“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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सच्चाई की जीत

एक गाँव था, जिसका नाम मायापुर था। गाँव की सुंदरता का तो कुछ कहना ही नहीं था, क्योंकि उस गांव के किनारे ही एक विशाल जंगल था और उस जंगल में कई तरह के जंगली जानवर पशु-पक्षी रहा करते थे। एक दिन की बात है कि एक लकड़हारा लकड़ियों को लेकर जंगल के रास्ते से अपने गांव की ओर जा रहा होता है। तभी उसे अचानक एक रास्ते पर शेर मिल जाता है और उस लकड़हारे से कहता है, देखो भाई! आज मुझे कोई भी शिकार सुबह से नहीं मिला है और मुझे बहुत तेज भूख लगी है। मैं तुम्हें खाना चाहता हूँ और तुम्हें खा कर मैं अपनी भूख मिटाऊंगा।

तभी लकड़हारा घबराकर कहता है ठीक है अगर मुझे खाने से तुम्हारी भूख मिट सकती है और तुम्हारी जान बच सकती है तो मुझे ये मंज़ूर है। लेकिन उससे पहले में तुमसे कुछ कहना चाहता हूँ। शेर कहता है, कहो। तुम तो भैया अकेले हो और तुम्हारे पर किसी की ज़िम्मेदारी भी नहीं है परन्तु मेरे घर पर बच्चे बीवी भूख से व्याकुल हो रहे हैं। इस कारण मुझे यह लड़कियाँ बेचकर घर पर भोजन लेकर जाना होगा, परन्तु मैं तुमसे ये वादा करता हूँ कि मैं अपने बीवी और बच्चों को भोजन देकर तुरंत तुम्हारे पास आ जाऊंगा।

तभी शेर बड़ी तेज हँसता है और कहता है कि तुमने क्या मुझे पागल समझ रखा है। तुम्हें मेरा शिकार बनना ही पड़ेगा। तभी लकड़हारा रोता है और कहता है कृप्या मुझे जाने दो मैं अपना वादा नहीं तोडूंगा। शेर को उस पर दया आ जाती है और कहता है कि तुम्हें सूर्य डूबने से पहले ही आना होगा। लकड़हारा कहता है, ठीक है। जब लकड़हारा अपनी बीवी और बच्चों को भोजन देकर शेर के पास वापस आया तो शेर प्रसन्न होता है और कहता है, तुम्हें मार कर मैं कोई पाप नहीं करना चाहता। तुम ईश्वर के सच्चे भक्त हो। तभी लकडहारा शेर का धन्यवाद करता है और ख़ुशी ख़ुशी अपने घर लौट जाता है।

शिक्षा:-हमें हमेशा सच बोलना चाहिए क्योंकि सच्चाई से ही व्यक्ति को सफलता प्राप्त होती है..!!

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