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Maithili Sharan Gupt | मैथिलीशरण गुप्त 

Maithili Sharan Gupt 

National poet Maithili Sharan Gupta (3 August 1886 – 12 December 1964) is the first important poet of Khari Boli in the history of Hindi literature। He was addressed by the name ‘Dadda’ in the literary world। His work Bharat-Bharati (1912) proved to be quite influential during the time of India’s freedom struggle।His birth anniversary 3 August is celebrated every year as ‘Poet’s Day। With the inspiration of Mahavir Prasad Dwivedi ji, he made Khari Boli the medium of his works and made tireless efforts to make Khari Boli a poetic language through his poetry। In this way, leaving aside the rich poetic language like Braj language and being suitable for time and context, new poets made it the medium of their poetic expression। This is Gupta ji’s biggest contribution in the history of Hindi poetry।Protection of purity, morality and traditional human relations are the first qualities of Gupta ji’s poetry, which have been established and reflected in everything from ‘Panchavati’ to Jayadratha Vadh, Yashodhara and Saket। Saket is the highest peak of his creation।

मैथिलीशरण गुप्त 

राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त (3 अगस्त 1886 – 12 दिसम्बर 1964) हिन्दी साहित्य के इतिहास में खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि हैं। उन्हें साहित्य जगत में ‘दद्दा’ नाम से सम्बोधित किया जाता था। उनकी कृति भारत-भारती (1912) भारत के स्वतंत्रता संग्राम के समय में काफी प्रभावशाली साबित हुई थी।उनकी जयन्ती 3 अगस्त को हर वर्ष ‘कवि दिवस’ के रूप में मनाया जाता है। महावीर प्रसाद द्विवेदी जी की प्रेरणा से उन्होंने खड़ी बोली को अपनी रचनाओं का माध्यम बनाया और अपनी कविता के द्वारा खड़ी बोली को एक काव्य-भाषा के रूप में निर्मित करने में अथक प्रयास किया। इस तरह ब्रजभाषा जैसी समृद्ध काव्य-भाषा को छोड़कर समय और संदर्भों के अनुकूल होने के कारण नये कवियों ने इसे ही अपनी काव्य-अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया। हिन्दी कविता के इतिहास में यह गुप्त जी का सबसे बड़ा योगदान है।पवित्रता, नैतिकता और परंपरागत मानवीय सम्बन्धों की रक्षा गुप्त जी के काव्य के प्रथम गुण हैं, जो ‘पंचवटी’ से लेकर जयद्रथ वध, यशोधरा और साकेत तक में प्रतिष्ठित एवं प्रतिफलित हुए हैं। साकेत उनकी रचना का सर्वोच्च शिखर है।

 

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