उड़द की दाल क्या है Introduction of Urad Dal
उड़द अथवा उरद को संस्कृत में ‘माश’ कहा जाता है जो कि एक दलहन है। उड़द प्रोटीन,विटामिन-बी काम्प्लेक्स (विशेषतया विटामिन बी9, विटामिन बी3 अर्थात् नियासिन, विटामिन बी2 अर्थात राइबोफ़्लेविन, विटामिन बी1 अर्थात् थियामिन), पोटेशियम, कैल्शियम, लौह का स्रोत है। इसमें आहारीय रेशे, ताँबा, आइसोफ़्लेवान्स, मैग्नीशियम, जस्ता, फ़ास्फ़ोरस भी होता है। उड़द की दाल में अन्य अधिकांश दालों से लगभग 10 गुने से भी अधिक फ़ास्फ़ोरस होता है।
उड़द का विशिष्ट Protein पेशीय तन्तुओं को मजबूती प्रदान करता है। यह दाल मूत्र वर्द्धक होती है जिससे वृक्कों की सफाई में सहायक है। अस्थमा, पक्षाघात, कब्ज़ से ग्रसित रोगियों को उड़द की दाल (Urad Dal) के सेवन की विशेष सलाह दी जाती है। उड़द में शरीर के घाव भरने के गुणधर्म होते हैं। आइए कुछ विशेष स्थितियों में उड़द की दाल के सेवन के लाभों को समझें .
उड़द की दाल के लाभ Urad Dal Benefit
रक्त शर्करा को घटाये – उड़द का ग्लायसेमिक सूचकांक कम होता है। इसके अतिरिक्त रेशे इसमें अधिक मात्रा में होते हैं, इस प्रकार रक्त में इसके पोषकों का अवशोषण धीमी गति से होता है एवं रक्त में ग्लुकोज़ धीमे-धीमे आता है।
रक्तचाप को घटाये – पोटेशियम की अधिकता से उड़द उच्च रक्तचाप के रोगियों को अवश्य सेवन करनी चाहिए। पोटेशियम रक्त वाहिकाओं को अधिक संकुचित होने से रोकता है।
आक्सीजन आपूर्ति प्रचुर – लौह की मात्रा अधिक होने से उड़द शरीर में लालरक्त कोशिकाओं की संख्या को बढ़ाती है, इस प्रकार समूचे शरीर में आक्सीजन की आपूर्ति अधिक हो पाती है। औसत ऊँचाई के मनुष्यों में साढ़े तीन से चार ग्रेम्स तक लौह हो सकता है जो कि मुख्यत: हीमोग्लोबिन, ऊतकों, पेशियों, अस्थि-मज्जा इत्यादि में विद्यमान रहता है।
तन्त्रिका-तन्त्र को सुदृढ़ करे – उड़द की दाल से तुरंत ऊर्जा मिलती है जिससे विभिन्न पक्षाघातों एवं तन्त्रिकात्मक दुर्बलता से ग्रसित रोगियों को इसके सेवन का परामर्श दिया जाता है।
अस्थिगत स्वास्थ्य – उड़द के पोटेशियम, मैग्नीशियम, लौह, फ़ास्फ़ोरस व कैल्शियम की भूमिका अस्थियों का घनत्व बनाये रखने में होती है। इन पोषक तत्त्वों की कमी से ग्रसित व्यक्तियों को उड़द विशेष लाभकारी रहेगी तथा रजोनिवृत्ति के बाद होने वाली खनिजों की कमी की पूर्ति के लिये स्त्रियों को उड़द की दाल का सेवन बढ़ा लेना चाहिए।
हृदयक स्वास्थ्य – उड़द की दाल लाडेन्सिटी लिपिड अर्थात ख़राब कोलेस्टॅराल को तो घटाती ही है एवं साथ ही में धमनी काठिन्य (एथेरोस्क्लेरोसिस) से भी बचाने में सहायक है। पोटेशियम व मैग्नीशियम से रुधिर-परिसंचरण सुधरता है।
मूत्रवर्द्धक – उड़द एक उत्कृष्ट मूत्रवर्द्धक (डाईयूरेटिक) है जिससे विषों को शरीर से निकालने, अतिरेक वसा को बाहर करने एवं वृक्क कार्य को साफ करने में उपयोगी है। उड़द के नियमित सेवन से वृक्काष्मरी (किड्नी-स्टोन्स) को दूर करने में भी सहायता हो सकती है।
त्वचा में लाये कोमलता – उड़द की दाल को पीसकर चेहरे पर लगाने से यह धूल व मृत सेल्स को तो हटाती ही है एवं साथ ही साथ त्वचा को मुलायम भी बनाती है। दूध में भिगोकर इसे हल्के हाथों से रगड़ते हुए लगाकर 30 मिनट्स बाद चेहरा धो लेने से त्वचा साफ़ व कोमल होती है। इसकी दाल नैसर्गिक ब्लीचिंग एजेण्ट जैसा कार्य भी करती है एवं त्वचा की रंगत को निखारती है। पोषकों से भरपूर उड़द में बादाम मिलाकर पीसकर त्वचा पर लगाने से पखवाड़ेभर में त्वचा स्वच्छ व खिली-खिली-सी दिखने लगेगी।
धूप से झुलसी त्वचा के लिये दहीं में मिलाकर पिसी उड़द दाल लगायें। कील-मुँहाँसों से राहत पाने के लिये उड़द सहायक हो सकती है क्योंकि इसमें जीवाणुरोधी गुणधर्म होते हैं। नयी त्वचा-सेल्स के बनने की प्रक्रिया भी उड़द निर्मित उबटन से सरल हो जाती है।
केशों को नर्म करे – रूखे, बेजान-से बाल लगते हों तो दही मिश्रित पिसी उड़द दाल बालों की जड़ों के पास लगायें एवं दूध निर्मित किसी हर्बल शैम्पू से बालों को धो लें।
उड़द की दाल का सेवन कैसे करें ?
- रात को पानी में भिगोकर सुबह उबालकर विभिन्न सब्जियों में मिलाकर.
- अलग से दाल बनाकर.
- अन्य दालों में मिलाकर मिश्रित दाल बनाकर.
- पिसवाकर बेसन अथवा आटे में मिलाकर.
- लड्डू बनाकर अथवा अंकुरित करके.
- गला-पीसकर ‘बड़े’ बनाकर भी उड़द का प्रयोग किया जा सकता है.
उड़द दाल मखानी, दाल कचौड़ी इत्यादि भी सम्भव, खैर जैसे भी बनायें परन्तु यथा सम्भव छिलका सहित व साबुत उड़द को उपयोग में लायें, यदि वह जैविक खेती से उगायी गयी है तब तो और भी बेहतर।
अन्य प्रयोग – शनिप्रकोप से रक्षा के लिये उड़द की दाल निर्धन या भिक्षु को दान करने अथवा उड़द-निर्मित कोई खाद्य सेवन कराने का बड़ा महत्त्व है, पीपल के पेड़ के नीचे कुछ दाल रखने अथवा कौओं को खिलाने की सलाह दी जाती है।
उड़द की दाल से जुडी सावधानियाँ
*. चाहे उड़द की दाल कई रोगों में उपयोगी रहे परन्तु फिर भी यदि आप उड़द की दाल का सेवन सामान्य रूप से पहले से नहीं करते हैं तो किसी रोग विशेष में अचानक उसका सेवन आरम्भ करने से पहले अपने चिकित्सक से एक बार बात जरुर कर लें.
*. उड़द पचने में अधिक आसान रहे इसके लिये दाल इत्यादि बनाते समय हो सके तो हर बार हींग अवश्य मिलायें.