एक बार की बात है एक पिता अपने सात साल के बेटे के साथ पतंग उड़ा रहे थे। पतंग काफी उचाई छू रही थी। वो लगभग बदलो को छूती हुई हवा के साथ लहरा रही थी। कुछ समय बाद बेटा पिता से बोला “पापा हमारी पतंग धागे की वजह से ऊपर नही जा रही हमे इस धागे को तोड़ देना चाहिए। इसके टूटते ही हमारी पतंग ऊपर चली जाएगी। पिता ने तुरन्त ऐसा ही किया। उन्होंने धागे को तोड़ दिया। फिर कुछ ही देर में पतंग और ऊपर जाने लगी। पुत्र के चेहरे पर खुशी दिखाई दी पर ये खुशी कुछ पल के लिए ही थी।
क्योंकि वह पतंग थोड़ी ऊपर जाने के बाद खुद ब खुद नीचे आने लगी और कही दूर जमीन पर आके गिर गयी। यह देख पिता ने बेटे को कहा “पुत्र जिंदगी की जिस उचाई पर हम है वहाँ से हमे अक्सर लगता है कि कुछ चीजें जिस से हम बंधे हुये है वो हमें उचाईयों पर जाने से रोक रही है। जैसे कि हमारे माता-पिता, अनुशासन, हमारा परिवार आदि। इसलिए हम कई बार सोचते है कि शायद में इसी वजह से Success नही हो रहा।मुझे इस से आजाद होना चाहिए।
जिस प्रकार से वह पतंग उस धागे से बंधी हुई रहती है उसी तरह से हम भी इन रिस्तो से बंधे हुये हैl वास्तव में यही वो धागा होता है जो पतंग को उचाईयों पर ले जाता है। हाँ जरूर तुम ये धागा तोड़ के यानी की अपने रिश्ते तोड़ के उचाईयों को छू सकते हो, लेकिन उस पतंग की तरह ही कभी ना कभी कट कर नीचे गिर जाओगे। पतंग तब तक उचाईयों को छूती रंहेंगी जब तक पतंग उस डोर से बंधी रंहेंगी। ठीक इसी तरह से हम जब तक इन रिश्तों से बंधे रंहेंगे तब तक हम उचाईयों को छूते रंहेंगे। क्योंकि हमारे जीवन मे सफलता रिश्तों के संतुलन से मिलती है।
शिक्षा: दोस्तों इस कहानी से हम आपको बस यही समझना चाहते हैं कि हमारे माता पिता हमे आगे बढ़ने से बिल्कुल रोक नही रहे बस वो रोक टोक करके उस धागे को टूटने से बचाना चाहते है। क्योंकि वो जानते है कि आप इस धागे को तोड़ के उचाईयों को नही छू सकते।