“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers……….
An Initiative by: Kausik Chakraborty.

The Knowledge Library

विटामिन डी का महत्व और फायदे ! Importance Benefit of Vitamin – D

विटामिन – डी क्या है ? (What Is Vitamin D)

Vitamin – D Means कॅल्सिफ़ेराल एक वसा-विलयशील (Fat में घुलनशील) Vitamin है जो कि कुछ खाद्य पदार्थों में होता है एवं धूप से Vitamin – D का संश्लेषण शरीर में प्रेरित भी हो जाता है।

Vitamin – D के महत्त्व की अनदेखी इतनी अधिक की जाती है कि 70 से 90 प्रतिशत भारतीयों व लगभग 75 प्रतिशत अमेरिकियों में Vitamin – D की कमी है। Vitamin – D सूर्य से निकली धूप में इतना सुलभ है फिर भी अधिकांश लोगों में इसकी कमी आश्चर्यजनक लग सकती है।

Vitamin – D मानव-शरीर में यकृत व किड्नीज़ में सक्रिय रूपों में रूपान्तरित हो जाता है। प्रत्यक्ष रूप से Vitamin – D अस्थियों व माँसपेशियों की सामान्य कार्य प्रणाली के लिये जरुरी है। विटामिन डी 2 मक्खन, सोयाबीन, सूखे मेवों इत्यादि में पाया जाता है परन्तु Vitamin – D3 दुग्धोत्पादों व सूर्यप्रकाश से मिलता है।

Vitamin – D का परोक्ष महत्त्व

1. Vitamin – D पाचन-अंगों में फ़ास्फ़ोरस व कैल्शियम के अवशोषण को बढ़ावा देता है व पर्याप्त सीरम कैल्शियम व फ़ास्फ़ेट सान्द्रणों को बनाये रखता है जिनसे अस्थियों में सामान्य खनिज-मात्राएँ संतुलित रह पाती हैं व कैल्शियम की कमी से होने वाली टिटेनी से बचाव होता है जिसमें कि पेशियों का अनैच्छिक संकुचन होने लगता है जिससे ऐंठन व जकड़न होती हैं।

2. पेरा थायराइड ग्रंथियों द्वारा वृक्कों, पाचन अंगों व कंकाल से समन्वय में शरीर में कैल्शियम का संतुलन रखा जाता है। आहार में पर्याप्त Calcium एवं पर्याप्त Vitamin D होने से आहार का Calcium भली भाँति अवशोषित हो पाता है व पूरे शरीर में उपयोग में आता है.

किन्तु यदि Calcium-सेवन अपर्याप्त हो या Vitamin – D कम हो तो पेराथायराइड ग्रंथियाँ कंकाल से Calcium को खींच लेती हैं ताकि Blood के Calcium को सामान्य परास Normal रेन्ज में रखा जा सके।

3. आस्टियोक्लास्ट्स व आस्टियोब्लास्ट्स द्वारा बोन रिमाडिलिंग व Bonn Growth के लिये भी यह जरूरी है. पर्याप्त Vitamin – D न हो तो अस्थियाँ पतली, भंगुर व विकृत आकृति की हो सकती हैं. यह Vitamin पर्याप्त हो तो बच्चों में रिकेट्शिया व वयस्कों में आस्टियोमेलेषिया अस्थियाँ कोमल पड़ने से बचाव होता है।

Calcium के साथ मिलकर यह वृद्धों को आस्टियोपोरोसिस अस्थियाँ टूटने की आशंका बढ़ने से बचाने में भी सहायक है, आहार में उपस्थित Calcium के अवशोषण में Vitamin – D सहायक है। Vitamin – D व Calcium दंत-स्वास्थ्य के भी लिये महत्त्वपूर्ण हैं।

4. यह विटामिन सूजन-जलन को घटाता है।

5. तन्त्रिकीय-पेशिय व प्रतिरक्षा प्रकार्य सहित ग्लुकोज़ मेटाबालिज़्म एवं कोशिका-वृद्धि जैसी प्रक्रियाओं का माड्यूलेशन करता है।

6. कोशिका-प्रचुरण, विभेदन व एपाप्टोसिस का नियमन करने वाले Proteins को एन्कोड करने वाले कई जीन्स कुछ सीमा तक Vitamin – D द्वारा माड्यूलेट होते हैं।

7. कुछ अनुसंधानों में उच्च रक्तचाप, कैन्सर, हृद्वाहिकागत विकारों (हृदय व धमनियों से सम्बन्धित गड़बड़ियों) एवं Autoimmune रोगों सहित मधुमेह व संक्रमणों से बचाव में भी Vitamin – D को सहायक पाया गया है।

बाहर से Vitamin – D कैसे आता ?

1. आहारों में Vitamin – D दो रूपों एर्गोकेल्सिफ़ेरोल (डी2) व कोलेकेल्सिफ़ेरोल (डी3) में मिलता है जो छोटी आँत द्वारा भली प्रकार अवशोषित हो जाते हैं।

पाचन अंगों में तात्कालिक रूप से उपस्थित वसा Vitamin – D के अवशोषण को बढ़ाता है परन्तु कुछ Vitamin – D आहारीय वसा के बिना भी अवशोषित हो जाता है।

मशरूम, संतरे व पनीर सहित सोयाबीन, साबुत अनाजों, तैलों, दालों व अन्य फलियों, बीजों, सूखे मेवों एवं कुछ सब्जियों में Vitamin – D होता है.

कई देशो में दुग्धोत्पादों सहित ब्रेड इत्यादि में Vitamin – D सहित कुछ पोषक तत्त्व मिलाने जरूरी किये गये हैं जो उनमें नैसर्गिक रूप से नहीं या कम पाये जाते हैं एवं Processing के दौरान घट भी चुके हो सकते हैं.

किन्तु उत्पाद के पैकेट पर फ़ार्टिफ़ाइड लिखा है कि नहीं यह जरुर देखें ताकि पोषक तत्त्व अलग से मिलाने की इस फ़ार्टिफ़िकेशन प्रक्रिया की पुष्टि हो सके। खमीर (Yeast) इत्यादि में भी Vitamin – D पाया जाता है एवं पराबैंगनी-विकिरण द्वारा इसमें Vitamin – D की मात्रा बढ़ायी जाती है।

2. धूप – सूर्यप्रकाश सनस्क्रीन रहित, काँचरहित व खुली मानव-त्वचा से प्रवेश करके शरीर में Vitamin – D का संश्लेषण कराता है। अतः कोमलांगी न बने रहकर बाहर धूप में परिश्रम करना व नैसर्गिक परिवेश में रहना जरूरी है जिसके लिये साईकल चलाना, रस्सी कूदना एवं धूप में अनाज, शक्कर, दाल इत्यादि बीनने जैसे कार्य उत्तम हैं।

Vitamin – D की कमी के कुछ लक्षण

1. प्रतिरक्षा तन्त्र दुर्बल पड़ना
2. दुर्बल अस्थियाँ व अस्थियों सहित माँसपेशीयों में दर्द
3. अवसाद
4. थकान
5. घाव देर से भरना
6. बाल झड़ना

विटामिन डी की जाँच कैसे ?

रक्त-परीक्षणों या आवश्यकतानुसार एक्स-रे (X-Rey) के माध्यम से पुष्टि की जाती है कि व्यक्ति में Vitamin – D की कमी है अथवा नहीं।

Vitamin – D का अवशोषण कम क्यों ?

साधारणतया सभी पोषक तत्त्वों के समान Vitamin – D के भी सन्दर्भ में यह बात लागू होती है कि इसकी उपलब्धता पर्याप्त नहीं है बल्कि शरीर में इसका अवशोषण भी तो होना चाहिए, अतः इस Article में पढ़े अनुसार सावधानियाँ बरतते हुए उन कारणों को जानें जिनसे Vitamin – D का अवशोषण कम हो सकता है.

1. धूप में कम निकलने से, वैसे आजकल आलस्यवश कई युवा भी कमरे के अंदर ही रहने के प्रयास करते हैं व वृद्धों की त्वचा Vitamin – D का अवशोषण अधिक समय में कर पाती है. इस कारण पर्याप्त धूप अत्यन्त जरूरी है।

बच्चे हों या बड़े सब खुली धूप के महत्त्व को समझें एवं धूप में व्यर्थ न बैठ-घूमकर कुछ सार्थक गतिविधि या बाहर किया जा सकने वाला घरेलु या कार्यालयीन कार्य करें, जैसे कि साफ-सफ़ाई, बागवानी, गमलों की मिट्टी बदलना, खाद-पानी देना इत्यादि।

2. वृक्क यदि Vitamin – D को सक्रिय रूप में परिणत न कर पा रहे हों या यकृत सम्बन्धी कोई असामान्यता हो

3. पाचन-परिपथ से Vitamin – D का अवशोषण पर्याप्त न हो रहा हो, जैसा कि स्पष्ट हो जाना चाहिए कि हर बार थाली में अधिकाधिक विविधता होनी आवश्यक है क्योंकि अनेक पोषकों की उपस्थिति अन्य पोषकों के अवशोषण में जरूरी होती है, इसलिये सलादों व मिश्रित भोजन पर ज़ोर दें।

4. खाद्यों में Vitamin – D की पर्याप्त मात्रा न मिल रही हो

5. बिना प्रामाणिक Medical Subscription के ली जा रही दवाओं के कारण

6. शारीरिक सौन्दर्य इत्यादि के नाम पर तथाकथित बाडी-बिल्डिंग (Body Building) व जिमिंग जैसी कृत्रिमताओं के कारण Vitamin – D की कमी के अतिरिक्त भी अन्य हानियाँ तो होती ही हैं. यदि सीमित मात्रा में स्टेरायड ड्रग्स का सेवन किया जा रहा हो तो कम मात्रा में भी इससे भी Vitamin – D की आशंका उत्पन्न हो जाती है।

7. Vitamin – D के अवशोषण में ट्रान्स व सेचुरेटेट फ़ैट्स (Trans And Saturated Fats) सहित सोडियम व एैडेड शुगर्स भी अवरोध हैं, जैसे कि माँसाहार, जंक व फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड, सोफ़्ट ड्रिंक्स एवं अन्य डिब्बाबंद व प्रोसेस्ड फ़ूड्स।

Sign up to Receive Awesome Content in your Inbox, Frequently.

We don’t Spam!
Thank You for your Valuable Time

Share this post