देवउठनी एकादशी आते ही बाज़ार में गन्नों की बहार आ जाती है तथा महीनों बाद ग्रीष्म की चिलचिलाती धूप में गले को तर करने के लिये गन्नारस की दुकानें थोड़ी-थोड़ी दूरियों पर नज़र आने लगती हैं। रिफ़ाइण्ड सफेद शक्कर, भूरी शक्कर (न कि व्यसन वाली ब्राउन शुगर), खाण्ड एवं गुड़ तैयार करने के लिये ऊष्णकटिबन्धीय घास के रूप में गन्ना विश्व के कई देशो में उगाया जाता है।
अपनी औषधीय उपयोगिता के भी लिये गन्ना (Ganna) कहीं-कहीं प्रसिद्ध है। गन्ने के लाभों को प्राप्त करना हो तो गन्ने का रस सर्वोत्तम रहेगा। इस गन्ने-रस में पौधे के नैसर्गिक Vitamins व खनिज भरपूर मात्रा में विद्यमान होते हैं।
आयुर्वेद व यूनानी चिकित्सा-पद्धति में रक्तस्राव, सूजन-जलन, बुखार, पीलिया सहित अन्य यकृत समस्याओं एवं मूत्रपथ समस्याओं के उपचार में गन्ने का प्रयोग पुराने समय से किया जाता रहा है।
गन्ने के रस में सर्दी-ज़ुकाम हल्का करने के गुण भी हैं। चुकन्दर भी रिफ़ाइण्ड सफेद शक्कर के लिये उगाया जाता है परन्तु दोनों पौधों में अभिलाक्षणिक विशेषताएँ होती हैं एवं दोनों को भिन्न-भिन्न भौगोलिक दशाओ में उगाया जा सकता है। गन्ने में Refined Sugar की अपेक्षा Vitamins व खनिज अधिक होते हैं तथा लौह, मैग्नीशियम, Vitamin B1 (थियामिन) व राइबोफ़्लेविन की भी कुछ मात्रा होती है।
गन्ना खाने के फायदे
1. एण्टिआक्सिडेण्ट्स : कोशिकाओ को हानि पहुँचा रहे मुक्तमूलकों से बचाते हुए एण्टिआक्सिडेण्ट्स स्वस्थ प्रतिरक्षा-तन्त्र (Immune System) बनाने व बनाये रखने में आवश्यक होते हैं। इस प्रकार स्किन कैन्सर, मलेरिया आदि रोगों से बचाव में गन्ने का रस उपयोगी हो सकता है।
2. त्वचा-स्वास्थ्य : गन्ने में अल्फ़ा हायड्राक्सिल एसिड होने से यह स्वस्थ व सुन्दर त्वचा को बनाये रखने मे सहायता कर सकता है। इसका रस पीने सहित त्वचा पर लगाने से एक्ने एवं चेहरे की जलन व सूजन से आराम मिल सकता है, त्वचा में नमी लायी जा सकती है एवं बढ़ती उम्र में जर्जर होती त्वचा को भी कुछ सीमा तक थामा जा सकता है।
3. गर्भवतियों व मधुमेहरोगियों के लिये भी हितकर : गर्भवतियों में Morning Sickness को कम करने में गन्ने को प्रभावी पाया गया है। मधुमेह रोगियों का ग्लायसेमिक इण्डेक्स विनियमित रखने में गन्ना सहायक है। गन्ने का खाण्ड तो ग्लुकोज़ घटाने व इन्स्युलिन-उत्पादन रोकने में उपयोगी पाया गया है।
4. उच्चरक्तचाप में : उच्चरक्तचाप के उपचार में गन्ना सहायता कर सकता है।
5. मूत्रवर्द्धक : गन्ना शरीर में मूत्र बनने की प्रक्रिया को बढ़ाता है जिससे अतिरेक लवणः अनावश्यक नमक शरीर से शीघ्र निकल पाता है एवं वृक्क सुचारु कार्य कर पाते हैं। नारियल-पानी के साथ गन्ना-रस मिलाकर पीने से कई प्रकार के मूत्रपथ-संक्रमणों में जलन से राहत होती पायी गयी है, चाहें तो अदरख भी मिला सकते हैं। गन्ना चबाने से अथवा गन्ने के रस का सेवन करने अथवा सिरप बनाकर पीने से मूत्रपथ समस्याओं में राहत हो सकती है।
6. दंतक्षरण धीमा करे : गन्ने में खनिजों की अधिक मात्रा के कारण यह टूथ-डीके एवं दुर्गंधयुक्त साँसों व मुख से दुर्गन्ध को मंद करता है। गन्ने के रेशे तो दंत समस्याओं से निज़ात दिलाने में किसी प्रभावी औषध से कम नहीं हैं। विशेष रूप से गन्ने को चबाकर रस प्राप्त करने से मसूढ़ों की नैसर्गिक मालिश हो जाती है एवं रक्तसंचार अच्छा भी हो जाता है एवं खनिजों का अवशोषण सीधे भीतर कुछ सहजता से हो पाता है।
7. अस्थियों में मजबूती : गन्ने में कैल्शियम,मैग्नीशियम, फ़ास्फ़ोरस, लौह व पोटेशियम की उपस्थिति से यह हड्डियों के स्वास्थ्य का सहायक है एवं इस प्रकार अस्थि-छिद्रण (ओस्टियोपोरोसिस) की आशंका को भी कम करता है।
8. कैन्सररोधी : क्षारीय माहौल में कैन्सर का बढ़ना वैसे भी कम हो पाता है, गन्ने में इसके अतिरिक्त पोटेशियम, कैल्शियम, मैग्नीशियम, लौह व मैंग्नीज़ की अधिकता होती है, इस कारण गन्ने के रस के नियमित सेवन से विशेष रूप से प्रोस्ट्रेट व ब्रेस्ट कैन्सर की सम्भावना को कुछ कम किया जा सकता है।
9. निर्जलीकरण से बचाये : गन्ने के रस में कैल्शियम, मैग्नीशियम, लौह व अन्य वैद्युत्-अपघट्यों 4 (इलेक्ट्रोलाइट्स) की अधिक मात्रा होने से शरीर में पानी की कमी को पूर्ण करने में उपयोगी है।
गन्ना खाने के नुकसान
1. अधिक शर्करा से हृदयरोग का जोख़िम बढ़ता है।
2. अधिक शर्करा होने से गन्ने के रस का अधिक सेवन उच्चरक्तचाप व मधुमेह सहित मोटापे, कोलेस्टॅराल स्तर जैसी स्थितियों को बिगाड़ सकता है।
3. यदि कभी गन्ने के रसविक्रय-केन्द्र से गन्ना-रस पीने की इच्छा हो तो वहाँ साफ़-सफाई की व्यवस्था को निकटता से परख लें, अन्यथा दूषित जलजनित अथवा वाहकजनित रोग (मच्छर-मक्खियों ) इत्यादि से फैलने वाले रोग) हो सकते हैं।
4. किसी भी प्रकार की रिफ़ाइण्ड शुगर्स से कई स्वास्थ्यगत समस्याएँ पनप सकती हैं, वैसे तो रिफ़ाइण्ड शुगर की तुलना में सीधे प्रयोग किया जाने वाला गन्ना अधिक पोषकों में समृद्ध होता है परन्तु उसका सेवन भी अत्यधिक मात्रा में न करें। जहाँ तक तक हो सके गन्ने को छोटे-छोटे टुकड़ों (अँगुली से भी छोटे) में काटकर चबाते हुए उसका सेवन करें।