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An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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 आचार्य विनोबा भावे जन्मदिवस 🌸महत्वपूर्ण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय दिवस🌸प्रेरक प्रसंग  !! दर्जी की सीख !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! वास्तविक चरित्र !!🌸प्रेरक प्रसंग !! प्रकृति की नियति !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! दया पर संदेह !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! चूहे दानी !!🌸प्रेरणा प्रसंग अविद्या क्या है!🌸प्रेरक प्रसंग  !! राजा की चिंता !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! दूसरों के पीछे मत भागो !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! बुद्धिमत्ता की परीक्षा !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! तीन मूर्तियाँ !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! मधुर व्यवहार !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! समस्या !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! एक रुपये का सिक्का !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! पेड़ों की समस्या !!🌸 प्रेरक प्रसंग  !! बूढ़े गिद्ध की सलाह !!🌸प्रेरक प्रसंग  !! मानव चरित्र !!🌸प्रेरक प्रसंग  : परख !!🌸प्रेरणा प्रसंग : जैसा खाओ अन्न, वैसा होवे मन

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उचित विश्राम

दिन का समय था। मिर्जा गालिब ने शेरवानी उठाई और मस्जिद की ओर चल दिये। मार्ग में एक सायेदार वृक्ष देखा। वे सुस्ताने के लिए बैठ गये। शेरवानी एक टहनी पर लटका दी। थके-मांदे तो थे ही, झपकी आ गयी। उधर एक रात का शरीफ अर्थात् चोर आया। उसने देखा कि मुसाफिर बेखबर सोया पड़ा है, इसलिए शेरवानी उतारकर चलता बना।

मिर्जा की नींद खुली तो क्या देखते हैं कि कोई रात का शरीफ दिन में ही उनकी शेरवानी उड़ा ले गया। वे मुस्कुराये और बेसाख्ता उनके मुँह से निकल. गया

न लुटता दिन को तो कब रात में, मैं बेखबर सोता,

रहा खटका न चोरी का दुआ देता हूँ, रहजन को।

अर्थात् ईश्वर! तू चोर की उम्र लंबी कर, उसने मुझे दिन में लूट ही लिया है। अब कम-से-कम रात को तो पैर फैलाकर सोऊँगा। मिर्जा गालिब ने अपने नुकसान की चिंता नहीं की, बल्कि संतोष व्यक्त किया कि रात को आराम से विश्राम कर सकेंगे। जीवन में लाभ-हानि तो होते ही रहते हैं, वह सब अपनी जगह है, लेकिन विश्राम करना अर्थात् रात के समय सोना या कठिन परिश्रम के बाद थोड़ा विश्राम लेना। अपनी जगह रात्रि या थकावट के बाद की घड़ियां बनाई ही विश्राम के लिए हैं। इसलिए यदि उन्नति करनी है, तो मेहनत के साथ-साथ उचित निद्रा व विश्राम का भी आनंद लें। व्यर्थ की चिंताएं न करके अपने विश्राम के अधिकार को न खोएं।

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