-> वायसराय लॉर्ड इरविन के समय भारत सचिव वर्किन हैड ने 3 नवंबर 1927 को साइमन की अध्यक्षता में 7 साइमन कमीशन का गठन किया |
-> 3 फरवरी 1928 को साइमन कमीशन मुंबई पहुंचा इसमें एक भी सदस्य भारतीय नहीं होने के कारण इसका विरोध किया गया | विरोध स्वरूप लाठीचार्ज में घायल होने के बाद 17 नवंबर 1928 को लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई|
-> साइमन कमीशन की रिपोर्ट पर विचार करने के लिए 1930, 1931, 1932 में लंदन में तीन गोलमेज सम्मेलन का आयोजन किया गया |
-> भीमराव अंबेडकर ने तीन गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया |
-> भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने 5 मार्च 1931 को हुए गांधी इरविन समझौते के आधार पर गांधी जी के नेतृत्व में केवल 1931 के दूसरे गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया |
-> 16 अगस्त 1932 को तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री रेम्जे मैकडोनाल्ड ने संप्रदायिकता के संबंध में एक घोषणा की जिसमें दलित सहित 11 समुदायों के लिए पृथक निर्वाचन मंडलों की व्यवस्था की गई | इस व्यवस्था का विरोध करते हुए 20 सितंबर 1932 को पुणे के यर्वदा जेल में गांधीजी ने अनशन प्रारंभ कर दिया |
-> मदनमोहन मालवीय और राजेंद्र प्रसाद के प्रयासों से 26 सितंबर 1932 को गांधीजी व अंबेडकर के मध्य एक समझौता हुआ जिसमें संयुक्त हिंदू निर्वाचन व्यवस्था के तहत दलितों के लिए स्थान आरक्षित रखने पर सहमति बनी | इस समझौते को पूना समझौता या पुणे पैक्ट के नाम से जाना जाता है यहीं से संविधान में आरक्षण की पद्धति शुरू हुई |
1935 का भारत शासन अधिनियम
-> यह 1 अप्रैल 1935 को लागू हुआ जिसमें 448 अनुच्छेद और 16 अनुसूचियां थी| इनमें से 321 अनुच्छेद और 10 अनुसूचियां भारत पर लागू होती थी तथा शेष बर्मा (म्यांमार) पर लागू होती थी |
-> पहली बार केंद्र व प्रांतों में तीन सूचियों के माध्यम से शक्तियों का विभाजन किया गया |
(1)संघीय सूची – संघ सरकार -> 59 विषय
(2)प्रांतीय सूची – प्रांतीय सरकार -> 54 विषय
(3)समवर्ती सूची – संघ सरकार -> 36 विषय
-> अवशिष्ट विषय (जो सूची में नहीं थे) वायसराय को प्रदान की गई जिसके कारण वायसराय को यह अधिकार प्राप्त हो गया कि किस विषय को किस सूची में शामिल करना है |
-> इस अधिनियम के तहत प्रांतों से द्वैध शासन समाप्त कर केंद्र में द्वैध शासन लागू किया गया तथा केंद्रीय प्रशासन के विषयों को दो भागों में में विभाजित कर दिया गया |
(1)आरक्षित
(2) हस्तांतरित
-> आरक्षित विषय जैसे रक्षा, विदेशी मामले गवर्नर जनरल अपनी परिषद की सहायता से करता था तथा हस्तांतरित विषयों का प्रशासन गवर्नर-जनरल अपनी मंत्रिपरिषद की सहायता से करता था जो विधानसभा के प्रति उत्तरदाई था |
-> प्रांतों में स्वायत्त शासन की स्थापना की गई प्रांतों पर से केंद्र का नियंत्रण समाप्त कर दिया गया अब प्रांतों के गवर्नर ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करते थे ना कि गवर्नर जनरल के अधीन |
-> इस एक्ट के अंतर्गत संघ लोक सेवा आयोग के गठन के साथ-साथ राज्य लोक सेवा आयोग और संयुक्त लोक सेवा आयोग के गठन का प्रावधान किया गया |
-> 11 प्रांतों में विधानसभा का गठन किया गया जिसमे से 6 प्रान्तों में द्विसदनीय विधानमंडल की स्थापना की गई तथा प्रांतीय व्यवस्थापिका में सांप्रदायिक निर्वाचन पद्धति का विस्तार कर उसमें आंग्ल-भारतीय, इसाई, यूरोपीय तथा हरिजनों को भी शामिल कर दिया गया |
-> भारत शासन अधिनियम 1935 के अधीन फरवरी 1935 में 11 प्रांतों में विधान मंडलों के चुनाव कराए गए जिसमें 6 प्रांतों में कांग्रेस को भारी सफलता प्राप्त हुई तथा तीन प्रांतों में कांग्रेस ने मिली जुली सरकार बनाई |
-> RBI(रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया) संघीय रेलवे प्राधिकरण की स्थापना की गई |
-> बर्मा को भारत से अलग किया गया |
अगस्त प्रस्ताव
-> 1940 को वायसराय लॉर्ड लिनलिथगो ने एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया जिसमें कहा गया कि भारत का संविधान बनाना भारतीयों का अपना एक अधिकार है और द्वितीय विश्वयुद्ध की समाप्ति पर भारत में औपनिवेशिक स्वराज्य स्थापित किया जाएगा जिसे अगस्त प्रस्ताव कहा जाता है |
-> कांग्रेस तथा मुस्लिम लीग दोनों ने इस प्रस्ताव पर असंतोष व्यक्त किया |
क्रिप्स मिशन 1942
-> मार्च 1942 में प्रधानमंत्री विस्टन चर्चिल ने सर स्टेफोर्ड क्रिप्स को भारतीय नेताओं से वार्ता करने हेतु भारत भेजा |
-> क्रिप्स ने यह प्रस्ताव दिया की द्वितीय विश्वयुद्ध के उपरांत नए संविधान की रचना के लिए निर्वाचित संविधान सभा का गठन किया जाएगा |
-> भारत को उपनिवेश का दर्जा दिया जाएगा एवं प्रांतों को संविधान स्वीकार करने या अपने लिए अलग संविधान निर्माण की स्वतंत्रता दी जाएगी |
-> मुस्लिम लीग ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया क्योंकि वह देश का संप्रदायिक आधार पर विभाजन चाहता था जिसे मंजूर नहीं किया गया जबकि कांग्रेस ने इस प्रस्ताव का विरोध इसलिए किया क्योंकि इस प्रस्ताव ने भारत को टुकड़ों में बांटने की संभावनाओं के द्वार खोल दिए थे |
-> महात्मा गांधी ने इसे बाद की तिथि का चेक post dated cheque कहा जबकि पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस प्रस्ताव को टूटते हुए बैंक के नाम बाद की तिथि का चेक कहा |
वेवेल योजना 1945
-> वायसराय लॉर्ड वेवेल ने एक विस्तृत योजना तैयार की जिसे वेवेल योजना कहा जाता है |
-> इस योजना के तहत केंद्र में नई कार्यकारिणी परिषद का गठन किया गया | परिषद में वायसराय तथा सैन्य प्रमुख के अतिरिक्त शेष सभी सदस्य भारतीय थे और प्रतिरक्षा विभाग वायसराय के अधीन था |
-> कार्यकारणी में मुस्लिम सदस्यों की संख्या हिंदुओं के बराबर थी |