“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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The prime minister of india (भारत के प्रधानमंत्री)

 

प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद

->संविधान के अनुच्छेद-74 में यह प्रावधान किया गया है कि राष्ट्रपति की कार्यपालिका शक्तियों में सहायता करने के लिए एक मंत्रिपरिषद होगी, जिसका अध्यक्ष प्रधानमंत्री होगा|
->संविधान के अनुच्छेद-75 में उल्लेख किया गया है कि प्रधानमंत्री व अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाएगी| लेकिन राष्ट्रपति किसे प्रधानमंत्री नियुक्त करेगा यह स्पष्ट नहीं किया गया है| सामान्य परंपरा यह है कि यदि किसी राजनीतिक दल को लोकसभा में बहुमत प्राप्त है तो उस दल के नेता को राष्ट्रपति प्रधानमंत्री नियुक्त करने के लिए बाध्य होता है|
->यदि किसी राजनीतिक दल को लोकसभा में बहुमत प्राप्त नहीं है या इसका कोई निश्चित नेता नहीं है तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की नियुक्ति के लिए स्वतंत्र होता है इस स्थिति में राष्ट्रपति सबसे बड़े दल के नेता को अथवा सबसे बड़े गठबंधन वाले दलों के नेता को प्रधानमंत्री नियुक्त करता है और राष्ट्रपति उसे 1 माह का समय देता है सदन में विश्वास मत हासिल करने के लिए|
->यह अनिवार्य नहीं है कि प्रधानमंत्री लोकसभा का सदस्य हो |राज्यसभा का सदस्य भी प्रधानमंत्री पद पर नियुक्त किया जा सकता है बशर्ते उसे बहुमत प्राप्त दल अपना नेता चुन ले|
->इंदिरा गांधी, एच. डी. देवगौड़ा, आई. के. गुजराल, डॉ मनमोहन सिंह ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो राज्यसभा के सदस्य रहे हैं|
->प्रधानमंत्री पद पर ऐसा भी व्यक्ति नियुक्त किया जा सकता है जो संसद के किसी भी सदन का सदस्य ना हो, बशर्ते उसे लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के सदस्य अपना नेता चुन लें लेकिन उसे 6 माह के अंदर संसद का सदस्य बनना अनिवार्य होता है|
->पी. वी. नरसिम्हा राव (1991) एवं एच. डी. देवगौड़ा (1996) प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करते समय किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे|

 

 

प्रधानमंत्री के कार्य और शक्तियां

 

 

->मंत्रियों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है लेकिन वे उन्हीं व्यक्तियों को मंत्री नियुक्त कर सकता है जिसकी सूची प्रधानमंत्री द्वारा दी जाती है|
->प्रधानमंत्री मंत्रीपरिषद का अध्यक्ष होता है इसलिए वह मंत्रिपरिषद के बैठकों की अध्यक्षता करता है| कार्यसूची तैयार करता है एवं मंत्रियों में विभागों का बंटवारा करता है|
->प्रधानमंत्री योजना आयोग, राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद, राष्ट्रीय विकास परिषद, अंतर्राज्यीय परिषद एवं राष्ट्रीय जल संसाधन का पदेन अध्यक्ष होता है|
->वह राष्ट्रपति को संसद का सत्र आहूत करने एवं सत्रावसान करने संबंधी परामर्श देता है|
->वह किसी भी समय लोकसभा के विघटन की अनुशंसा राष्ट्रपति से कर सकता है|
->संविधान के अनुच्छेद 78 के अनुसार वह प्रशासन तथा विधान संबंधी सभी निर्णयों की सूचना राष्ट्रपति को देता है|

प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद का कार्यकाल

->प्रधानमंत्री व मंत्रिपरिषद का सामान्यत: कार्यकाल 5 वर्ष का होता है|
->मंत्रीपरिषद का कार्यकाल लोकसभा पर निर्भर करता है| क्योंकि लोकसभा मंत्रीपरिषद को कार्यकाल समाप्त होने से पहले भी अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से पदमुक्त कर सकती है|
->एक मंत्री का कार्यकाल राष्ट्रपति पर निर्भर करता है| क्योंकि एक मंत्री को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से नहीं हटाया जा सकता इसे पदमुक्त करने का अधिकार राष्ट्रपति के पास है लेकिन वह प्रधानमंत्री की सलाह पर ही पदमुक्त कर सकता है|
[ NOTE-पीएम की मृत्यु और त्यागपत्र के साथ ही मंत्रीपरिषद भंग हो जाती है]

मंत्रियों के उत्तरदायित्व:-

->भारत में संसदीय शासन व्यवस्था है इसलिए मंत्रिपरिषद सामूहिक रूप से लोकसभा के प्रति उत्तरदायी होता है| यही कारण है कि यदि लोकसभा मंत्रिपरिषद के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पारित कर दें तो संपूर्ण मंत्रिपरिषद को त्यागपत्र देना पड़ता है इसलिए कहा जाता है “मंत्रीपरिषद रूपी जहाज एकसाथ तैरता है व एकसाथ डूबता है”|
->एक मंत्री व्यक्तिगत रूप से राष्ट्रपति के प्रति उत्तरदायी होता है|

संघीय मंत्रिपरिषद:-
->मंत्रिपरिषद तीन स्तरीय होता है|
(1)Cabinet Minister (केंद्रीय मंत्री)
(2)Minister of state (राज्य मंत्री)
(c)उपमंत्री

->91वें संविधान संशोधन 2003 के तहत मंत्रिपरिषद की अधिकतम सदस्य संख्या निर्धारित कर दी गई| जिसके अनुसार मंत्रीपरिषद की अधिकतम सदस्य संख्या लोकसभा की कुल सदस्य संख्या के 15% से अधिक नहीं हो सकती है|
->सभी कैबिनेट मंत्रियों, राज्य मंत्रियों एवं उप मंत्रियों को नि:शुल्क निवास स्थान तथा अन्य सुविधाएं प्राप्त होती है|
Cabinet Minister (केंद्रीय मंत्री)-यह अपने विभाग के अध्यक्ष होते हैं तथा सीधे प्रधानमंत्री के प्रति उत्तरदायी होते हैं|
Minister of state (राज्य मंत्री)
->राज्य मंत्री, कैबिनेट मंत्री के सहायक होते हैं| यदि किसी विभाग में कैबिनेट मंत्री नहीं है, तो राज्यमंत्री को स्वतंत्र प्रभार का राज्यमंत्री कहा जाता है| इस स्थिति में वे कैबिनेट मंत्री की तरह पूरी शक्ति व स्वतंत्रता के साथ कार्य करते हैं|
->राज्यमंत्री कैबिनेट का सदस्य नहीं होता है इसलिए वह कैबिनेट के बैठक में भाग नहीं लेते हैं|
[NOTE-यदि उनके मंत्रालय से संबंधित किसी कार्य हेतु उसे विशेष रूप से आमंत्रित किया जाय तो वे बैठक में भाग ले सकते हैं]
उपमंत्री
->उपमंत्री कैबिनेट का सदस्य नहीं होता है इसलिए वे कैबिनेट के बैठक में भाग नहीं लेता है|
->उन्हें कैबिनेट तथा अन्य राज्यमंत्रियों को उनके प्रशासनिक, राजनैतिक और संसदीय कार्यों में सहायता के लिए नियुक्त किया जाता है|
Important Points:-
->इंदिरा गांधी, एच. डी. देवगौड़ा, आई. के. गुजराल, डॉ मनमोहन सिंह ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो राज्यसभा के सदस्य रहे हैं|
->पंडित जवाहरलाल नेहरु जो भारत के प्रथम प्रधानमंत्री थे उनका कार्यकाल प्रधानमंत्री के रूप में 16 साल 9 महीने और 13 दिन है जो सबसे अधिक है|
->सबसे कम कार्यकाल प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी का रहा है 1996 में 13 दिन के लिए|
->चौधरी चरण सिंह एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री बने जिन्होने बहुमत साबित करने से पहले ही त्यागपत्र दे दिया,जिसके कारण वे प्रधानमंत्री के रूप में लोकसभा में कभी उपस्थित नहीं हुए|
->विश्वनाथ प्रताप सिंह ऐसे प्रथम प्रधानमंत्री थे जो विश्वास मत प्राप्त करने में असफल हुए|
->अटलबिहारी वाजपेयी एक ऐसे प्रधानमंत्री हुए जिनकी सरकार अविश्वास प्रस्ताव के दौरान एक मत से गिर गई थी|
->कैबिनेट मंत्रियों में सबसे बड़ा कार्यकाल जगजीवन राम का रहा, जो लगभग 32 वर्ष केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे|
->जवाहरलाल नेहरु, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी ये तीन ऐसे प्रधानमंत्री थे जिनकी मृत्यु कार्यकाल के दौरान हुई|
->पी. वी. नरसिम्हा राव (1991) एवं एच. डी. देवगौड़ा(1996) प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करते समय किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे|
->इंदिरा गांधी (1966, राज्यसभा MP उत्तर प्रदेश), इंद्रकुमार गुजराल (1997, राज्यसभा MP बिहार), तथा डॉ मनमोहन सिंह (2004,2009, राज्यसभा MP असम) प्रधानमंत्री का पद ग्रहण करते समय राज्यसभा के सदस्य थे|
->
भारत के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी तीनों संयुक्त अधिवेशन(दहेज निरोधक अधिनियम-1961, बैंकिंग सेवा अधिनियम-1978, पोटा-2002) में भाग लिए हैं|
->
भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार अगस्त 1963 में जे. बी. कृपलानी ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा था|
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अविश्वास प्रस्ताव के कारण सर्वप्रथम मोरारजी देसाई को प्रधानमंत्री पद से त्यागपत्र देना पड़ा|(1978 में)
->
इंदिरा गांधी की कांग्रेस सरकार के खिलाफ सबसे ज्यादा (15) अविश्वास प्रस्ताव रखे गए हैं|
->
इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री के पद पर रहते हुए लोकसभा का चुनाव हारने वाली प्रथम प्रधानमंत्री है|
->
प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने विपक्ष में रहते हुए दो बार अविश्वास प्रस्ताव पेश किए हैं
(1)इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ
(2)नरसिम्हा राव सरकार के खिलाफ

->भारतीय संविधान में उपप्रधानमंत्री पद की व्यवस्था नहीं है फिर भी कुछ व्यक्ति इस पद पर रह चुके हैं |
(1)सरदार वल्लभभाई पटेल (15 अगस्त 1947-15 दिसंबर 1950)-जवाहरलाल नेहरू मंत्रिमंडल में
(2)मोरारजी देसाई (21 मार्च 1967-6 दिसंबर 1969)-इंदिरा गांधी के मंत्रिमंडल में|
(3)चौधरी चरण सिंह (24 मार्च 1977-28 जुलाई 1979)-मोरारजी देसाई मंत्रिमंडल में|
(4)जगजीवन राम (24 मार्च 1977-28 जुलाई 1979)-मोरारजी देसाई
(5)यशवंतराव चौहान (28 जुलाई 1979-14 जनवरी 1980)-चौधरी चरण सिंह मंत्रिमंडल में|
(6)देवीलाल (2 दिसंबर 1989-21 जून 1991)-चंद्रशेखर सिंह मंत्रिमंडल में|
(7)लालकृष्ण आडवाणी (5 फरवरी 2002 22 मई 2004)-अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में|
परिभाषाएं:-
(1)लावेल:- “मंत्रिमंडल राजनीतिक भवन की आधारशिला है”|
(2)अंबेडकर:-“प्रधानमंत्री मंत्रीपरिषद रुपी भवन की आधारशिला है”|
(3)ग्लेडस्टोन:-“कैबिनेट वह सूर्य पिंड है” जिसके चारों ओर अन्य पिंड घूमते हैं|
(4)सर जॉन मेरिएट:-“मंत्रीपरिषद वह घूरी है जिस पर प्रशासन चक्र घूमता है|

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