कश्मीरी लहसुन के अन्य नाम
कश्मीरी लहसुन को जम्मू-लहसुन, एक कली वाला लहसुन, एक पोथी लहसुन, सिंगल क्लोव Garlic, सोलो गार्लिक, मोनोबल्ब गार्लिक, सिंगल बल्ब गार्लिक, पर्ल गार्लिक, हिम-पर्वत लहसुन भी कहा जाता है।
कश्मीरी लहसुन का भौगोलिक वितरण
यह एक कली का लहसुन हिमालय के उस क्षेत्र में उगता है जहाँ वर्तमान में जम्मू एवं कश्मीर है जिसके पश्चिम में पाकिस्तान एवं पूर्व में तिब्बत व चीन हैं।
कश्मीरी लहसुन ऐसी जलवायु में समुद्र स्तर से 1800 मीटर्स की ऊँचाई पर उगता है जहाँ अत्यधिक कम आक्सीजन स्तर सहित रूखी व बर्फ़ीली स्थितियाँ होती हैं।
कश्मीरी लहसुन का उद्गम वर्तमान के किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान एवं उज़बेकिस्तान से बहुत अधिक दूर नहीं है।
हिमालयी पर्वत की तलहटी में एक कली वाले इस लहसुन को 7,000 वर्षों से उगाया जाता रहा है। वैसे आजकल इसे राजस्थान व मध्यप्रदेश में कुछ स्थानों पर उगाया जाने लगा है, मध्यप्रदेश में नीमच व मंदसौर जिलों में एक कली लहसुन का काफ़ी उत्पादन किया जाता है।
कश्मीरी लहसुन की विशेषता एवं उपयोगिता
सामान्य लहसुन के विपरीत कश्मीरी लहसुन में एक कली होती है। इसमें एलिन व एलिनेज़ नामक विकर (एन्ज़ाइम्स) होते हैं जो उस समय मिलकर एलिसिन नामक एक यौगिक का निर्माण कर लेते हैं जब इसे मसला अथवा पीसा जाता है।
कच्चा अथवा पकाकर खाने से पहले इसीलिये इसे मसल लेने अथवा पीस लेने का सुझाव दिया जाता है। एलिसिन नामक यौगिक के कारण इसकी गंध तीक्ष्ण होती है एवं इसमें स्वास्थ्यगत लाभ भी रहते हैं। यह सूजन-रोधी, एण्टिआक्सिडेण्ट एवं जीवाणु-रोधी गुणधर्मों से युक्त होता है।
कश्मीरी लहसुन सामान्यत: उपलब्ध लहसुन से लगभग सात गुना अधिक शक्तिशाली होता है। यदि शीतल, सूखे, संवातित (खुले हवादारः वेल-वेण्टिलेटेड) स्थान पर भण्डारित किया जाये तो इसे दो माह तक रखा जा सकता है।
प्राचीनकाल में उत्तरी भारत के हिमालयी षिखरों में पर्वतारोहण करने वालों द्वारा एक कली वाले इस लहसुन का सेवन करने का विवरण है क्योंकि इसे रक्त-परिसंचरण बनाये रखने वाला, आक्सीजन क्षमता बढ़ाने वाला एवं ऊर्जा स्तर उन्नत करने वाला माना जाता रहा है।
आयुर्वेद में इसे मधुमेह, हृद्रोग, उच्चरक्तचाप एवं सामान्य सर्दी-ज़ुकाम में राहत प्रदान करने वाला कहा गया है। वैसे इसे कोलेस्टरोल व कैन्सर से बचाव करने वाला भी बोला गया है। कश्मीरी लहसुन में निम्नांकित पोषक पर्याप्त मात्रा में पाये गये हैं :
मैंग्नीज़ – एक कली लहसुन में विद्यमान् यह एक सूक्ष्ममात्रिक खनिज है, अर्थात् शरीर को इसकी आवश्यकता बहुत कम मात्रा में होती है फिर भी यह शरीर के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह खनिज अमीनो अम्लों, कोलेस्टरोल, ग्लुकोज़ व कार्बोहाइड्रेट्स के उपचयापचय में आवश्यक है। यह खनिज-निर्माण, रक्त-स्कन्दन (ख़ून जमाने) में व सूजन दूर करने में भी भूमिका निभाता है।
विटामिन बी6 (पायरिडाक्सिन) – यह बी-विटामिन्स का एक प्रकार है जो एक कली वाले लहसुन में भी पाया जाता है। यह पायरिडाक्सिन-अल्पता से बचाव व इसके उपचार सहित इसके कारण उत्पन्न हो सकने वाले एनीमिया को दूर करने में महत्त्वपूर्ण है।
यह हृद्-रोगों, प्रिमेंस्ट्रुअल सिण्ड्राम, अवसाद इत्यादि के उपचार में भी उपयोगी है। पायरिडाक्सिन शर्कराओं, वसाओं एवं प्रोटीन्स के सुचारु कार्यों के लिये महत्त्वपूर्ण है। यह मस्तिष्क की बढ़त व विकास सहित तन्त्रिकाओं एवं त्वचा के भी लिये उपयोगी है।
विटामिन सी – एक कली लहसुन में उपस्थित विटामिन-सी हृद्-रोगों, प्रतिरक्षा-तन्त्र से सम्बन्धित परेशानियों, जन्मपूर्व स्वास्थ्य-समस्याओं, नेत्ररोग एवं त्वचा की झुर्रिर्यों को घटाने में भी उपयोगी हो सकता है।
ताम्र – एक कली लहसुन में पाया जाने वाला ताँबा शरीर के सभी ऊतकों में पाया जाता है तथा लालरक्त कोशिकाओं के निर्माण सहित तन्त्रिका-कोशिकाओं एवं प्रतिरक्षा-तन्त्र के रखरखाव में महती भूमिका निभाता है। यह शरीर में कोलेजन के निर्माण एवं लौह के अवशोषण में सहायता करता है।
सेलेनियम – यह कैन्सर, थायराइड समस्याओं, अस्थमा इत्यादि से राहत में उपयोगी कहा जाता है। सेलेनियम शरीर को भारी धातुओं व अन्य हानिकर पदार्थों के विषाक्त प्रभावों से बचाता है। एक कली वाले लहसुन में सेलेनियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
फ़ास्फ़ोरस – अस्थियों की मजबूती, दंतस्वास्थ्य एवं पेषियों की गति के लिये फ़ास्फ़ोरस आवश्यक है। शरीर को ऊर्जान्वित करने में भी फ़ास्फ़ोरस आवश्यक है।
वृक्कों से अपषिष्टों को छानने, ऊतकों व कोशिकाओं को ठीक करने सहित डीएनऐ व आरएनऐ नामक आनुवंशिक पदार्थों के उत्पादन में फ़ास्फ़ोरस महत्त्वपूर्ण है।
विटामिन्स बी, डी एवं आयोडीन, मैग्नीशियम व जस्ता जैसे अन्य खनिजों के संतुलन व उपयोग सहित हृद्-स्पन्दनों को नियमित रखने में भी फ़ास्फ़ोरस अपनी भूमिकाएँ निर्वाह करता है।
कैल्सियम – अस्थियों व दाँतों के ढाँचे व इनकी कठोरता के लिये कैल्सियम आवश्यक है। कोलेस्टरोल स्तर सुधारने, कोलोरेक्टल एडिनोमाज़ (ग़ैर-कैन्सरस ट्यूमर का एक प्रकार) का जोख़िम कम करने, कम आयु के लोगों में उच्चरक्तचाप को घटाकर सामान्य करने, गर्भावस्था के दौरान उच्चरक्तचाप युक्त स्थितियों के विकसित होने का जोख़िम घटाने, गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त कैल्सियम सेवन कर रहीं माँओं में रक्तचाप घटाकर सामान्य करने में भी कैल्सियम उपयोगी कहा जाता है जिसका एक स्रोत एक कली वाला लहसुन भी है।
विटामिन बी1 – थियामिन (विटामिन बी1) से शरीर कार्बोहाइड्रेट्स का प्रयोग ऊर्जा के रूप में कर पाता है। यह ग्लुकोज़ के उपचयापचय में महत्त्वपूर्ण है। थियामिन एक कली वाले लहसुन में मिलता है।