व्रतोपवास में या प्रसाद के रूप में अधिक सेवन किया जाने वाला मखाना (Makhana) वास्तव में कई गुणों का स्रोत सिद्ध हो सकता है। एक प्रचलित भ्रम है कि मखाना (Fox Nut) कमल-बीजों (Lotus-Seeds) को कहा जाता है जबकि वास्तविकता तो यह है कि मखाना का वानस्पतिक नाम यूरैल फ़ेरोक्स है जो कि काँटेयुक्त लिली जैसा पौधा है एवं पत्ती के डण्ठल व फलों तक पर छोटे-छोटे काँटे लगे होते हैं तथा कमल का वानस्पतिक नाम तो निलम्बो न्युसिफ़ेरा है।
मखाना की बड़ी-बड़ी गोलीय पत्तियों को पानी की सतह पर तैरती हरी तश्तरियों के समान देखा जा सकता है। लाल, नीले अथवा जामुनी पुष्प कमल जैसे लगते हैं। मखाना के फल व बीज खाये जाते हैं। एक फल में 8 से 20 तक बीज हो सकते हैं। हमें जो मखाना बाज़ार में मिलते हैं वह वास्तव में मखाना के बीजों की लाई है ठीक उसी प्रकार जिस प्रकार Popcorn मक्का की लाई है।
फलों से अलग करके बीजों को धूप में सुखाना एवं कठोर कवच से अलग करके लाई में परिवर्तित करना एक श्रम साध्य कार्य है। एकत्र सभी बीज लाई नहीं बन पाते। बाज़ार में उपलब्ध यह लाई ताजे बीजों से कम पोषक युक्त होती है।
भारत में बिहार प्रान्त एवं कोरिया व जापान इत्यादि देशो में मखाना की खेती की जाती है। बिहार में मधुबनी, समस्तीपुर, सीतामढ़ी, कटिहार एवं पूर्णिया मखाना-उत्पादन के लिये प्रसिद्ध हैं। मखाना का 80 प्रतिशत से अधिक उत्पादन अकेले बिहार राज्य में हो जाता है। लड्डू, सब्जियों व अन्य कई व्यंजनों में मिलाया जाने वाला मखाना अनेक औषधीय लाभ प्रदान कर सकता है.
मखाना खाने के फायदे
प्लीहा (स्प्लीन) को सुदृढ़ करने में सहायक – मखाना प्लीहा के लिये विशेष रूप से लाभप्रद है क्योंकि प्लीहा शरीर में Cells के मरघट के समान है। इसमें लालरक्त कोशिकाओं का पुनर्चक्रण होता है।
प्लीहा शरीर के निराविशीकरण (डिटाक्सिफ़िकेशन) – शरीर से विष बाहर निकालने में सहायक है। प्लीहा शरीर के प्रतिरक्षा-तन्त्र का तन्त्रिका-केन्द्र है क्योंकि इसमें श्वेतरक्त कोशिकाओं व प्लेटलेट्स का भण्डारण भी होता है।
रेशे में समृद्ध – मखाना में रेशे प्रचुर मात्रा में होते हैं जिससे यह संतुलित मात्रा में खाये जाने पर कब्ज़ को दूर रखता है क्योंकि मल की मात्रा को बढ़ाता है। इस प्रकार पाचन-तन्त्र के लिये लाभप्रद है।
मैग्नीशियम व पोटेशियम अधिक किन्तु सोडियम कम – उच्चरक्तचाप को नियन्त्रित करने के लिये पोटेशियम अधिक व सोडियम कम होना अच्छा अनुपात कहलाता है क्योंकि पोटेशियम रक्तचाप को घटाता है व सोडियम से रक्तचाप बढ़ता है। मखाना में मैग्नीशियम व पोटेशियम अधिक होता है किन्तु सोडियम कम मात्रा में रहता है।
मधुमेह व हृदय रोगों में – मखाना में संतृप्त वसा, सेचुरेटेड फ़ैट्स कम मात्रा में होने से यह मधुमेह व हृदय रोगों में एक हानि रहित खाद्य है। मखाना वास्तव में रक्त में ग्लुकोज़ को धीरे-धीरे मुक्त करता है, अर्थात् मखाना का ग्लाएसेमिक सूचकांक कम होता है। इससे पेट अधिक समय तक भरा लग सकता है। इस प्रकार चर्बी व मोटापे को कम रखने में भी यह उपयुक्त होगा।
कैल्सियम– अस्थियों के अतिरिक्त हृद्वाहिकीय तन्त्र एवं पेशीय संकुचन में भी कैल्सियम आवश्यक होता है जो कि मखाना में सहज मिल जाता है।
फ़ास्फ़ोरस – अस्थियों व दाँतों की संरचना के साथ रक्त व अन्य ऊतकों में उपस्थित फ़ास्फ़ोरस शरीर से अपशिष्ट पदार्थों को छानने के लिये भी महत्त्वपूर्ण है। मखाना फ़ास्फ़ोरस का स्रोत है।
एण्टिआक्सिडेण्ट्स – बढ़ती उम्र की प्रक्रिया को धीमी करने में मखाना मुख्य भूमिका निभा सकता है क्योंकि इसमें ख़ूब एण्टिआक्सिडेण्ट्स होते हैं। त्वचा में चमक आती है किन्तु इसे तेल में तलकर अथवा पकाकर न खायें।
ग्लुटेन एलर्जी के प्रकरण में उपयोगी – गेहूँ, जौं व राईं इत्यादि में उपस्थित ग्लुटेन से यदि एलर्जी हो तो मखाना का समावेश बेहतर हो सकता है क्योंकि मखाना एक ओर तो ग्लुटेन-मुक्त होता है एवं दूसरी ओर प्रोटीन व कार्बोहाइड्रेट अंश इसमें अधिक होते हैं।
सूजन दूर – मखाना में कैम्प्फ़ेराल नामक एक नैसर्गिक यौगिक होता है जो शरीर में सूजन दूर करता है। मधुमेह, आथ्र्राइटिस, र्हूमेटिज़्म इत्यादि जैसे रोगों में सूजन एक समस्या के रूप में उभरती है। मखाना में जीवाणुरोधी (Antibacterial) लक्षण भी होते हैं।
वृक्कों में मजबूती लाने में उपयोगी – कम सोडियम होने से मखाना वृक्कों की कई समस्याओं से राहत दिलाने कुछ उपयोगी हो सकता है, जैसे कि बारम्बार मूत्रोत्सर्ग से निज़ात पाने में।
मखाना खाने में सावधानियाँ (नुकसान)
अधिक आवृत्ति अथवा मात्रा में मखाना का सेवन करने से कुछ दुष्प्रभाव पड़ सकते हैं..
*. कब्ज़, गैस एवं पेट फूलना सम्भव।
*. इन्स्युलिन स्तर एकदम से बढ़ जाने से मधुमेहग्रस्त लोगों में रक्त-शर्करा स्तर में तेजी से कमी आ सकती है।
*. कुछ व्यक्तियों में मखाना सेवन करने से एलर्जीज़ हो सकती हैं।
*. हृदय की धड़कनों से सम्बन्धित अनियमितता जिन लोगों में है उन्हें मखाना का सेवन और कम करना चाहिए एवं वह भी अपने हृदयरोग चिकित्सक से पूछकर।
*. वृक्क-समस्याओं से ग्रसित लोगों को भी मखाना के सेवन में सावधानी बरतनी होगी, चिकित्सक के सम्पर्क में रहें क्योंकि मखाना में प्रोटीन, फ़ास्फ़ोरस, पोटेशियम की अधिक मात्राएँ होती हैं जो वृक्करोगियों के लिये हानिप्रद सिद्ध हो सकती हैं।