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स्वास्तिक 

क्या आप जानते है स्वास्तिक को न केवल पूजन में बल्कि मुख्य द्वार आदि पर बना कर उसका लाभ लिया जा सकता है। जानने के लिए पढ़िए यह लेख। आपने कहीं न कहीं स्वास्तिक को बना हुआ देखा होगा। यह आपको मंदिर और घरों के मुख्य द्वार पर निश्चित रूप से दिखाई देता है। हिन्दुओं में यह बहुत ही पवित्र प्रतीक माना जाता है।स्वास्तिक भारतीय संस्कृति में मंगल और शुभ का प्रतीक होता है।

 

पुरातन काल से ही स्वास्तिक को पवित्रता के रूप में पूजा जाता है। आप भी स्वास्तिक को अपने अपने घरों में बनाते होंगे। परन्तु क्या आपने कभी विचार किया है की स्वास्तिक होता क्या है और इसका महत्त्व क्या है ? इस लेख में हम आपको स्वास्तिक से जुडी कुछ रोचक जानकारी दे रहे।

स्वास्तिक क्या है

स्वास्तिक कल्याण और मंगल का प्रतीक होता है। इसलिए प्राचीन काल से ही हिन्दू धर्म में किसी भी शुभ कार्य को करने से पहले स्वास्तिक को बनाया जाता है और उसका पूजन किया जाता है। यह एक आकृति होती है जिसे लाल रंग के सिंदूर या रोली द्वारा बनाया जाता है। इसमें चारों दिशाओं को दर्शाते हुए आकृति बनायीं जाती है। जो की चारों तरफ से कल्याण दायक होती है।

यह स्वास्तिक अपने अंदर सकारात्मक ऊर्जा को संजोये हुए है। यह मंगल और कल्याण करने वाला होता है इसलिए इसे भगवान् गणेश का प्रतीक भी माना जाता है। जब भी गणेश जी की पूजा की जाती है, तो वहां स्वास्तिक अवश्य ही बनाया जाता है।

क्या है स्वास्तिक के चारों रेखाओं के मायने ?

हिन्दू धर्म में स्वास्तिक के बीच वाले भाग को भगवान् वासुदेव की कमल नाभि माना गया है और उससे निकली रेखाओं को ब्रह्म पिता के चार मुंह, हाँथ व् चार वेदों के रूप में जाना जाता है। वहीं अन्य ग्रंथो में स्वास्तिक को चार युग और चार आश्रम यानी कि धर्म, काम,अर्थ, मोक्ष का संकेत माना जाता है।

स्वास्तिक का महत्त्व :

स्वास्तिक हिन्दू भावनाओं से तो जुड़ा हुआ है ही ,परन्तु स्वास्तिक का अपना एक विशेष महत्त्व भी है। इसके महत्त्व को आप कुछ इस तरह समझ सकते है-

  • स्वास्तिक में अगिनत सकारात्मक ऊर्जा होती है। यह पोसिटिव एनर्जी को अपनी ओर खींचती है। इसलिए इसे पूजा के समय या फिर लोग अपने घरों के मुख्य द्वार पर बनाते है। ताकि यह सकारात्मक ऊर्जा चारों दिशाओं से आ सके।
  • यदि स्वास्तिक को सही तरीके से बनाया जाता है तो यह कल्याण, एकाग्रता, रोग मुक्त शरीर, मंगल कार्य आदि को प्रदान करने वाला होता है। इसकारण ही लोग इसे किसी भी शुभ कार्य को करने से पूर्व बनाते है ताकि जो कार्य किया जायेगा वह सफल हो सके।
  • स्वास्तिक को लाल रंग से बनाया है। इसके पीछे का कारण यह है कि लाल रंग शक्ति को प्रदर्शित करता है और मंगल ग्रह का रंग भी लाल होता है। आपको बता दे कि मंगल ग्रह अपने शक्ति, पराक्रम और साहस के लिए जाना जाने वाला ग्रह है। और सबका मंगल हो इस कारण लाल रंग के स्वास्तिक की निर्मिति की जाती है।
  • घर के वास्तु के लिए भी स्वास्तिक बहुत ही शुभ माना जाता है। यदि किसी घर में वास्तुदोष होता है तो घर के मुख द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक बनाया जाता है। इससे नकारात्मक ऊर्जा घर में प्रवेश नहीं करती है। साथ ही दोष भी दूर हो जाते है। घर में सुख समृद्धि का वास होने लगता है।

 

स्वास्तिक देता है अनगिनत फायदे :

हिन्दू धर्म में स्वास्तिक मंगल का प्रतीक तो माना जाता है परन्तु इसके कई लाभ भी है जो कि निम्न है।

  • बुरी शक्तियों से बचाव –घर को बुरी नजर से बचाने के लिए स्वास्तिक का प्रयोग किया जाता है। घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाने से घर में बुरी शक्तियां प्रवेश नहीं कर पाती है।
  • स्वास्थ्य और गुड लक प्रदायक– स्वास्तिक गुड लक के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण होता है। स्वास्तिक माता लक्ष्मी का भी प्रतीक है। इसलिए यह गुड़ लक के साथ साथ स्वस्थ्य और समृद्धि भी प्रदान करता है।
  • शुभ वस्तु का प्रतीक –अनादि काल से भगवान गणेश के प्रतीक स्वास्तिक का उपयोग एक शुभ वस्तु के रूप में किया जाता रहा है।
  • मानसिक शांति के लिए उपयोगी – स्वास्तिक एकाग्रता में वृद्धि करने के भी सहायक होता है। इस कारण यह मानसिक शांति के लिए भी लाभकारी है। इसके होने से चिंता, डिप्रेशन, तनाव जैसे मानसिक रोग नहीं होते है। साथ ही नींद भी अच्छी आती है।

नोट –हिन्दू धर्म में ऐसा माना जाता है कि यदि पूजन करते समय स्वास्तिक का निर्माण नहीं किया जाए तो वह पूजा ज्यादा समय तक अपना प्रभाव नहीं रखती। साथ ही स्वास्तिक का निर्माण करते समय इस बात का भी ध्यान रखे की स्वास्तिक को सही तरीके से बनाये। उसे कभी भी गलत न बनाये नहीं तो इसका प्रभाव विपरीत असर भी दिखा सकता है।

अब आप समझ गए होंगे कि हिन्दू धर्म में स्वास्तिक का कितना महत्त्व है। इसलिए जब भी आप कोई विशेष कार्य करे तो स्वास्तिक को बना कर उसका पूजन करे फिर अपना कार्य आरंभ करें।

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