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राजमा खाने के लाभ I Benefits of Kidney Beans

राजमा के पोषक तत्त्व (Nutrients In Rajma)

राजमा वास्तव में विटामिन्स एवं खनिज लवणों में समृद्ध है जिनमें से कुछ नीचे प्रदर्शित है –

1. मालिब्डेनम – राजमा सहित अन्य बीजों, फलियों व अनाजों में पाया जाने वाला मालिब्डेनम अतिसीमित मात्रा में Necessary होता है व शरीर में कई विकरों (एन्ज़ाइम्स) के साथ मिलकर कार्य करता है।

आजकल कई लोग प्रिज़र्वेटिव्स से भरा खाना खा रहे होते हैं जिनमें सल्फ़ाइट्स होते हैं जो कि शरीर के लिये विषाक्त कहे जाते हैं। राजमा का मालिब्डेनम शरीर से सल्फ़ाइट्स निकालने में भी सहायक है।

2. फ़ोलेट अर्थात् Vitamin9 – पेट के सामान्य स्वास्थ्य एवं गर्भावस्था में यह विशेष उपयोगी रहता है।

3. लौह – फलियों में लौह पाया जाता है जो लालरक्त Cells एवं हीमोग्लोबिन के निर्माण में एक अनिवार्य घटक है। इस प्रकार यह विषेष रूप से कुपोषित बच्चों व कुपोषित किशोरियों व माताओं के लिये अत्यधिक उपयोगी है।

हीमोग्लोबिन वास्तव में Red Blood Cells में पाया जाने वाला ऐसा Protein है जिसमें एक भाग लौह का होता है, हीम (लौह) ग्लोबिन (एक प्रोटीन), हीमोग्लोबिन शरीर में आक्सीजन का संवहन करता है व इसके कारण रुधिर लालरंग का दिखता है।

थकावट व साँस फूलने जैसे लक्षण रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी के प्रभावस्वरूप हो सकते हैं तथा हीमोग्लोबिन की कमी यदि लौह की कमी से है तो राजमा से शरीर में लौह व हीमोग्लोबिन को बढ़ाया जा सकता है।

4. ताम्र – यह तन्त्रिका-तन्त्र की कार्यप्रणाली सुचारु रखने में आवश्यक होता ही है। ताँबे की गम्भीर कमी से अस्थि-छिद्रण (ओस्टियोपोरोसिस) व उच्चरक्तचाप की भी आशंका उत्पन्न हो सकती है।

5. जस्ता (ज़िंक) – राजमा में पाया जाने वाला जस्ता त्वचा-स्वास्थ्य के लिये तो आवश्यक होता ही है, यह रोग-प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी उपयोगी है।

6. मैंगनीज़ – राजमा एवं साबुत अनाजों, फलियों, फलों व सब्जियों का मैंगनीज़ शरीर में जलन घटाने, अस्थि-निर्माण सहित रक्त-शर्करा के नियन्त्रण में उपयोगी रहता है।

7. पोटेशियम – यह शरीर में तरल-संतुलन, पेशिय संकुचन एवं तन्त्रिका-संकेतों के नियमन के लिये आवष्यक है।

8. विटामिन के1 – रक्तस्कन्दन में Necessary इस Vitamin को फ़ायलोक्विनोन भी कहते हैं। यह दाँतों के स्वास्थ्य के भी लिये आवष्यक है।

9. नियासिन (विटामिन बी3) – राजमा का नियासिन शरीर में लाभप्रद कोलेस्टॅराल को बढ़ाता है।

अन्य लाभ (Rajma Other Benefit)

1. राजमा हानिप्रद कोलेस्टॅराल (Cholesterol) को घटाता है एवं हृदय-रोगों से भी बचाव में सहायक है जिसके कि तीन कारण हैं. (अ) इसमें रेशे अधिक होते हैं (आ) इसमें फ़ालेट अधिक होता है एवं यह मैग्नीशियम-सम्पन्न होता है।

2. मानसिक स्वास्थ्य विटामिन बी1 (थियामिन) की पर्याप्त मात्रा होने से राजमा मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिये उपयोगी कहा गया है क्योंकि इस विटामिन की कमी से अल्ज़ाइमर रोग (Alzheimer’s Disease) होने की आशंका बढ़ने के आकलन हैं।

3. रेशो की अधिकता से यह ऐसे रोगों में उपयोगी है जहाँ रेशो का अधिक सेवन किया जाना आवश्यक होता है, जैसे कि कोष्ठबद्धता (कब्ज़) व भगंदर-अर्श जैसे रोगों में राजमा अति उपयोगी है।

राजमा किस-किस रूप में खाया जा सकता ?

*. सूखे दानों को दाल के रूप में – साथ में अन्य दालें भी मिलाकर उबाल सकते हैं

*. हरी फलियों की सब्जी तैयार करके – साथ में मटर व चने भी डाल सकते हैं

*. सूखे दानों को उबालकर तलकर – साथ में अन्य दानों (जैसे मूँगफली व मूँग की दाल) को भी मिलाया जा सकता है

*. राजमा को अंकुरित करके अथवा गलाकर चने, लोबिया व अन्य फलियों के बीजों के साथ उबालकर बड़े-मुँगेड़े-भजिये भी बनाये जा सकते हैं जो स्वादिष्ट होने के साथ ही साथ पौष्टिक भी होंगे

*. सूखे दानों को सब्जी बनाकर : वैसे इसके साथ व अलग से भी अन्य प्रकार की फलियों को आपस में मिलाकर सब्जी जैसे बनाकर सेवन करने से सबके पोषक तत्त्व सरलता से शरीर को सुलभ हो जाते हैं तथा अन्य फलियों के दानों के अनुपात व बनाने के तरीकों में परिवर्तन लाते हुए हर बार सुस्वादु सब्जी बनायी जा सकती है।

राजमा खाने से जुडी सावधानियाँ (Precautions Related to eating Rajma) –

*. कुछ व्यक्तियों में राजमा को पचाना थोड़ा कठिन लग सकता है किन्तु इसमें घबराने जैसा प्रायः कुछ भी नहीं है, राजमा पहली बार खा रहे हों तो राजमा-आलू सब्जी जैसे मिश्रित रूप में खा सकते हैं तथा भले ही इसे रातभर पानी में भिगोये रखा हो.

फिर भी इसे ठीक से व 100 डिग्री सेल्सियस से अधिक ही उबालना है यह ध्यान रखें ताकि पचाना सरल हो जाये एवं राजमा का कोई अंश यदि कुछ हानि पहुँचा भी सकता हो तो न पहुँचा पाये।

*. अन्य अनाजों के समान इसे भी साबुत रूप में सेवन करना अधिक उपयोगी रहता है जिससे इसके रेशे, प्रोटीन सहित अन्य पोषक भी शरीर को संतुलित मात्रा में प्राप्त हो जाते हैं।

*. राजमा जैसे दिखने वाले कई अन्य अनाज हो सकते हैं, सबका अपना महत्त्व होता है, लोबिया (Labia) को राजमा मत समझ बैठना।

*. राजमा में लौह की मात्रा बहुत होती है इसलिये जिन्हें अतिलौहमयता की समस्या है वे सप्ताह में अधिक राजमा न खायें।

राजमा में रेशो की मात्रा भी अधिक होती है इसलिये ये पेट के लिये अच्छे तो होते परन्तु एकदम से अधिक मात्रा अथवा अधिक आवृत्ति में खाना ठीक नहीं कहा जा सकता। कुल मिलाकर समग्रता में देखें तो इसे अधिक ताप पर उबालना, किसी के साथ मिलाकर बनाना, कम मात्रा व आवृत्ति में खाना ध्यान रखें।

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