एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में एक बूढ़े आदमी रहते थे। वे हमेशा सबको सुनाया करते थे कि “शब्दों की ताकत बहुत बड़ी होती है”। लेकिन किसी ने उनकी बातों को सीरियस नहीं लिया।
एक दिन, गाँव में एक बड़ा असहिष्णु भालू आया। वह गाँव के लोगों को डरा-धमका रहा था और उनकी संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहा था। सभी लोग बेहद परेशान थे, लेकिन कोई भी उस भालू के सामने नहीं जा सकता था।
इस संकट के समय में, वह बूढ़े आदमी एक नई सोच लाए। वह गाँव के लोगों को समझाने लगे कि शब्दों की ताकत को उन्हें इस संघर्ष में जीतने में मदद मिल सकती है।
उन्होंने एक बड़ी बैठक बुलाई और सभी को समझाया कि वे मिलकर उस भालू को उनके शब्दों की ताकत से हरा सकते हैं। सभी लोग सहमत हो गए और वे मिलकर उस भालू के सामने गए।
बूढ़े आदमी ने अपने शब्दों की ताकत से भालू को दमकाया और उसे समझाया कि उसका आतंक और हिंसा बेकार है। धीरे-धीरे, भालू ने अपना दृष्टिकोण बदला और उसने गाँव के लोगों से माफी मांगी।
इस कहानी से गाँव के लोगों ने सीखा कि शब्दों की सामर्थ्य किसी भी ताक़त से कम नहीं होती है। और वे सबको याद रखा कि अच्छे शब्द का प्रयोग करके ही वे बड़ी मुश्किलों का सामना कर सकते हैं।