“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

Latest Post -:

Daily Current Affairs, News Headlines 08.05.2024🌸Daily Current Affairs, News Headlines 07.05.2024🌸Daily Current Affairs, News Headlines 06.05.2024🌸Daily Current Affairs, News Headlines 05.05.2024🌸Automobile Full Forms List🌸MCQs on Sikkim🌸MCQs on Sikkim🌸Biology MCQs🌸GENERAL SCIENCE QUESTION AND ANSWERS🌸Famous Personalities MCQ for All Competitive Exams🌸Cold solstice or winter solstice | शीत अयनांत या विंटर सोलेस्टाइस 🌸International Human Unity Day | अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस 🌸Goa Liberation Day | गोवा मुक्ति दिवस 🌸Ramprasad Bismil, Ashfaq Ullah Khan, Thakur Roshan Singh Martyrdom Day | रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह  बलिदान दिवस🌸Minority Rights Day | अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 🌸International Migrant Day | अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस 🌸Victory Day | विजय दिवस 🌸 Kendriya Vidyalaya Sangathan (KVS) Foundation Day |  केन्द्रीय विद्यालय संगठन (KVS) स्थापना दिवस 🌸Sardar Vallabhbhai Patel | सरदार वल्लभ भाई पटेल🌸Ramanand Sagar | रामानन्द सागर 

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

 

An Initiative by: Kausik Chakraborty.
Daily Current Affairs, News Headlines 08.05.2024🌸Daily Current Affairs, News Headlines 07.05.2024🌸Daily Current Affairs, News Headlines 06.05.2024🌸Daily Current Affairs, News Headlines 05.05.2024🌸Automobile Full Forms List🌸MCQs on Sikkim🌸MCQs on Sikkim🌸Biology MCQs🌸GENERAL SCIENCE QUESTION AND ANSWERS🌸Famous Personalities MCQ for All Competitive Exams🌸Cold solstice or winter solstice | शीत अयनांत या विंटर सोलेस्टाइस 🌸International Human Unity Day | अंतरराष्ट्रीय मानव एकता दिवस 🌸Goa Liberation Day | गोवा मुक्ति दिवस 🌸Ramprasad Bismil, Ashfaq Ullah Khan, Thakur Roshan Singh Martyrdom Day | रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, ठाकुर रोशन सिंह  बलिदान दिवस🌸Minority Rights Day | अल्पसंख्यक अधिकार दिवस 🌸International Migrant Day | अंतरराष्ट्रीय प्रवासी दिवस 🌸Victory Day | विजय दिवस 🌸 Kendriya Vidyalaya Sangathan (KVS) Foundation Day |  केन्द्रीय विद्यालय संगठन (KVS) स्थापना दिवस 🌸Sardar Vallabhbhai Patel | सरदार वल्लभ भाई पटेल🌸Ramanand Sagar | रामानन्द सागर 

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers……….
An Initiative by: Kausik Chakraborty.

The Knowledge Library

भारत की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएं

हिमालय पर्वत श्रृंखला

  • हिमालय का संस्कृत में शाब्दिक अनुवाद “बर्फ का निवास” है।
  • हिमालय पर्वत 7 देशों की सीमाओं में फैला हैं। ये देश हैं- पाकिस्तान,अफगानिस्तान , भारत, नेपाल, भूटान, चीन और म्यांमार।
  • नंगा पर्वत और नमचा बरवा को हिमालय का पश्चिमी और पूर्वी बिंदु माना जाता है।
  • विभिन्न भू-आकृतियाँ जैसे घाटियाँ, वी-आकार की घाटियाँ, रैपिड्स, झरने आदि इस बात का संकेत हैं कि हिमालय अभी भी युवा अवस्था में है।
  • यह पर्वत तन्त्र मुख्य रूप से तीन समानांतर श्रेणियां- महान हिमालय, मध्य हिमालय और शिवालिक से मिलकर बना है जो पश्चिम से पूर्व की ओर एक चाप की आकृति में लगभग 2400 कि॰मी॰ की लम्बाई में फैली हैं।
  • इस चाप का उभार दक्षिण की ओर अर्थात उत्तरी भारत के मैदान की ओर है और केन्द्र तिब्बत के पठार की ओर है। इन तीन मुख्य श्रेणियों के आलावा चौथी और सबसे उत्तरी श्रेणी को परा हिमालय या ट्रांस हिमालय कहा जाता है जिसमें कराकोरम तथा कैलाश श्रेणियाँ शामिल है।
  • माउंट एवरेस्ट (नेपाल) 8,848.86 मीटर, न केवल हिमालय की सबसे ऊंची चोटी है बल्कि पूरे ग्रह की सबसे ऊंची चोटी है। माउंट एवरेस्ट को नेपाली में सागरमाथा और चीन में चोमोलुंगमा के नाम से जाना जाता है।
  • नंदा देवी, जो दुनिया की 23वीं सबसे ऊंची चोटी है, पूरी तरह से भारत के भीतर स्थित है। K2, जो उत्तर-पूर्वी काराकोरम रेंज में स्थित है, गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र (PoK) में स्थित है, जबकि माउंट कंचनजंगा नेपाल और सिक्किम की सीमा पर स्थित है। कंचनजंगा मेन भारत में स्थित कंचनजंगा की तीन चोटियों में से एक है।
  • हिमालय सिंधु, यांग्त्ज़ी और गंगा-ब्रह्मपुत्र का स्रोत है। तीनों ही एशिया महाद्वीप की प्रमुख नदी प्रणालियाँ हैं।
  • सर्दियों के मौसम में ठंडी हवा को भारतीय मुख्य भूमि में प्रवेश करने से रोककर हिमालय उत्तर भारत में जलवायु को विनियमित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

काराकोरम पर्वत श्रृंखला

  • काराकोरम रेंज और पीर पंजाल रेंज हिमालय रेंज के उत्तर-पश्चिम और दक्षिण में स्थित है।
  • काराकोरम रेंज का एक बड़ा हिस्सा भारत और पाकिस्तान की विवादित श्रेणी में आता है और दोनों देशों ने इस पर अपना दावा करने की घोषणा की है।
  • काराकोरम रेंज, जिसकी लंबाई 500 किमी है, पृथ्वी की कई सबसे बड़ी चोटियों को समेटे हुए है। K2, दुनिया की दूसरी सबसे ऊंची चोटी, 8,611 मीटर पर काराकोरम रेंज में स्थित है।
  • हिंदू-कुश, काराकोरम रेंज का एक विस्तार अफगानिस्तान में है।
  • काराकोरम में ध्रुवीय क्षेत्रों को छोड़कर सबसे अधिक हिमनद हैं। सियाचिन ग्लेशियर और द बियाफो ग्लेशियर, जो दुनिया के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े ग्लेशियर हैं, इसी श्रेणी में स्थित हैं।

Mountain
पर्वत

पूर्वांचल पर्वत श्रृंखला

  • ये पहाड़ियां हिमालय पर्वत का ही हिस्सा है ।
  • ये पहाड़ियां मुख्यतः पांच राज्यों में बटी हुयीं हैं – मेघालय, असम, नागालैण्ड, मणिपुर एवं मिजोरम ।
  • पटकायी बूम- असम, नागालैण्ड, मणिपुर एवं मिजोरम में फैली हुयी है ।
  • पटकायी बूम पर्वत श्रेणियों को अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नाम से जाना जाता है । नागालैण्ड में नागा पहाड़ियां । मिजोरम में लुशाई पहाड़ियां ।
  • हिमालय पहाड़ियों के म्यांमार में पड़ने वाले हिस्से को अराकान योमा कहा जाता है ।
  • पटकाई में तीन पहाड़ियाँ शामिल हैं, जैसे कि पटकाई-बम, गारो-खासी-जयंतिया, और लुशाई पहाड़ियाँ। गारो-खासी-जयंतिया रेंज मेघालय में स्थित है। मावसिनराम और चेरापूंजी इन पहाड़ियों के किनारे पर स्थित हैं। सबसे अधिक वार्षिक वर्षा होने के बाद, ये दोनों विश्व के सबसे शानदार स्थान हैं। पटकाई पहाड़ियों की जलवायु समशीतोष्ण से अल्पाइन तक अलग-अलग ऊंचाई पर होने के कारण भिन्न होती है।
  • देहिंग नदी पटकाई पर्वत श्रृंखला से नीचे बहती है और असम में ब्रह्मपुत्र से मिलती है। पटकई और देहिंग दोनों पहाड़ी क्षेत्रों में निवास करने वाले कई आदिवासी समुदायों के लिए अपने प्राकृतिक संसाधनों का योगदान करते हैं। नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान दक्षिण और दक्षिण-पूर्व में पटकाई पहाड़ियों से घिरा है। यह एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है।
  • पटकाई पहाड़ियों के लिए सबसे आदर्श मार्ग पैंगसाउ दर्रे द्वारा प्रदान किया जाता है। भारत में चीन को बर्मा रोड से जोड़ने के लिए द्वितीय विश्व युद्ध के समय रेंज में स्थापित एक रणनीतिक आपूर्ति सड़क के रूप में पैंगसौ दर्रे के माध्यम से लेडो रोड का निर्माण किया गया था।
  • यह श्रेणी भारत के सभी पूर्वी राज्यों को कवर करती है, जिन्हें आमतौर पर सेवन सिस्टर्स के नाम से जाना जाता है।
  • इस क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी माउंट दाफा (अरुणाचल प्रदेश में) है, जिसकी ऊँचाई 4,578 मीटर है।
  • पटकाई और अन्य संबंधित पर्वत श्रृंखलाएं (मिश्मी, नागा, मणिपुर, त्रिपुरा और मिजो पहाड़ियों सहित) जो इस क्षेत्र से गुजरती हैं, उन्हें सामूहिक रूप से पूर्वाचल (पूर्वा, “पूर्व,” और अचल, “पर्वत”) कहा जाता है।
  • डफला हिल्स: यह तेजपुर और उत्तरी लखीमपुर के उत्तर में स्थित है, और पश्चिम में आका हिल्स और पूर्व में अबोर रेंज से घिरा है।
  • मिकिर हिल्स
    • काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान (असम) के दक्षिण में स्थित पहाड़ियों का एक समूह,
    • कार्बी आंगलोंग पठार का एक भाग
  • अबोर हिल्स
    • अरुणाचल प्रदेश की पहाड़ियाँ, चीन की सीमा के पास, मिश्मी और मिरी पहाड़ियों से लगती हैं
    • ब्रह्मपुत्र की एक सहायक नदी दिबांग नदी द्वारा अपवाहित
  • मिश्मी पहाड़ियाँ: ये पहाड़ियाँ ग्रेट हिमालयन पर्वतमाला के दक्षिण की ओर विस्तार में स्थित हैं और इसके उत्तरी और पूर्वी हिस्से चीन को छूते हैं।
  • पटकाई बम हिल्स: यह बर्मा के साथ भारत की उत्तर-पूर्वी सीमा पर स्थित है। ताई-अहोम भाषा में “पटकाई” शब्द का अर्थ है “चिकन काटना”। इसकी उत्पत्ति उन्हीं विवर्तनिक प्रक्रियाओं से हुई है जिसके परिणामस्वरूप मेसोज़ोइक में हिमालय का निर्माण हुआ। ये पहाड़ियाँ शंक्वाकार चोटियों, खड़ी ढलानों और गहरी घाटियों से घिरी हुई हैं लेकिन वे हिमालय की तरह उबड़-खाबड़ नहीं हैं। यह क्षेत्र नदियों द्वारा गहराई से विच्छेदित है: उत्तर में दोयांग और दिखू, दक्षिण-पश्चिम में बराक।
  • नागा हिल्स: यह भारत में म्यांमार तक फैली हुई है जो भारत और म्यांमार के बीच एक विभाजन बनाती है।
  • मणिपुर हिल्स: यह नागालैंड के उत्तर में, दक्षिण में मिजोरम, पूर्व में ऊपरी म्यांमार और पश्चिम में मणिपुर हिल्स में असम स्थित है।
  • मिज़ो हिल्स: इसे पहले लुशाई हिल्स कहा जाता था। यह दक्षिण-पूर्वी मिजोरम राज्य, उत्तर-पूर्वी भारत में स्थित है, जो उत्तर अराकान योमा प्रणाली का हिस्सा है।
  • त्रिपुरा पहाड़ियाँ: ये पहाड़ियाँ समानांतर उत्तर-दक्षिण तहों की एक श्रृंखला हैं, जो दक्षिण की ओर ऊँचाई में घटती जाती हैं जब तक कि वे गंगा-ब्रह्मपुत्र तराई (जिसे पूर्वी मैदान भी कहा जाता है) में विलीन नहीं हो जाती। पूर्व में पहाड़ियों की प्रत्येक क्रमिक रिज पहले की तुलना में ऊँची हो जाती है; निम्न देवतमुरा रेंज के बाद अर्थरामुरा, लंगतराई और सखान तलंग पर्वतमाला आते हैं।
  • मिकिर हिल्स: यह काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान के दक्षिण में स्थित है। यह कार्बी आंगलोंग पठार का हिस्सा है। रेडियल ड्रेनेज पैटर्न इस क्षेत्र की सबसे अच्छी विशेषता है जहां धनसिरी और जमुना मुख्य नदियां हैं।
  • गारो हिल्स: यह मेघालय राज्य में स्थित है और गारो-खासी रेंज का हिस्सा है जिसे ‘पृथ्वी पर सबसे नम स्थानों’ में से एक माना जाता है। नोकरेक चोटी इस क्षेत्र की सबसे ऊँची चोटी है।
  • खासी हिल्स: यह मेघालय में गारो-खासी रेंज का एक हिस्सा है और इसका नाम खासी जनजाति है जो इस क्षेत्र में पाए जाते हैं। चेरापूंजी पूर्वी खासी पहाड़ियों में स्थित है और लुम शिलांग शिलांग के पास सबसे ऊंची चोटी है।
  • जयंतिया हिल्स: यह खासी हिल्स से पूर्व में आगे स्थित है।

अरावली पर्वत श्रृंखला

  • इसकी सीमा गुजरात से शुरू होकर राजस्थान, हरियाणा होकर दिल्ली तक जाती है ।
  • भारत की नहीं पूरे विश्व की प्राचीनतम पर्वत श्रृंखलाओं में से एक है ।
  • प्रायद्वीपीय  भारत के उत्तर  पश्चिमी सिरे पर  अरावली पर्वत का विस्तार है।
  • अरावली की अधिकतम लम्बाई राजस्थान राज्य में है।
  • अरावली  दुनिया का सबसे प्राचीन वलित पर्वत है।   ये धीरे धीरे अपरदित होता गया  वर्तमान में यह अवशिष्ट पर्वत के रूप में शेष है ।
  • अरावली पर्वत श्रृंखला की लम्बाई 692 कि0मी0 है ।
  • चौड़ाई गुजरात की तरफ अधिक एवं दिल्ली की तरफ घटती है ।
  • उदयपुर में अरावली पहाड़ियों को जग्गा पहाड़ियों के नाम से जानी जाती है ।
  • इनमें भारत में संगमरमर का सबसे बड़ा भंडार है।
  • उदयपुर शहर, जिसे पूर्व का वेनिस भी कहा जाता है, अरावली पर्वत के दक्षिणी ढलानों में स्थित है।
  • बनास, लूनी और साबरमती नदियाँ इस श्रेणी से होकर बहती हैं।
  • अलवर के पास इन्हे हर्षनाथ की पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है ।
  • दिल्ली में दिल्ली पहाड़ियों के नाम से जाना जाता है ।
  • दिल्ली में राष्ट्रपति भवन रायशेला पहाड़ियों पर है । यह पहाड़ियों भी अरावली पहाड़ियों का ही अंग है ।
  • कई प्रकार के खनिज पाये जाते है । जैसे शीशा, तांबा एवं जस्ता ।
  • इसका उच्चतम शिखर गुरूशिखर है। इसकी ऊँचाई 1722 मी0 है। यह राजस्थान के सिरोही जिले में माउंट आबू के पास स्थित है।
  • इस पर्वत श्रृंखला की अन्य महत्वपूर्ण चोटियां है ।
  • सेर – 1597 मी0, माउंट आबू के पास सिरोही जिले में ।
  • रघुनाथ गढ़ – 1055 मी0, सीकर राजस्थान में ।
  • अचलगढ़ – 1380 मी0, सिरोही जिले में ।
  • दिलवाड़ा – 1442 मी0, सिरोही जिले में, यहीं पर एक जैन मंदिर भी है ।

विंध्य पर्वत श्रृंखला

  • ये गैर-विवर्तनिक पर्वत हैं; इनका निर्माण प्लेट की टक्कर के कारण नहीं बल्कि उनके दक्षिण में नर्मदा रिफ्ट वैली (एनआरवी) के नीचे की ओर भ्रंश के कारण हुआ था।
  • यह गुजरात के गोबत से बिहार के सासाराम तक पूर्व-पश्चिम दिशा में नर्मदा घाटी के समानांतर 1,200 किमी से अधिक की दूरी तक चलती है।
  • विंध्याचल पर्वत श्रृंखला की कुल लम्बाई 1050 कि0मी0(कैमूर पहाड़ियों को मिलाकर) है ।
  • विंध्याचल पर्वत श्रृंखला की औसत ऊँचाई 300-600 मी0 है ।
  • विंध्यांचल पर्वत श्रृंखला का सबसे उच्चतम बिन्दु सदभावना शिखर है । मध्य प्रदेश में भारनेर पहाड़ियों का हिस्सा है ।
  • विंध्य रेंज के अधिकांश भाग प्राचीन काल की क्षैतिज रूप से बिस्तरों वाली तलछटी चट्टानों से बने हैं।
  • यह श्रेणी गंगा प्रणाली और दक्षिण भारत की नदी प्रणालियों के बीच वाटरशेड के रूप में कार्य करती है।
  • इन्हें पन्ना, कैमूर, रीवा आदि स्थानीय नामों से जाना जाता है।

विंध्याचल पहाड़ियों की भौगोलिक स्थिति इस प्रकार है –

  • मालवा के पठार के दक्षिण में ।
  • सोन नदी के उत्तर में ।
  • गुजरात तथा राजस्थान की सीमा के पूर्व में ।
  • गुजरात से शुरु होकर मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, तथा बिहार तक जाती है ।

इस पर्वत श्रृंखला को तीन भागों में बाँटा जा सकता है ।

  • भारनेर की पहाड़ियां- मध्य प्रदेश में ।
  • केमूर- उत्तर प्रदेश, बिहार तथा मध्य प्रदेश में ।
  • पारसनाथ- झारखण्ड में ।

सतपुरा पर्वत श्रृंखला

  • सतपुड़ा का विस्तार  3 राज्यों में है  –
  • गुजरात , महाराष्ट्र , मध्य प्रदेश   लेकिन अधिकतर मध्यप्रदेश में है
  • सतपुड़ा पहाड़ियों के उत्तर में नर्मदा नदी बहती है, तथा दक्षिण में ताप्ती नदी बहती है । दोनों ही भ्रंश घाटियों में बहती है ।
  • दोनों भ्रंश घाटियों के बीच स्थित पर्वत को ब्लॉक पर्वत कहते है।
  • सतपुड़ा पहाड़ियाँ टेक्टोनिक पर्वत हैं, जिनका निर्माण लगभग 1.6 अरब साल पहले तह और संरचनात्मक उत्थान के परिणामस्वरूप हुआ था।
  • वे लगभग 900 किमी तक लम्बी है।
  • यह विंध्य के दक्षिण में पूर्व-पश्चिम दिशा में और नर्मदा और तापी के बीच में इन नदियों के समानांतर चलती है।
  • पचमढ़ी सतपुड़ा श्रेणी का सबसे ऊँचा स्थान है जिसकी सबसे ऊँची चोटी धूपगढ़ (1350 मी) है।
  • ये ज्यादातर मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ राज्यों में स्थित हैं।
  • गोंडवाना चट्टानों की उपस्थिति के कारण ये पहाड़ियाँ बॉक्साइट से समृद्ध हैं।
  • नर्मदा के ऊपर धूआंधार जलप्रपात एमपी में स्थित है।
  • सतपुड़ा पर्वत पश्चिम से पूर्व की ओर 3 पहाड़ियों में विस्तृत है –
    • राज पीपला पहाड़ियां ।
    • महादेव की पहाड़ियां ।
    • मैकाल की पहाड़ियां ।
  • सतपुड़ा की पहाड़ियों का सबसे उच्चतम बिंदु धूपगढ़ महादेव की पहाड़ियां का हिस्सा है ।
  • धूपगढ़ की चोटी पंचमड़ी नगर के पास स्थित है ।
  • तापती नदी का स्रोत भी महादेव की पहाड़ियां ही हैं ।
  • मैकाल की पहाड़ियां :-
  • अमरकंटक जहां से नर्मदा एवं सोन नाम की दो नदियां निकलती है, इसी मैकाल की पहाड़ियों की हिस्सा है ।
  • अमरकंटक  पहाड़ी से दो नदियां निकलती है ।   नर्मदा , सोन   नर्मदा पश्चिम में अपनी भ्रंश घाटी से  बहते हुए  खम्भात की खाड़ी में गिरती है।   सोन नदी अमरकंटक से निकलकर  उत्तर में प्रवाहित होती है  और पटना के पास गंगा में मिल जाती है।
  • अमरकंटक ही मैकाल की पहाड़ियों का उच्चतम बिंदु भी है इसकी ऊंचाई 1036 मी0 है ।

पश्चिमी घाट पर्वत श्रृंखला

  • इसकी औसत ऊंचाई 1200 मीटर है और यह पर्वतमाला 1600 किमी लम्बी है। इस श्रेणी में दो प्रमुख दर्रे हैं –
  • पश्चिमी घाट पर्वत का विस्तार उत्तर से दक्षिण की ओर है| उत्तर से दक्षिण तक इसकी कुल लम्बाई लगभग 1600 किमी. है|
  • पश्चिमी घाट पर्वत भारत में हिमालय के बाद दूसरा सबसे लम्बा पर्वत है|
  • उत्तरी सह्याद्रि की सबसे ऊँची चोटी काल्सुबाई है|
  • काल्सुबाई चोटी के दक्षिण में पश्चिमी घाट पर महाबलेश्वर चोटी स्थित है|
  • महाबलेश्वर चोटी और काल्सुबाई चोटी महाराष्ट्र राज्य में स्थित है|
  • गुजरात राज्य के अंतर्गत सौराष्ट्र क्षेत्र में तीन पहाड़ियां स्थित हैं –1. गिर पहाड़ी 2. बारदा पहाड़ी 3. मांडव पहाड़ी
  • गुजरात के गिर क्षेत्र में एशियाई शेर पाये जाते हैं|
  • दक्षिण भारत में पश्चिमी घाट पर्वत और पूर्वी घाट पर्वत एक-दूसरे से मिलकर एक पर्वतीय गाँठ का निर्माण करते हैं, इस पर्वतीय गाँठ को नीलगिरी पर्वत कहते हैं|
  • नीलगिरी पर्वत की सबसे ऊँची चोटी डोडाबेटा है|
  • नीलगिरी पर्वत का विस्तार तमिलनाडु, केरल तथा कर्नाटक राज्यों में है|
  • डोडाबेटा दक्षिण भारत का दूसरा सबसे ऊँचा पर्वत शिखर है|
  • थालघाट जो नासिक को मुम्बई से जोड़ता है और भोरघाट। तीसरा दर्रा पालघाट इस श्रेणी के दक्षिणी हिस्से को मुख्य श्रेणी से अलग करता है।
  • प्रसिद्ध पर्यटन स्थल ऊंटी तमिलनाडु राज्य में नीलगिरी पहाड़ियों पर ही स्थित है|
  • केरल का प्रसिद्ध सदाबहार वन साइलेंट वैली अथवा शांत घाटी नीलगिरी पहाड़ियों पर ही स्थित है|
  • साइलेंट वैली अपनी जैव विविधता और घने जंगलों के लिए जाना जाता है|
  • भारतीय प्लेट के यूरेशियन प्लेट से टकराने के दौरान दक्कन के पठार के पश्चिमी किनारे के साथ भ्रंश के कारण इनका निर्माण हुआ था। इसके कारण पश्चिमी तट जलमग्न हो गया, साथ ही पठार के पश्चिमी किनारे के साथ पश्चिमी घाट का अचानक ढलान हो गया।
  • इसमें नीलगिरी, अन्नामलाई और कार्डोमम की पर्वत श्रृंखला शामिल है। केरल में 2695 मीटर की ऊँचाई वाली अन्नामलाई पहाड़ियाँ इस श्रेणी की सबसे ऊँची चोटी है।
  • पश्चिमी घाट यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में से एक है और इसमें बड़ी जैव-विविधता है।
  • गोदावरी, कृष्णा और कावेरी इस श्रेणी की महत्वपूर्ण नदियाँ हैं।
  • वे तीन खंडों में विभाजित हैं – उत्तरी खंड, मध्य खंड और दक्षिणी खंड।

उत्तरी खंड

  • इस खंड के पश्चिमी घाट को सह्याद्री के नाम से भी जाना जाता है। वे महाराष्ट्र में स्थित हैं।
  • सह्याद्रि की औसत ऊंचाई समुद्र तल से 1200 मीटर है।
  • सह्याद्री ज्वालामुखी आग्नेय चट्टानों (बेसाल्ट) से बनी है। इसलिए वे पश्चिमी घाट के अन्य हिस्सों में चट्टानों की तुलना में भूगर्भीय रूप से छोटे हैं।
  • महाबलेश्वर पठार सह्याद्रि का सबसे ऊँचा क्षेत्र है। कृष्णा नदी का उद्गम इसी पठार से हुआ है।
  • सह्याद्रि की महत्वपूर्ण चोटियों में शामिल हैं – कलासुबाई चोटी (1.64 किमी, सह्याद्रि की सबसे ऊंची चोटी), साल्हेर चोटी (1.56 किमी), हरिश्चंद्रगढ़ चोटी (1.4 किमी) आदि।
  • सह्याद्री घाट के किसी भी अन्य खंड की तुलना में अधिक संख्या में बड़ी नदियों को जन्म देती है। इसलिए वे दक्षिण भारत का सबसे महत्वपूर्ण वाटरशेड बनाते हैं।
  • इस खंड के कुछ महत्वपूर्ण दर्रों में थलघाट गैप (मुंबई और नासिक के बीच का मार्ग इस से होकर गुजरता है) और भोरघटा गैप (मुंबई और पुणे के बीच का मार्ग इसी से होकर गुजरता है) शामिल हैं।

मध्य खंड

  • यह खंड कर्नाटक और गोवा राज्यों से होकर गुजरता है। यह नीलगिरी में समाप्त होती है, जहां यह पूर्वी घाट में मिलती है।
  • कर्नाटक की बाबाबूदन पहाड़ियाँ इसी खंड का हिस्सा हैं। वे अपने कॉफी बागानों के लिए प्रसिद्ध हैं। तुंगभद्रा नदी की एक उद्गम धारा (भद्रा) इन पहाड़ियों से आती है।
  • वे ग्रेनाइट और गनीस जैसे आग्नेय और कायांतरित चट्टानों से बने हैं।
  • उनके पास घने जंगल हैं और उनसे कई छोटी धाराएं निकलती हैं। इसके परिणामस्वरूप इन पहाड़ियों का सिर की ओर कटाव हुआ, जिससे पर्वतमाला में कई अंतराल रह गए।
  • इनकी औसत ऊंचाई लगभग 1200 मीटर है। इनमें वावुलमाला (2339 मीटर), कुद्रेमुख (1892 मीटर), पुष्पगिरी (1714 मीटर) आदि प्रमुख चोटियां शामिल हैं।
  • नीलगिरी इस खंड की प्रमुख पहाड़ियाँ हैं। वे कर्नाटक, तमिलनाडु और केरल के ट्राइजंक्शन पर 2000 मीटर तक की ऊंचाई तक अचानक उठते हैं। नीलगिरी की सबसे ऊँची पहाड़ियाँ ऊटाकामुंड पहाड़ियाँ हैं। डोडा बेट्टा (2630 मी) नीलगिरी की सबसे ऊँची चोटी है।
  • नीलगिरी ब्लॉक पहाड़ हैं, वे दो दोषों के बीच उठे हैं और इसलिए उन्हें हॉर्स्ट लैंडफॉर्म माना जाता है।

दक्षिणी खंड

  • इसमें अन्नामलाई और इलायची की पहाड़ी श्रृंखलाएं शामिल हैं।
  • पालघाट गैप (पलक्कड़ गैप) पश्चिमी घाट (लगभग 24 किमी चौड़ा) में सबसे बड़ा गैप है। यह नीलगिरी को अन्नामलाई पहाड़ियों से अलग करती है।
  • अन्नामलाई चोटी (2690 मी) अन्नामलाई पहाड़ियों का उच्चतम बिंदु है, जो प्रायद्वीपीय भारत का उच्चतम बिंदु भी है। पलानी पहाड़ियाँ अन्नामलाई श्रेणी का एक हिस्सा हैं। वे धारवाड़ आग्नेय चट्टानों से बने हैं। कोडाईकनाल हिल स्टेशन पलानी पहाड़ियों का एक हिस्सा है।
  • इलायची की पहाड़ियाँ अन्नामलाई पहाड़ियों के दक्षिण में हैं और शेनकोट्टई दर्रे द्वारा उनसे अलग हो जाती हैं। इलाइमलाई के नाम से भी जानी जाने वाली ये पहाड़ियाँ इलायची की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं।
  • पेरियार नदी अन्नामलाई पहाड़ियों से निकलती है और अरब सागर में गिरती है।
  • वरुष्णाद पहाड़ियां इलायची की पहाड़ियों का एक हिस्सा हैं। वैगई नदी का उद्गम यहीं से होता है।
  • अगस्त्यमलाई पहाड़ियाँ पश्चिमी घाट का सबसे दक्षिणी भाग हैं। केरल और तमिलनाडु में स्थित है। अगस्तमलाई चोटी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे दक्षिणी चोटी है।

पश्चिमी घाट पर्वत पर जगह-जगह दर्रे पाये जाते हैं, इन दर्रों से होकर पश्चिमी घाट पर्वत को पश्चिम से पूरब दिशा कि ओर पार करने में सहायता मिलती है|

  • थालघाट दर्रा: पश्चिमी घाट पर महाराष्ट्र राज्य में स्थित है| थालघाट दर्रे से होकर ही मुंबई-नागपुर सड़क मार्ग गुजरता  है|
  • भोरघाट दर्रा: पश्चिमी घाट पर महाराष्ट्र राज्य में ही स्थित है| भोरघाट दर्रे से होकर ही मुंबई से पुणे जाने वाली सड़क मार्ग गुजरता है| राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या – 4 मुंबई से पुणे होते हुए चेन्नई पहुँचती है, यह राजमार्ग भी भोरघाट दर्रे से होकर गुजरता है|
  • पालघाट दर्रा: नीलगिरी एवं अन्नामलाई पहाड़ियों के बीचो-बीच केरल राज्य में स्थित है|

पूर्वी घाट पर्वत श्रृंखला

  • वे महानदी और वैगई नदियों के बीच फैले हुए हैं।
  • वे मुख्य रूप से धारवाड़ आग्नेय और कायांतरित चट्टानों से बने हैं।
  • पश्चिमी घाटों के विपरीत, ये निचली पहाड़ियाँ हैं। वे पश्चिमी घाट के विपरीत एक असंतत पर्वत श्रृंखला हैं।
  • इनमें असंतत पहाड़ी श्रृंखलाओं की एक श्रृंखला शामिल है जैसे – ओडिशा पहाड़ियाँ (मालिया पहाड़ियाँ), नल्लामाला पहाड़ियाँ, पलकोंडा पहाड़ियाँ, वेलिकोंडा पहाड़ियाँ, जावड़ी पहाड़ियाँ और शेवरॉय पहाड़ियाँ।
  • महेंद्रगिरि चोटी (1501 मी) ओडिशा की पहाड़ियों का सबसे ऊँचा स्थान है।
  • ओडिशा पहाड़ियों और गोदावरी बेसिन के बीच, कुछ प्रमुख पहाड़ी श्रृंखलाएं हैं जैसे मदुगुला कोंडा रेंज। इसकी औसत ऊंचाई 900-1100 मीटर की सीमा में है। इसमें पूर्वी घाट की कुछ सबसे ऊंची चोटियां हैं जैसे जिंदगड़ा चोटी (1690 मीटर), अरमा कोंडा (1680 मीटर), गली कोंडा (1643 मीटर) आदि।
  • वे मदुगुला कोंडा रेंज और नल्लामाला पहाड़ियों के बीच लगभग अनुपस्थित हैं। यह क्षेत्र गोदावरी-कृष्ण डेल्टा से बना है।
  • नल्लामाला पहाड़ियाँ आंध्र प्रदेश में स्थित हैं। वे प्रोटेरोज़ोइक तलछटी चट्टानों से बने होते हैं। इनकी औसत ऊंचाई 600-850 मीटर के बीच होती है।
  • उनके दक्षिण में वेलिकोंडा पहाड़ियाँ, पलकोंडा पहाड़ियाँ और आंध्र प्रदेश में शेषचलम पर्वतमाला हैं।
  • जावड़ी पहाड़ियाँ और शेवरॉय पहाड़ियाँ तमिलनाडु में स्थित हैं। दक्षिण में, पूर्वी घाट नीलगिरी में पश्चिमी घाट के साथ विलीन हो जाते हैं।
  • पूर्वी घाट पर्वत पश्चिमी घाट पर्वत की तरह क्रमबद्ध एवं निरन्तर न होकर  अपरदन के कारण  जगह-जगह पर टूटा है|
  • प्रायद्वीपीय भारत के पठार का ढाल पूर्व की तरफ है, जिसके कारण प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियाँ पश्चिमी घाट से निकलकर पूर्वी तट पर प्रवाहित होती हैं  जैसे – महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियाँ|
  • पूर्व  की ओर प्रवाहित होने के कारण महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी नदियों ने पूर्वी घाट पर्वत को जगह-जगह अपरदित  कर दिया है|
  • गोदावरी और कृष्णा नदियों के डेल्टा के बीच में पूर्वी घाट पर्वत बिल्कुल समाप्त हो गया है|
  • पूर्वी घाट पर्वत को अलग-अलग राज्यों में स्थानीय नाम से जाना जाता है| जैसे –
    • नल्लामलाई – आंध्र प्रदेश में
    • पालकोंडा और वेलिकोंडा – तेलंगाना में
    • जावादी, शेवाराय, पंचामलाई और सिरुमलाई – तमिलनाडु
  • तमिलनाडु की पहाड़ियाँ चार्कोनाइट चट्टानों से निर्मित हैं|
  • नीलगिरी पर्वत समेत तमिलनाडु की पहाड़ियों पर चंदन और सागौन के वृक्ष  अधिक मात्रा में पाये जाते हैं|

भारत में शीर्ष 10 सबसे ऊंची चोटियां

Mountain Peak

Height

Description

K2 8611 metres भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी बाल्टिस्तान और झिंजियांग के बीच स्थित है
यह काराकोरम की सबसे ऊँची चोटी है
कंचनजंघा 8586 metres विश्व का तीसरा सबसे ऊंचा शिखर सम्मेलन
हिमालय पर्वत श्रृंखला में ‘बर्फ के पांच खजाने’ के रूप में भी जाना जाता है
नंदा देवी 7816 metres दुनिया भर में 23 वीं सबसे ऊंची चोटी का दर्जा दिया।
चोटी के आसपास स्थित नंदा देवी राष्ट्रीय प्राक में सबसे अच्छी ऊंचाई वाली वनस्पतियां और जीव हैं।
यह पूरी तरह से भारत के भीतर स्थित सबसे ऊंची चोटी है यह हिमालय पर्वत श्रृंखला (गढ़वाल) का एक हिस्सा है।
कामेट पर्वत 7756 metres यह तिब्बती पठार के पास स्थित है
यह गढ़वाल क्षेत्र में स्थित है
साल्टोरो कांगरी 7742 metres यह सियाचिन क्षेत्र के पास स्थित है।
साल्टोरो कांगड़ी को दुनिया की 31वीं सबसे ऊंची स्वतंत्र चोटी का दर्जा दिया गया है
यह साल्टोरो रेंज (काराकोरम पर्वत श्रृंखला का एक हिस्सा) में स्थित है।
सासेर कांगरी 7672 metres लद्दाख में स्थित है।
यह पर्वत शिखर विश्व की 35वीं सबसे ऊंची पर्वत चोटी है, जो सासेर मुजतघ श्रेणी (काराकोरम पर्वतमाला की एक पूर्वी उपश्रेणी) में स्थित है।
ममोस्तंग कांगरी 7516 metres यह सियाचिन ग्लेशियर के पास स्थित है, यह भारत की 48वीं स्वतंत्र चोटी है
यह रिमो मुजतघ रेंज की सबसे ऊंची चोटी है (काराकोरम रेंज की एक उपश्रेणी)
रिमो 1 7385 metres रिमो I, ग्रेट काराकोरम रेंज की एक उप-श्रेणी, रिमो मुज़तघ का एक हिस्सा है।
यह दुनिया की 71वीं सबसे ऊंची चोटी है।
हरदौल 7151 metres इस चोटी को ‘भगवान का मंदिर’ भी कहा जाता है।
यह कुमाऊं हिमालय के सबसे पुराने शिखरों में से एक है
चौखम्बा 1 7138 metres यह उत्तराखंड के गढ़वाल जिले में स्थित है।
यह गढ़वाल हिमालयन रेंज के गंगोत्री समूह का एक हिस्सा है
त्रिशूल 1 7120 metres इस पर्वत शिखर का नाम भगवान शिव के अस्त्र से लिया गया है।
यह उत्तराखंड में कुमाऊं हिमालय में स्थित तीन पर्वत चोटियों में से एक है।

भारत में पर्वत चोटियों की सूची- राज्यवार

पर्वत श्रृंखला

राज्य

पूर्वी घाट तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, पश्चिम बंगाल
पश्चिमी घाट तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, गोवा, महाराष्ट्र
अरावली गुजरात, राजस्थान, हरियाणा
कार्डमम पर्वत श्रृंखला केरल और तमिलनाडु
अनामलाई पर्वत श्रृंखला केरल और तमिलनाडु
निलगिरी पर्वत श्रृंखला तमिलनाडु, केरल और कर्नाटक
पलनी पर्वत श्रृंखला तमिलनाडु
सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़
विंध्य पर्वत श्रृंखला गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश
गारो पर्वत श्रृंखला मेघालय
खासी पर्वत श्रृंखला मेघालय
जैंतिया पर्वत श्रृंखला मेघालय
पीर पंजाल हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर
कारकोरम जम्मू और कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र

भारत की प्रमुख पर्वत श्रृंखला संवंधित तथ्य

विशिष्टता

पहाड़

भारत का उच्चतम पर्वत कंचनजंगा
भारत (पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर सहित) का उच्चतम पर्वत माउंट के 2 (जिसे गॉडविन ऑस्टिन के रूप में भी जाना जाता है)
भारत की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखला अरावली
पश्चिमी घाट तथा दक्षिण भारत की सबसे ऊंची चोटी अनामुड़ी (केरल)
अरवली पर्वत श्रृंखला की सबसे ऊंची चोटी गुरु शिखर माउंट आबु के समीप (राजस्थान)
रायसीना हिल, नई दिल्ली का क्षेत्र जहां राष्ट्रपति भवन स्थित है, इसका विस्तार है अरावली पर्वत श्रृंखला
पर्वत श्रृंखला जो दक्षिणी पठार को उत्तरी भारत से भौगोलिक रूप से विभाजित करती है विंध्य पर्वत श्रृंखला
पश्चिमी घाटियों को इस नाम से भी जाना जाता है सह्याद्री हिल्स
वह पर्वत जिस पर प्रसिद्ध वैष्णो देवी मंदिर स्थित है त्रिकुटा
कैलाश पर्वत, हिंदू पौराणिक कथाओं के भगवान शिव का निवास तिब्बत में स्थित है

Sign up to Receive Awesome Content in your Inbox, Frequently.

We don’t Spam!
Thank You for your Valuable Time

Share this post