में एक नदी पड़ी
एक राजा की पुत्री के मन में वैराग्य की भावनाएं थीं। जब राजकुमारी विवाह योग्य हुई तो राजा को उसके विवाह के लिए योग्य वर
सुन्दरलाल एक धनी व्यापारी था। इसलिए नौकर-चाकरों की तो कमी थी नहीं। धीरे-धीरे उसने अपना सारा कार्य नौकरों पर ही छोड़ दिया और खुद कामचोर
एक बार गाँव के दो व्यक्तियों ने शहर जाकर पैसे कमाने का निर्णय लिया. शहर जाकर कुछ महीने इधर-उधर छोटा-मोटा काम कर दोनों ने कुछ
मैं किसी आफिस काम के लिए फ्लाइट से बैंगलोर से मुम्बई जा रहा था। यह विमान का इकोनॉमी क्लास था। जैसे ही मैं प्लेन में
एक समय की बात है। एक राजा घने जंगल में भटक गया। कई घंटों के बाद वह प्यास से व्याकुल होने लगा। तभी उसकी नजर
गाँधी जी एक बार अपनी यात्रा पर निकले थे. तब उनके साथ उनके एक अनुयायी आनंद स्वामी भी थे. यात्रा के दौरान आनंद स्वामी की
एक खेत में कुछ मजदूर काम कर रहे थे। एक गहनता काम करने के बाद वे बैठकर आपस में गप्पें मारने लगे। यह देखकर खेत
एक राजा थे। वन-विहार को निकले। रास्ते में प्यास लगी। नजर दौड़ाई एक अन्धे की झोपड़ी दिखी। उसमें जल भरा घड़ा दूर से ही दिख
एक गाँव था जिसका नाम मायापुर था। और गाँव की सुंदरता का तो कुछ कहना ही नहीं था। क्योंकि उस गांव के किनारे ही एक
एक संत भिक्षा में मिले अन्न से अपना जीवत चला रहे थे। वे रोज अलग-अलग गांवों में जाकर भिक्षा मांगते थे। एक दिन वे गांव
बात उस समय की है, जब स्वामी विवेकानंद अपने लोकप्रिय शिकागो धर्म सम्मेलन के भाषण के बाद भारत वापस आ गये थे। अब उनकी चर्चा
पुराने जमाने में एक शहर में दो ब्राह्मण पुत्र रहते थे, एक गरीब था तो दूसरा अमीर। दोनों पड़ोसी थे। गरीब ब्राह्मण की पत्नी उसे
एक राजा था जिसे चित्रकला से बहुत प्रेम था। एक बार उसने घोषणा की कि जो कोई भी चित्रकार उसे एक ऐसा चित्र बना कर
एक बार गुरू ने अपने शिष्य को समझाते हुए, आम के पेंड की कहानी सुनाई – एक आम का वृक्ष था जिसमें ढ़ेर सारे आम
एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी स्टेशन पर उतरा। उसनेँ एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे साईँ बाबा के मंदिर जाना
एक बगीचे में एक बाँस का झुरमुट था और पास ही आम का वृक्ष उगा खड़ा था। ऊँचाई में बाँस ऊपर था और आम नीचा।
एक समय की बात है। एक राजा घने जंगल में भटक गया। कई घंटों के बाद वह प्यास से व्याकुल होने लगा। तभी उसकी नजर
बहुत समय पहले की बात है। आदि शंकराचार्य और मंडन मिश्र के बीच सोलह दिन तक लगातार शास्त्रार्थ चला। शास्त्रार्थ में निर्णायक थीं- मंडन मिश्र
राजा पृथु एक दिन सुबह-सुबह घोड़ों के तबेले में जा पहुँचे। तभी वहाँ एक साधु भिक्षा मांगने आ पहँचा। सुबह-सुबह साधु को भिक्षा मांगते देख
एक युवक ने विवाह के बाद दो साल बाद परदेस जाकर व्यापार की इच्छा पिता से कही’ पिता ने स्वीकृति दी तो वह अपनी गर्भवती
बुराई की ऊपरी कांट-छांट से वह नहीं मिटती, उसे तो उसकी जड़ से मिटाना होता है। जब तक जड़ को नष्ट नहीं किया जाएगा तब