“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers……….
An Initiative by: Kausik Chakraborty.

The Knowledge Library

जातक कथा: दो हंसों की कहानी | The Story of Two Swans

बहुत पुरानी बात है हिमालय में प्रसिद्ध मानस नाम की झील थी। वहां पर कई पशु-पक्षियों के साथ ही हंसों का एक झुंड भी रहता था। उनमें से दो हंस बहुत आकर्षक थे और दोनों ही देखने में एक जैसे थे, लेकिन उनमें से एक राजा था और दूसरा सेनापती। राजा का नाम था धृतराष्ट्र और सेनापती का नाम सुमुखा था। झील का नजारा बादलों के बीच में स्वर्ग-जैसा प्रतीत होता था।

उन समय झील और उसमें रहने वाले हंसों की प्रसिद्धी वहां आने जाने वाले पर्यटकों के साथ देश-विदेश में फैल गई थी। वहां का गुणगान कई कवियों ने अपनी कविताओं में किया, जिससे प्रभावित होकर वाराणसी के राजा को वह नजारा देखने की इच्छा हुई। राजा ने अपने राज्य में बिल्कुल वैसी ही झील का निर्माण करवाया और वहां पर कई प्रकार के सुंदर और आकर्षक फूलाें के पौधों के साथ ही स्वादिष्ट फलों के पेड़ लगवाए। साथ ही विभिन्न प्रजाती के पशु-पक्षियों की देखभाल और उनकी सुरक्षा की व्यवस्था का आदेश भी दिया।

वाराणसी का यह सरोवर भी स्वर्ग-जैसा सुंदर था, लेकिन राजा के मन में अभी उन दो हंसों को देखने की इच्छा थी, जो मानस सरोवर में रहते थे।

एक दिन मानस सरोवर के अन्य हंसों ने राजा के सामने वाराणसी के सरोवर जाने की इच्छा प्रकट की, लेकिन हंसाें का राजा समझदार था। वह जानता था कि अगर वो वहां गए, तो राज उन्हें पकड़ लेगा। उसने सभी हंसों को वाराणसी जाने से मना किया, लेकिन वो नहीं माने। तब राजा और सेनापती के साथ सभी हंस वाराणसी की ओर उड़ चले।

जैसे ही हंसों का झुंड उस झील में पहुंचा, तो अन्य हंसों को छोड़कर प्रसिद्ध दो हंसों की शोभा देखते ही बनती थी। सोने की तरह चमकती उनकी चोंच, सोने की तरह ही नजर आते उनके पैर और बादलों से भी ज्यादा सफेद उनके पंख हर किसी को अपनी ओर आकर्षित कर रहे थे।

हंसों के पहुंचने की खबर राजा को दी गई। उसने हंसों को पकड़ने की युक्ति सोची और एक रात जब सब सो गए, तो उन हंसों को पकड़ने कि लिए जाल बिछाया गया। अगले दिन जब हंसों का राजा जागा और भ्रमण पर निकला, तो वह जाल में फंस गया। उसने तुरंत ही तेज आवाज में अन्य सभी हंसों को वहां से उड़ने और अपनी जान बचाने का आदेश दिया।

अन्य सभी हंस उड़ गए, लेकिन उनका सेनापती सुमुखा अपने स्वामी को फंसा देख कर उसे बचाने के लिए वहीं रुक गया। इस बीच हंस को पकड़ने के लिए सैनिक वहां आ गया। उसने देखा कि हंसों का राजा जाल में फंसा हुआ है और दूसरा राजा को बचाने के लिए वहां खड़ा हुआ है। हंस की स्वामी भक्ति देखकर सैनिक बहुत प्रभावित हुआ और उसने हंसों के राजा को छोड़ दिया।

हंसों का राजा समझदार होने के साथ-साथ दूरदर्शी भी था। उसने सोचा कि अगर राजा को पता चलेगा कि सैनिक ने उसे छोड़ दिया है, तो राजा इसे जरूर प्राणदंड देगा। तब उसने सैनिक से कहा कि आप हमें अपने राजा के पास ले चलें। यह सुनकर सैनिक उन्हें अपने साथ राजदरबार में ले गया। दोनों हंस सैनिक के कंधे पर बैठे थे।

हंसों को सैनिक के कंधे पर बैठा देखकर हर कोई सोच में पड़ गया। जब राजा ने इस बात का रहस्य पूछा, तो सैनिक ने सारी बात सच-सच बता दी। सैनिक की बात सुनकर राजा के साथ ही सारा दरबार उनके साहस और सेनापती की स्वामी भक्ति पर हैरान रह गया और सभी के मन में उनके लिए प्रेम जाग उठा।

राजा ने सैनिक को माफ कर दिया और दोनों हंसों को आदर के साथ कुछ और दिन ठहरने का निवेदन किया। हंस ने राजा का निवेदन स्वीकार किया और कुछ दिन वहां रुक कर वापस मानस झील चले गए।

कहानी से सीख

किसी भी परिस्थिति में हमें अपनों का साथ नहीं छोड़ना चाहिए।

Sign up to Receive Awesome Content in your Inbox, Frequently.

We don’t Spam!
Thank You for your Valuable Time

Share this post