“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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सबसे बड़ी गलती

प्रेरक प्रसंग

सबसे बड़ी गलती

पिताजी एक अच्छे चित्रकार थे, वे प्रतिदिन अच्छे-अच्छे चित्र बनाकर बाजार में बेचने जाया करते थे… उन्होंने अपने बेटे को भी यह कला सिखाई थी. दोनों ही मिलकर चित्र बनाते और उसे बाजार में शाम को बेचने के लिए ले जाते. पिता की मूर्तियां तो हर दिन बेटे से जल्दी और अच्छे दाम में बिक जाती थीं पर बेटे की मेहनत कुछ खास रंग नहीं ला पा रही थी.. जब दोनों बाजार से लौट रहे थे, तो बेटे ने पिता से पूछा- “पिताजी हम दोनों ही चित्र बनाने में बराबर मेहनत करते हैं लेकिन आपकी चित्रकारी बहुत जल्दी और दस रूपये की दर से बिकतीं हैं लेकिन मेरी मूर्तियां बहुत कम बिकतीं हैं और जो उन्हें खरीदता है वो मेरी चित्रकारी के सिर्फ 1-2 रूपये ही देते हैं, ऐसा हमेशा मेरे साथ ही क्यों होता है?”

पिता ने बेटे की बात को गंभीरता से लेते हुए कहा- “बेटे! मुझे पता है कि तुम चित्रकारी के लिए बहुत मेहनत करते हो लेकिन तुम्हारी कला में अभी भी बहुत सारी गलतियाँ हैं और तुम उसे हमेशा सुधारने का प्रयास करो. जब तक तुम अपनी गलतियाँ सुधार नहीं लेते तब तक चित्र बिकने की उम्मीद करना भी बेकार है.”

लड़का बहुत समझदार था उसने तुरंत ही पिता की बातें गाँठ बाँध लीं और गलतियाँ सुधारने में लग गया.

वक्त बीतते गये और अब उसकी मेहनत रंग लाने लगी.., बेटे की चित्रकारियां जल्दी से और 5 रूपये की दर से बिकने लगी. अब वह पहले से खुश था. उसने यह खुशी अपने पिताजी के साथ साझा की. पिताजी ने बेटे को खुश देखते हुए कहा- “बेटा! तुम मेहनती हो लेकिन अभी भी कुछ गलतियाँ रह गई हैं इसलिए पुनः उन्हें सुधारने का प्रयत्न करो.”

और सुधारने की प्रक्रिया उसने जारी रखी, और धीरे से उसकी चित्रकारियां भी अब 10 रूपये की दर से बिकने लगी, और इसी गति से अब वह कार्य करने लगा. जिसकी बदौलत अब वह पिता से भी आगे जा निकला, उसकी चित्रकारी अब बाजार में 20 रूपये की दर से बहुत जल्दी बिक जाती थी.

एक रोज जब वे दोनों बाजार से लौट रहे थे तो बेटे ने पिता से कहा- “पिताजी अब तो मेरी चित्रकारी आपसे भी जल्दी और दोगुने दाम में बिक जाती है।

पिताजी मुस्कुराते हुए बोले- “ये तो बहुत ख़ुशी की और अच्छी बात है बेटा! लेकिन अभी भी इसमें बहुत सुधार की आवश्यकता है। इसलिए तुम अपनी गलतियां हमेशा सुधारने का प्रयास करो, खुद को और भी बेहतर बनाने के प्रयास करो।

बेटे के चेहरे पर थोड़ी उदासी-सी छा गयी यह देख पिताजी ने पूछा- क्यों क्या हुआ ?

पिताजी आप हमेशा खुद में हमेशा अच्छा बदलाव लाने और सुधार की बात ही क्यों करते हैं? अब जबकि मैं आपसे भी अच्छे चित्र बना लेता हूँ। और मुझे आपसे भी ज्यादा पैसे मिलते हैं।

पिताजी नम्र भाव से बोले- बेटे! जीवन में कभी भी अपने अंदर अहम की भावना आने मत देना। जब मैं तुम्हारे उम्र का था तब तुम्हारे दादाजी ने भी मुझे यह बात सिखाई थी कि हमेशा गलतियों को सुधारने का प्रयास करो और अपनी कला के साथ खुद में भी अच्छा परिवर्तन लाने का प्रयास करो तभी तुम अपने जीवन में कुछ बड़ा कर पाओगे। लेकिन मैंने उनकी बात को अनसुना कर दिया जिस कारण मैं आज वहीँ का वहीँ ठहर कर रह गया लेकिन मैं नहीं चाहता की जो गलती मैंने अपने जीवन में दोहराई है वो तुम अपने जीवन में कभी करो। इसलिए यदि तुम्हें जिंदगी में कुछ बड़ा करना है आगे बढ़ते रहना है तो अपनी कला को निखारना, उसमें लगातार अच्छे बदलाव लाना ये सभी तुम्हारी जिम्मेदारी है इसलिए यदि तुम्हें एक ही जगह ठहर कर नहीं रहना है तो आज से ही अपनी गलतियां सुधारने का प्रयास करो।

अब बेटे को अपनी सबसे बड़ी गलती का ज्ञान हो गया था और उसने ठान लिया की अब वह लगातार बदलाव के साथ कार्य करेगा। उसने पिताजी को धन्यवाद कहा और दोनों अपने घर जाने लगे…

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