“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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“मिट्टी के बर्तन”

“मिट्टी के बर्तन”

आज से लगभग 25-30 वर्ष पूर्व हमारे घर पर भोजन निर्माण में अधिकतर मिट्टी के बर्तन का ही उपयोग होता था,दाल बनाने के लिए हांडी,ढकने के लिए ढकनी, सब्जी के लिए भणई(कढ़ाई),दाल बघारने में दीपक,रोटी बनाने के लिए कड़ेली, उन्दाइला ओर भी कई बर्तन होते थे…।
जैसे जैसे हम आधुनिक होते गए अपने अद्भुत ज्ञान को खोते गए,मिट्टी की जगह आज पूरी तरह स्टील ने ले ली…
हम क्या खाते हैं इसका प्रभाव हमारे स्वास्थ्य पर अवश्य पड़ता है, लेकिन हम किस प्रकार के बर्तन में भोजन कर रहे हैं, इसका भी असर हमारे स्वास्थ्य एवं स्वभाव दोनों पर देखने को मिलता है…।
ऐसा हम नहीं, आयुर्वेद कहता है, किस धातु में हम खाना खा रहे हैं, उसका हमारी सेहत पर खास असर होता है… !!!

#सोना
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आयुर्वेद के अनुसार सोना एक गर्म धातु है…. इससे बने पात्र में भोजन बनाने और करने से शरीर के आन्तरिक और बाहरी दोनों हिस्से कठोर, बलवान, ताकतवर और मजबूत बनते हैं…सोने से बने बर्तन में भोजन करना आंखों के लिए भी लाभदायक है, यह आंखों की रोशनी बढ़ाता है…।

#चांदी
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सोने से विपरीत, चांदी एक ठंडी धातु है…. अगर इस धातु से बने पात्र में आप भोजन कर रहे हैं, तो यह आपके शरीर को आंतरिक ठंडक पहुंचाती है…. शरीर को शांत रखती है इसके पात्र में भोजन बनाने और करने से दिमाग तेज होता है… चांदी भी आंखों के लिए फायदेमंद है…. इसके अलावा पित्तदोष, कफ और वायुदोष को नियंत्रित करता है चांदी के बर्तन में भोजन करना…।

#कांसा
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अगर आप कांसे के बर्तन में भोजन कर रहे हैं, तो आपको बता दें कि भोजन करने के लिए इससे अच्छी धातु कोई नहीं है…क्योंकि यह आपको एक नहीं, बल्कि अनेक फायदे देता है..
कांसे के बर्तन में खाना खाने से बुद्धि तेज होती है, रक्त में शुद्धता आती है, रक्तपित शांत रहता है और भूख भी बढ़ती है… लेकिन एक बात का ध्यान रखें, कांसे के बर्तन में खट्टी चीजें नहीं परोसनी चाहिए…क्योंकि खट्टी चीजें इस धातु से क्रिया करके विषैली हो जाती हैं, जो नुकसान देती है…।

#तांबा
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तांबे के संदर्भ में एक बात तो सभी जानते हैं, कि इस धातु से बने बर्तन में रखा पानी पीने से व्यक्ति रोग मुक्त बनता है…. ऐसा पानी पीने से रक्त शुद्ध होता है, स्मरण-शक्ति अच्छी होती है, लीवर संबंधी समस्या दूर होती है…।
यह पानी शरीर के विषैले तत्वों को खत्म कर देता है, जो कि अपने आप ही मोटापा कम करने में सहायक सिद्ध होता है…लेकिन केवल पानी ही नहीं, इस प्रकार के बर्तन में भोजन करना भी फायदेमंद है…यह बर्तन भोजन के पौष्टिक गुणों को बनाए रखता है…. लेकिन तांबे के बर्तन में भूल से भी दूध नहीं पीना चाहिए…आयुर्वेद के अनुसार ऐसा करने से शरीर को नुकसान होता है…।

#पीतल
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पीतल के बर्तन में भोजन पकाने और करने से कृमि रोग, कफ और वायुदोष की बीमारी नहीं होती… पीतल के बर्तन में खाना बनाने से केवल 7 प्रतिशत पोषक तत्व नष्ट होते हैं….।

#लोहा
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लोहा यानि आयरन… इसमें भोजन करेंगे तो शरीर को ढेर सारा आयरन मिलेगा, जो कि भरपूर ऊर्जा पाने के लिए बेहद जरूरी है…. लोहे के बर्तन में बने भोजन खाने से शरीर की शक्ति बढ़ती है… लौह तत्व शरीर में जरूरी पोषक तत्वों को बढ़ाता है…।
इसके अलावा लोहा कई रोगों को भी खत्म करता है…यह शरीर में सूजन और पीलापन नहीं आने देता, कामला रोग को खत्म करता है, और पीलिया रोग को भी दूर रखता है… लेकिन लोहे के बर्तन में खाना नहीं खाना चाहिए क्योंकि इसमें खाना खाने से बुद्धि कम होती है और दिमाग का नाश होता है….लोहे के पात्र में दूध पीना अच्छा होता है…।

#स्टील

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अब यह एक ऐसी धातु है, जो अमूमन सभी घरों में बर्तन के रूप में पाई जाती है… आजकल मार्केट में बर्तन के नाम पर सबसे अधिक स्टील ही पाया जाता है… स्टील के संदर्भ में सब यह कहते हैं कि इस तरह के पात्र में भोजन करना नुकसानदेह होता है, लेकिन यह सच नहीं है…।
स्टील के बर्तन नुकसान दायक नहीं होते क्योंकि ये ना ही गर्म से क्रिया करते हैं और ना ही ठंडे से….। इसलिए ये किसी भी रूप में हानि नहीं पहुंचाते… लेकिन यह भी सच है कि इसमें खाना बनाने और खाने से शरीर को कोई फायदा नहीं पहुंचता, किंतु कोई नुकसान भी नहीं पहुंचता….।

#एल्यूमिनियम
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बर्तनों की श्रेणी में एल्यूमिनियम भी काफी प्रसिद्ध है… आज भी कई घरों में इस धातु के बर्तन मिल जाते हैं….एल्यूमिनियम बॉक्साइट का बना होता है, इसमें बने खाने से शरीर को सिर्फ नुकसान होता है…

आयुर्वेद के अनुसार यह आयरन और कैल्शियम को सोखता है, इसलिए इससे बने पात्र का उपयोग नहीं करना चाहिए….
एल्यूमिनियम से बने पात्र में भोजन करने से इससे हड्डियां कमजोर होती हैं, मानसिक बीमारियां होती हैं, लीवर और नर्वस सिस्टम को क्षति पहुंचती है….उसके साथ साथ किडनी फेल होना, टी बी, अस्थमा, दमा, बात रोग, शुगर जैसी गंभीर बीमारियां होती हैं….।
एल्यूमिनियम के नाम पर लोगों के घरों में प्रेशर कुकर आसानी से मिल जाता है….लेकिन बता दें कि एल्यूमिनियम के #प्रेशर_कुकर से खाना बनाने से 87 प्रतिशत पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं… तो यह बात साफ है कि इस बर्तन का प्रयोग बंद कर देना चाहिए…।

उपरोक्त बताए गए जितने भी बर्तन हमने बताए, उसमें से यदि सबसे पहले किसी बर्तन को चुनने की हम सलाह देंगे, तो वह है मिट्टी के बर्तन जी हां… यही एकमात्र ऐसा पात्र है जिसमें भोजन करने से 1 प्रतिशत भी नुकसान नहीं होता… केवल फायदे ही फायदे मिलते हैं…।

आपको बता दें कि मिट्टी के बर्तनों में खाना पकाने से ऐसे पोषक तत्व मिलते हैं, जो हर बीमारी को शरीर से दूर रखते थे… इस बात को अब आधुनिक विज्ञान भी साबित कर चुका है कि मिट्टी के बर्तनों में खाना बनाने से शरीर के कई तरह के रोग ठीक होते हैं….।

आयुर्वेद के अनुसार, अगर भोजन को पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाना है तो उसे धीरे-धीरे ही पकना चाहिए…. भले ही मिट्टी के बर्तनों में खाना बनने में वक़्त थोड़ा ज्यादा लगता है, लेकिन इससे सेहत को पूरा लाभ मिलता है…।

दूध और दूध से बने उत्पादों के लिए सबसे उपयुक्त है मिट्टी के बर्तन…मिट्टी के बर्तन में खाना बनाने से पूरे 100 प्रतिशत पोषक तत्व मिलते हैं…और यदि मिट्टी के बर्तन में खाना खाया जाए तो उसका अलग से स्वाद भी आता है…
मिट्टी के बर्तन में खाना स्वास्थ्यवर्धक – मिट्टी अमृत समान

मिट्टी में अनेकों प्रकार के विटामिन्स, खनिज, धातु रस इत्यादि होते हैं जो इसे औषधिय गुणों से परिपूर्ण बनाते हैं। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने भी मिट्टी की महिमा का गुणगान किया है, हमारा शरीर भी इसी मिट्टी से बना है….मिट्टी के भी कुछ प्रकार होते हैं जैसे- काली मिट्टी, पीली मिट्टी, लाल मिट्टी और सफेद मिट्टी। काली मिट्टी चिकनी और काले रंग की होती है, इसे लगाने से ठंडक मिलती है, विष प्रभावित स्थान पर तुरंत काली मिट्टी का लेप लगाने से फायदा होता है…प्राकृतिक चिकित्सा में भी मिट्टी का उपयोग किया जाता है…।

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