कलेजा और दिल को मजबूत रखना है तो कभी कभी ताबड़तोड़ तीखा भी खाओ
आदिवासियों के साथ काम करते करते 22 साल हो चले हैं और इस दौरान मैने शायद ही किसी आदिवासी को हृदय रोग से ग्रस्त देखा होगा। पातालकोट में एक बुजुर्ग जानकार से चर्चा करते हुए एक बार पूछ ही बैठा था कि आखिर इनके खानपान में इतना तीखापन क्यों होता है? बुजुर्ग से सीधे जवाब आया कि “कलेजा और दिल को मजबूत रखना है तो भरपूर मसाले वाला भोजन खाओ।” ये तो हुयी बात गाँव देहात की…अब आगे की बात.. “न्यूट्रिशन जर्नल” में 2014 में एक शोध के परिणाम प्रकाशित किए गए, इस शोध के दौरान खूब सारे मसालों जैसे दालचीनी, हल्दी, लहसुन, जीरा, अजवायन, तेजपान, लौंग, कालीमिर्च, अदरक, प्याज, मिर्च आदि से तैयार “करी” या सब्जी तैयारी की गयी और इसका सेवन 45 वर्ष की आयु के आसपास वाले 14 स्वस्थ लोगों को कराया गया, 14 अन्य स्वस्थ लोगों को इसका सेवन नहीं कराया गया और उन्हें मसाला रहित भोज्य पदार्थ दिए गए। इस “करी” के सेवन से पहले और बाद में इन लोगों के ब्लड वेसल्स का परिक्षण किया गया। भोजन के बाद वेसल्स की रिपोर्ट्स से पाया गया कि जिन्होनें करी का सेवन किया उन तमाम लोगों के ब्लड वेसल्स से रक्त प्रवाह (Blood Flow) की दर तेज (Increased FMD- Flow Mediated Vasodilation) हो गयी जबकि अन्य लोगों में इस दर का घटाव (Decreased FMD) देखा गया। रिपोर्ट में बताया गया कि मसालों में पाए जाने वाले एंटीऑक्सिडेंट्स की वजह से ऐसा होता है। मुद्दे की बात ये है कि जिन लोगों के हृदय की धमनियों में कठोरपन (Hardening of Arteries) की शिकायत होती है जिसे एथिरोस्क्लोरोसिस कहा जाता है, उन्हें इस तरह के भोज्यपदार्थों का सेवन जरूर करना चाहिए। तो अब क्या? तो लीजिये, ये रही आपके दोस्त की सलाह. बस, सप्ताह में एक बार खूब मसालेदार तीखी करी या सब्जी का सेवन करना शुरु करें..ऐसे ही मसाले से तरबतर सब्जियों के सेवन की वजह से आदिवासी भी चुस्त दुरुस्त रहते हैं…अब आधुनिक शोध परिणाम भी हमारे देश के पारंपरिक ज्ञान के दावों को मान रहा है तो आप क्यों चूक रहे..स्वस्थ रहें, मस्त रहें..भई सब रोगों का इलाज आपकी रसोई में ही है..थोड़ा #भटको तो सही, समाधान आपके बिल्कुल इर्दगिर्द ही है ..किसी मल्टीस्पेशियालिटी अस्पताल में नहीं ~