“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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दूसरों को सही गलत साबित करने में जल्दबाजी ना करें !

एक ट्रैन में पिता पुत्र सफर कर रहे थे। 24 वर्षीय पुत्र खिड़की से देख रहा था। अचानक वो चिल्लाया देखो पापा पेड़ पीछे की ओर भाग रहे हैं। पिता कुछ बोला नहीं बस सुनकर मुस्कुरा दिया। बगल में एक युवा दंपति को उस लड़के का व्यवहार बड़ा अजीब लगा और साथ ही उस लड़के के बचकाने व्यवहार पर उन्हें दया भी आई। लड़का फिर पिता से बोला, देखो पापा देखो बादल हमारे साथ दौड़ रहे हैं। उस युवा दम्पति को यह देखा नहीं गया और वे उसके पिता से बोल पड़े, आप अपने लड़के को किसी अच्छे डॉक्टर को क्यों नहीं दिखाते।

पिता मुस्कुराया और बोला दिखाया था और हम अभी सीधे हॉस्पिटल से ही आ रहे हैं। लड़का जन्म से अंधा था और आज वह यह दुनिया पहली बार देख रहा है। आपको आश्चर्य लगा कि यह 24 साल का लड़का बच्चों जैसी हरकत क्यों कर रहा है। इसकी अभी तक आंख नहीं थी। आज यह आंख के ऑपरेशन के बाद देखने की स्थिति में आया तो इसे यह सबकुछ नया नया लग रहा है। यह सुन युवा दम्पति को शर्म आई और अपनी गलती महसूस करने लगे।

प्रेरक प्रसंग से सीख ;
दोस्तों, अक्सर हम किसी को देख कर ही निर्णय लेने लग जाते हैं। हम समझे बिना ही दूसरों की गलती को साबित करने में लग जाते हैं। किसी भीबात को गहराई से समझने के बाद ही अपनी प्रतिक्रिया देना असल में बहुत ही फायदेमंद होता है। बिना सोचे समझे किसी के बारे में अपने अभिव्यक्ति को प्रकट करने से कभी-कभी हमको ऐसा भी महसूस हो सकता है कि जैसा उस युवा दंपति को उस लड़की के बारे में बोलने के बाद अनुभव हुआ।

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