एक बड़ी सी गाड़ी आकर बाजार मे रूकी, कार में ही मोबाइल से बाते करते हुये महिला ने अपनी बच्ची से कहा,,, जा उस बुढिया से पूछ सब्जी कैसे दी, बच्ची कार से उतरतें ही,,,,,अरे बुढिया ये सब्जी कैसे दी ?
40 रूपये किलो, बेबी जी….सब्जी लेते ही, उस बच्ची ने सौ रूपयें का नोट उस सब्जी वाली को फेंक कर दिया और आकर कार पर बैठ गयी, कार जाने लगी तभी अचानक किसी ने कार के शीशे पर दस्तक दी,,,,
एक छोटी सी बच्ची जो हाथ मे 60 रूपयें कार मे बैठी उस औरत को देते हुये, बोलती है आंटी जी ये आपके सब्जी के बचें 60 रूपयें है जो आपकी बेटी भूल आयी है, कार मे बैठी औरत ने कहा ये तुम रख लों,
उस बच्ची ने बड़ी ही मीठी बोली और सभ्यता से कहा,,,,, नही आंटी जी हमारे जितने पैसे बनते थे हमने ले लिये, हम इसे नही रख सकते, मै आपकी आभारी हूँ जो आप हमारी दुकान पर आये आशा करती हूँ कि सब्जी आपको अच्छी लगे, जिससे आप हमारी ही दुकान पर हमेशा आये, उस लड़की ने हाथ जोड़े और अपनी दुकान पर लौट गयी,,,,,,
कार में बैठी महिला उस लड़की से बहुत प्रभावित हुई और कार से उतर कर फिर सब्जी की दुकान पर जाने लगी, जैसे ही वहाँ पास गयी, सब्जी वाली अपनी बच्ची को पूछते हुये, तुमने तमीज से बात की ना, कोई शिकायत का मौका तो नही दिया ना ??
बच्ची ने कहा हाँ माँ! मुझे आपकी सिखायी हर बात याद है, कभी किसी बड़े का अपमान मत करो, उनसे सभ्यता से बात करो, उनकी कद्र करो, क्योंकि बड़े_बुजर्ग बड़े ही होते है, मुझे आपकी सारी बात याद है माँ और मै सदैव इन बातों का स्मरण रखूंगी।
बच्ची ने फिर कहा, अच्छा माँ अब मै स्कूल चलती हूँ शाम में स्कूल से छुट्टी होते ही, दुकान पर आ जाऊंगी…….
कार वाली महिला शर्म से पानी पानी थी, क्योंकि एक सब्जी वाली अपनी बेटी को, इंसानियत और बड़ों से बात करने शिष्टाचार करने का पाठ सिखा रही थी और वही वो अपनी बेटी को छोटाबड़ा, ऊँचनीच का मन मे बीज बो रही थी…..!!
“गौर करना दोस्तो”
सबसे अच्छा तो वो कहलाता है, जो आसमान पर भी रहता है और जमींन से भी जुड़ा रहता है।
“बस इंसानियत, भाईचारा, सभ्यता, आचरण, वाणी मे मिठास, सब की इज्जत करने की सीख दीजिए अपने बच्चों को, क्योंकि अब बस यहीं पढ़ाई है जो आने वाले समय में बहुत ज्यादा मुश्किल होगी, इसे पढ़ने इसे याद रखने इसे ग्रहण करने मे और जीवन को उपयोगी बनाने मे सहायक होगी।