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Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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चौरी चौरा दिवस 

‘चौरी चौरा’ उत्तर प्रदेश के गोरखपुर ज़िले में स्थित एक कस्बा है। चौरी चौरा कस्बे में 4 फरवरी को स्वयंसेवकों ने बैठक की और जुलूस निकालने के लिये पास के मुंडेरा बाज़ार को चुना गया।

पुलिसकर्मियों ने उन्हें जुलूस निकालने से रोकने का प्रयास किया। इसी दौरान पुलिस और स्वयंसेवकों के बीच झड़प हो गई। पुलिस ने भीड़ पर गोली चला दी, जिसमें कुछ लोग मरे और कई घायल हो गए। गुस्साई भीड़ ने एक पुलिस स्टेशन में आग लगा दी, जिसमें 23 पुलिसकर्मी मारे गए।

कुछ भागने की कोशिश कर रहे पुलिसकर्मियों को पीट-पीटकर मार डाला गया। हथियारों सहित पुलिस की काफी सारी संपत्ति नष्ट कर दी गई।

गांधीजी ने पुलिसकर्मियों की हत्या की निंदा की और आस-पास के गाँवों में स्वयंसेवक समूहों को भंग कर दिया गया।

गांधीजी ने असहयोग आंदोलन में हिंसा का प्रवेश देख इसे रोकने का फैसला किया। उन्होंने अपनी इच्छा ‘कॉन्ग्रेस वर्किंग कमेटी’ को बताई और 12 फरवरी, 1922 को यह आंदोलन औपचारिक रूप से वापस ले लिया गया।

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