“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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दृढ़ निश्चय

एक बार एक संत महाराज किसी काम से एक कस्बे में पहुंचे। रात्रि में रुकने के लिए वे कस्बे के एक मंदिर में गए। लेकिन वहां उनसे कहा गया कि वे इस कस्बे का कोई ऐसा व्यक्ति ले आएं, जो उनको जानता हो। तब उन्हें रुकने दिया जाएगा।

उस अनजान कस्बे में उन्हें कौन जानता था ? दूसरे मंदिरों और धर्मशालाओं में भी वही समस्या आयी। अब संत महाराज परेशान हो गए। रात काफी हो गयी थी और वे सड़क किनारे खड़े थे। तभी एक व्यक्ति उनके पास आया।

उसने कहा, “मैं आपकी समस्या से परिचित हूँ। लेकिन मैं आपकी गवाही नहीं दे सकता। क्योंकि मैं इस कस्बे का नामी चोर हूँ। अगर आप चाहें तो मेरे घर पर रुक सकते हैं। आपको कोई परेशानी नहीं होगी।

संत महाराज बड़े असमंजस में पड़ गए। एक चोर के यहां रुकेंगे। कोई जानेगा तो क्या सोचेगा ? लेकिन कोई और चारा भी नहीं था। मजबूरी में वो यह सोचकर उसके यहां रुकने को तैयार हो गए कि कल कोई दूसरा इंतजाम कर लूंगा।

चोर उनको घर में छोड़कर अपने काम यानी चोरी के लिए निकल गया। सुबह वापस लौट कर आया तो बड़ा प्रसन्न था। उसने स्वामी जी को बताया कि आज कोई दांव नहीं लग सका। लेकिन अगले दिन जरूर लगेगा।

चोर होने के बावजूद उसका व्यवहार बहुत अच्छा था। जिसके कारण संत महाराज उसके यहां एक महीने तक रुके। वह प्रत्येक रात को चोरी करने जाता। लेकिन पूरे माह उसका दांव नहीं लगा। फिर भी वह प्रसन्न था। उसे दृढ़ विश्वास था कि आज नहीं तो कल मेरा दांव जरूर लगेगा। पूरे एक माह बाद उसे एक बड़ा मौका हाथ लगा।

महात्मा जी ने सोचा कि यह चोर कितना दृढ़निश्चयी है। इसे अपने ऊपर अटूट विश्वास है। जबकि हम लोग थोड़ी सी असफलता से विचलित हो जाते हैं। अगर इसकी तरह दृढ़ निश्चय और विश्वास हो तो सफलता निश्चित मिलेगी।

Moral- यह प्रेरक प्रसंग हमें सिखाता है कि हमें असफलताओं से विचलित और निराश नहीं होना चाहिये। दृढ़ निश्चय और निरंतर प्रयास से सफलता अवश्य मिलती है।

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