वैसे तो थायराइड की बीमारी का पता लगाने का सबसे अच्छा तरीका खून की जांच (TSH Test) है क्योंकि इससे अलग-अलग तरह के थायराइड हार्मोन्स का लेवल पता चल जाता है लेकिन हम आपको यह बताने जा रहे हैं कि साधारण थर्मोमीटर की मदद से आप अपने शरीर की थायराइड प्रॉब्लम का पता लगा सकते हैं। इस टेस्ट को बार्नी टेस्ट (Barney’s Test) कहते हैं.
– इसे करने के लिए सबसे पहले आप थर्मोमीटर को झटक कर पारा 35डिग्रीC या 95F से नीचे गिराकर रात को सोने से पहले अपने सिरहाने रख लें.
– सुबह जागने पर सबसे पहले बिस्तर से निकले बिना, अपना ऊपरी कपड़ा निकालकर थर्मोमीटर को अपनी कांख (armpit) में लगाकर 10 मिनट लगे रहने दें, फिर निकालकर इसकी रीडिंग लें.
2) अगर टेंपरेचर 36.5C (97.7F) से कम है तो थायराइड सामान्य से धीमे काम कर रही है.
इस दशा में डिप्रेशन, थकान, इन्फेक्शंस, लंबी अवधि से सरदर्द, ध्यान भटकना, मेमोरी लॉस, और बाल झड़ने की शिकायतें प्रकट हो सकती हैं. यानि की हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है.
3) अगर टेंपरेचर 36.8C (98.2F) से अधिक हो तो थायराइड तेजी से काम कर रही है या शरीर में किसी तरह का इन्फेक्शन है. इसका मतलब हाइपरथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है.
इस Thyroid Test का रिजल्ट कन्फर्म करने के लिए 4-5 दिन तक लगातार करें. अगर आपका टेंपरेचर ऊपर बताई गई लिमिट्स से कम या ज्यादा आए तो अपने Doctor से Consult करें.
थाइरोइड क्या होता है, थाइरॉइड की बीमारी में क्या होता है
थायराइड मानव शरीर में पाए जाने वाले एंडोक्राइन ग्लैंड में से एक है. थायरायड ग्रंथि गले में सांस की नली के ऊपर होती है, इसका आकार तितली जैसा होता है. यह ग्रंथि थाइराक्सिन नाम का हार्मोन बनाती है, जो शरीर की एनर्जी, प्रोटीन का बनना और अन्य हार्मोन्स के प्रति होने वाली संवेदनशीलता को कंट्रोल में रखता है.
थायराइड की बीमारी होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, जिससे शरीर में कई तरह की प्रॉबल्म नजर आने लगती है। आजकल बहुत से लोगों को थायराइड से जुड़ी प्रॉब्लम हो रही हैं लेकिन पुरुषों के मुकाबले यह बीमारी औरतों में ज्यादा होती है.
थाइरोइड की बीमारी 2 तरह की होती है
- हाइपरथायरायडिज्म (जब थाइरोइड ग्रन्थि में थाइराक्सिन हार्मोन ज्यादा बनने लगता है)
- हाइपोथायरायडिज्म (जब थाइरोइड ग्रंथि में थाइराक्सिन कम बनने लगता है)
थायराइड टेस्ट क्या होता है या Thyroid Function test कैसे होता है ?
खून का सैम्पल लेकर यह टेस्ट किया जाता है। इसमें खून में मौजूद थायराइड ग्लैन्ड द्वारा बनाए जाने वाले हार्मोन T3, T4 और पिट्यूटरी ग्लैन्ड द्वारा बनाए जाने वाले TSH हार्मोन का सही लेवल पता किया जाता है। थायराइड फ़ंक्शन टेस्ट की रिपोर्ट में TSH, T3, T4 हार्मोन का लेवल नंबर में दिया गया होता है।
जी नहीं, थायराइड की जांच में ब्लड सैम्पल खाली पेट नहीं लिया जाता है।
टेस्ट रिपोर्ट में TSH का नॉर्मल लेवल 0.4-5.0 mIU/dL (Mili-international unites per liter) होता है लेकिन अगर आपका थाइरॉइड रोग का इलाज चल रहा है तो आपके TSH की नॉर्मल रेंज 0.5-3.0 mIU/dL होगी।
T3 का नॉर्मल स्तर 100-200 ng/dL (Nanograms per deciliter) और T4 का नॉर्मल लेवल 4.5-11.2 mcg/dL (Micrograms per deciliter) होता है।
थायराइड जांच की रिपोर्ट 1-2 दिन में आ जाती है।
थाइरोइड रोग के लक्षण | Symptoms of Thyroid
कई लोगों में थायराइड की बीमारी भीतर-ही-भीतर पनपता रहता है लेकिन या तो इसके लक्षण जल्दी पता नहीं चलते या वे इसके लक्षणों को सामान्य मानकर नज़रअंदाज़ कर देते हैं.
हाइपरथायरायडिज्म होने के लक्षण (थायराइड बढ़ना)
- वजन घटना
- गर्मी न झेल पाना
- ठीक से नींद न आना
- प्यास लगना
- खूब पसीना आना
- हाथ कांपना
- दिल तेजी से धड़कना
- कमजोरी
- चिंता और अनिद्रा (नींद न आना)
हाइपोथायरायडिज्म के लक्षण (थायराइड धीमा होना)
- वज़न बढ़ना
- थकान, सुस्ती
- ठंडेपन का अहसास
- धीमी हृदय गति
- कब्ज
- डिप्रेशन
- चाल-ढाल व सोच-विचार में सुस्ती आना
- मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी
- ड्राइ स्किन
- बाल व नाखून का झड़ना या चटखना
- कामेच्छा की कमी
- उंगलियों में झनझनाहट
- मासिक चक्र की गड़बड़ी, इन्फर्टिलिटी के लक्षण आदि.
- बहुत रेयर कंडीशन्स में जीवन को खतरे में डालनेवाला दिल का दौरा या कोमा भी हो सकता है.
हमारे शरीर को ठीक से काम करते रहने के लिए निश्चित मात्रा में थायराइड हार्मोन की ज़रूरत होती है. इसलिए पिट्यूटरी ग्रंथि थायराइड हार्मोन का उत्पादन कम हो जाने पर थायराइड ग्रंथि को स्टीमुलेट करनेवाला हार्मोन बनाने लगती हैं.
इससे शरीर में कई प्रकार की गड़बड़ियां होने लगती हैं. अगर उपचार नहीं किया जाए तो हाइपोथायराइडिज्म के लक्षण उभर के सामने आने लगते हैं.