“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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समय की कीमत

एक समय की बात है सुबह-सुबह एक गरीब व्यक्ति राजा के दरबार में पहुँचता है। और राजा को अपनी गरीबी की करुण गाथा बताने लगता है। राजा को उस व्यक्ति की दरिद्रा की कहानी सुनकर बहुत ही ज्यादा दुःख होता है और उस व्यक्ति के लिए दया आ जाती है।

करुणा के भाव से राजा उस दरिद्र से कहता है कि तुम आज सूर्यास्त होने से पहले खजाने में से जितना धन ले जा सको ले जाओ। वह दरिद्र व्यक्ति राजा की इस बात को सुनकर बहुत ही ज्यादा खुश हो जाता है,

वह सोचने लगता है की अब दुःख के दिन गए सूर्यास्त होने में तो अभी बहुत समय है आज दिन भर में तो मै इतना धन राजकोष से ले जाऊंगा जितने में मेरा कई पीढ़ी आराम से जीवन भर खा सकेगा।

यह सोचकर वह व्यक्ति प्रसन्नता की लालिमा लिए अपने घर की तरह चला गया और घर पहुंचकर अपनी पत्नी को सारी बातें सुना डाली की किस प्रकार उनके लिए राजा के मन में कितनी उदारता है।

पत्नी भी पति की इस बात को सुनकर खुशी से आनंदित हो उठी और बोली – यह तो बड़ी सौभाग्य की बात है, आप तुरंत जाइये और जितना अधिक हो वहां से धन लेकर आइये।

दरिद्र व्यक्ति बोला – मुर्ख स्त्री कितने दिन हो गए हैं मेने भोजन तक नहीं किया है ऐसे में भूखा रहकर धन को कैसे उठा कर ला पाउँगा भला? ऐसा कर पहले तू कहीं से उधार लेकर मेरे लिए भोजन तो बना।

मै तो भोजन करके ही जाऊंगा वैसे भी सारा दिन पड़ा है धन लाने के लिए अभी जल्दबाजी भी क्या है। बेचारी स्त्री क्या करती दौड़ी-दौड़ी गयी और बनिए से उधार में सामान लेकर आयी। जल्दी से खाना बनायीं और पति को खिलाई फिर राजमहल जाने के लिए तुरंत आग्रह करने लगी।

परन्तु दरिद्र व्यक्ति ने आज बहुत दिनों बाद डट कर खाना खाया था, उसे खाना खाते ही आलश्य आ गया उसने सोंचा कि थोड़ी देर में जाकर सोना ले आऊंगा अभी थोड़ा आराम कर लेता हूँ अतः वह आराम करने के लिए टेल गया। व्यक्ति गहरी नींद का आनंद लेने लगा, जैसे-तैसे करके उसकी पत्नी ने उसे उठाया और राजमहल की तरफ रवाना कर दिया।

वह व्यक्ति रास्ते में कुछ ही दूर गया था कि उसे एक नट दिखा जो बड़ा ही सुन्दर अभिनय कर रहा था व्यक्ति ने सोंचा क्यों ना कुछ समय तक यह नाटक देख लिया जाये फिर राजमहल तो जाना ही है। और एक बार भी वहां से हीरे जवाहरात ले आता हूँ फिर तो आराम ही आराम है।

वह व्यक्ति नाटक देखने के लिए वहीँ बैठ गया व देखते ही देखते वह राजमहल जाकर धन लाने की बात को भूल गया। जब नाटक समाप्त हुआ तब उसे धन वाली बात याद आयी और वह दौड़ते भागते राजमहल के पास पंहुचा अफसोस दिया हुआ समय निकल चूका था सूर्य अस्त हो चुकी थी।

बेचारे व्यक्ति को एक फूटी कौड़ी नसीब नहीं हुई वह जोर-जोर से रोता व सर को पटकता हुआ घर की तरफ वापस लौटा – उसने समय की कीमत को नहीं समझा इसलिए उसे पछताना पड़ा

इसलिए कहा भी गया है –
अब पछिताये होत क्या
जब चिड़िया चुग गयी खेत

दोस्तों समय का हमेशा सदुपयोग करें यह कितना कीमती है इसे बताने की आवश्यकता नहीं है इसे आप भली भांति समझते हैं। क्योंकि पैसा अगर एक बार चला गया तो उसे दोबारा पाया जा सकता है परन्तु जो समय बीत जाता है वह वापस नहीं आता।

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