“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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सत्येन्द्रनाथ बोस 

सत्येन्द्रनाथ बोस का जन्म 1 जनवरी 1894 को कोलकाता में हुआ था। उनकी आरंभिक शिक्षा उनके घर के पास ही स्थित साधारण स्कूल में हुई थी। इसके पश्चात् उन्हें न्यू इंडियन स्कूल और फिर हिन्दू स्कूल में भरती कराया गया।

स्कूली शिक्षा पूरी करके सत्येन्द्रनाथ बोस ने कोलकाता के प्रसिद्ध प्रेसीडेंसी कॉलेज में प्रवेश लिया। वह अपनी सभी परीक्षाओं में सर्वाधिक अंक पाते रहे और उन्हें प्रथम स्थान मिलता रहा। उनकी प्रतिभा देखकर कहा जाता था कि वह एक दिन पियरे साइमन, लेप्लास और आगस्टीन लुई काउथी जैसे गणितज्ञ बनेंगे।

सत्येन्द्रनाथ बोस ने सन्‌ 1915 में गणित में एम.एस.सी. परीक्षा प्रथम श्रेणी में सर्वप्रथम आकर उत्तीर्ण की। उनकी प्रतिभा से प्रभावित होकर सर आशुतोष मुखर्जी ने उन्हें प्राध्यापक के पद पर नियुक्त कर दिया। उन दिनों भौतिक विज्ञान में नई-नई खोजें हो रही थीं। जर्मन भौतिकशास्त्री मैक्स प्लांक ने क्वांटम सिद्धांत का प्रतिपादन किया था। उसका अर्थ यह था कि ऊर्जा को छोटे-छोटे हिस्सों में बाँटा जा सकता है।

जर्मनी में ही अल्बर्ट आइंस्टीन ने “सापेक्षता का सिद्धांत” प्रतिपादित किया था। सत्येन्द्रनाथ बोस इन सभी खोजों का अध्ययन कर रहे थे। बोस तथा आइंस्टीन ने मिलकर “बोस-आइंस्टीन स्टैटिस्टिक्स” की खोज की।

उन्होंने एक लेख लिखा- “प्लांक्स लॉ एण्ड लाइट क्वांटम” इसे भारत में किसी पत्रिका ने नहीं छापा तो सत्येन्द्रनाथ ने उसे सीधे आइंस्टीन को भेज दिया। उन्होंने इसका अनुवाद जर्मन में स्वयं किया और प्रकाशित करा दिया। इससे सत्येन्द्रनाथ को बहुत प्रसिद्धि मिली। उन्होंने यूरोप यात्रा के दौरान आइंस्टीन से मुलाकात भी की थी।

सन्‌ 1926 में सत्येन्द्रनाथ बोस भारत लौटे और ढाका विश्वविद्यालय में 1950 तक काम किया। फिर शांतिनिकेतन में विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति बने। उनका निधन 4 फरवरी 1974 को हुआ। अपने वैज्ञानिक योगदान के लिए वह सदा याद किए जाएँगे।

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