“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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व्यर्थ का परिश्रम

एक प्राचीन प्रेरक कथा है। एक बार एक संत समुद्र किनारे टहल रहे थे। तभी अचानक जोर का तूफान आया। तूफान के प्रभाव से ऊंची ऊँची समुद्र की लहरें उठने लगीं। उन लहरों के साथ सैकड़ों मछलियां बाहर आकर गिरने लगीं। जल से बाहर हो जाने के कारण मछलियां तड़पने लगीं। स्वाभाविक दयालुता के कारण संत उन मछलियों को उठा उठाकर वापस समुद्र में फेंकने लगे। लेकिन मछलियों की संख्या सैंकड़ों में थी। जिस कारण वे सबको वापस नहीं फेक सकते थे।

तब भी वे अपने प्रयास में लगे रहे। वहां से गुजरने वाले एक व्यक्ति ने उन्हें देखकर कहा, “आप व्यर्थ का परिश्रम कर रहे हैं। आप सारी मछलियों को वापस नहीं फेंक सकते। फिर यह तो रोज का काम है। आपके इस परिश्रम से कोई फर्क नहीं पड़ेगा।” संत ने एक तड़पती मछली को उठाकर वापस समुद्र में फेंकते हुए कहा, “इसे तो फर्क पड़ेगा न। मेरे परिश्रम से इसका तो जीवन बच जाएगा यही बहुत है।”

Moral:-अगर हमारे प्रयास से किसी एक का भी भला हो सके तो हमें जरूर प्रयास करना चाहिए।

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