“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers……….
An Initiative by: Kausik Chakraborty.

The Knowledge Library

अलिफ लैला : नाई के तीसरे भाई की कहानी

FEBRUARY 15, 2021 द्वारा लिखित 

alif laila nai ke teesre bhai andhe boobak ki kahani

अपने दूसरे भाई की कहानी सुनाने के बाद नाई ने अपने तीसरे भाई की कहानी सुनाई। नाई कहता है, मेरे तीसरे भाई का नाम था बूबक। वह अंधा था और भीख मांगकर अपना गुजारा करता था। मेरा भाई बूबक रोज अपनी लाठी लिए अकेला ही भीख मांगने जाता था और किसी दानी के घर का दरवाजा खटखटाकर चुपचाप खड़ा हो जाता था। उसे जो भी भीख में मिलता उसे चुपचाप लेकर आगे निकल जाता था। यह उसका रोज का नियम था।

एक दिन की बात है, बूबक ने एक घर का दरवाजा खटखटाया। उस घर में केवल घर का मालिक ही था। मालिक ने अंदर से आवाज लगाई, ‘कौन है बाहर?’ मेरा भाई कुछ न बोला और उसने फिर से दरवाजे को खटखटाया। अंदर से फिर आवाज आई, ‘कौन है बाहर?’ मेरा भाई इस बार भी कुछ न बोला और दरवाजा खटखटाने लगा। इस बार घर के मालिक ने दरवाजा खोल दिया और बोला, ‘कौन हो तुम और तुम्हें क्या चाहिए?’

बूबक ने कहा, ‘मैं एक भिखारी हूं और मुझे भीख चाहिए।’ उस घर के मालिक ने पूछा कि क्या तुम अंधे हो? इस पर बूबक ने कहा, हां। फिर घर के मालिक ने कहा, अपना हाथ आगे बढ़ा। बूबक को लगा कि उसे कोई भीख मिलेगी, इसलिए उसने अपना हाथ फैला दिया, पर कुछ देने के बजाय घर का मालिक उसका हाथ पकड़कर उसे सीढ़ी से ऊपर ले गया। फिर उसने मेरे भाई से पूछा कि तुम केवल भीख लेते हो या कुछ देते भी हो? उसने कहा कि मैं अंधा आदमी भला क्या दूंगा। मैं सिर्फ आशीर्वाद ही दे सकता हूं। इस पर उस आदमी ने कहा कि मैं तुम्हें यह आशीवार्द देता हूं कि तुम्हारी आंखों की रोशनी लौट आए और तुम देख सको।

इस पर मेरे भाई बूबक ने उससे कहा कि तुम यह बात पहले ही बता सकते थे, इसके लिए मुझे ऊपर क्यों लाए? घर के मालिक ने कहा कि मैंने तुम्हें दो बार आवाज दी थी, लेकिन तुम कुछ नहीं बोले, मुझे भी तुम्हारे चक्कर में बेकार में सीढ़ी उतरनी और चढ़नी पड़ी। इस पर मेरे भाई ने कहा कि ठीक है, अब तुम मुझे नीचे उतार दो। इस पर उस व्यक्ति ने कहा कि सामने ही सीढ़ी है, तुम खुद ही उतर जाओ। मेरा मजबूर भाई अपनी लाठी की मदद से सीढ़ी से नीचे उतरने लगा, लेकिन अचानक उसका पैर फिसला और वो लुढ़कता हुआ नीचे आ गया। उसके सिर और पीठ में चोट लगी, जिसकी वजह से वह तिलमिला गया और घर के मालिक को बुरा-भला कहते हुए आगे भीख मांगने के लिए चला गया।

थोड़ी दूर आगे जाने पर उसे अपने दो अंधे भिखारी साथी दिखाई दिए। उन लोगों ने बूबक से पूछा कि आज तुम्हें क्या भीख मिली? इस पर मेरे भाई ने उन्हें अपना किस्सा सुनाया कि कैसे उसके चोट लगी। फिर मेरे भाई ने ने कहा कि आज मुझे भीख में कुछ नहीं मिला। फिर तीनों अपने घर के लिए निकल पड़े।

दोस्तों, जिस व्यक्ति की वजह से मेरे भाई को चोट लगी थी, वह एक ठग था। वो ठग मेरे भाई और उसके साथियों का पीछा करते-करते उनके घर में जा घुसा। घर पहुंचकर बूबक ने अपनी जेब से कुछ पैसे निकाले और अपने एक अंधे साथी से कहा कि बाजार से कुछ खाने के लिए ले आओ, लेकिन आओ उससे पहले हम लोग अपना हिसाब-किताब कर लें। बूबक ने कहा कि पहले दरवाजा बंद कर दो, ताकि कोई बाहरी इंसान घर में आ जाए। घर में पहले से ही मौजूद वह ठग उन तीनों अंधों की कमाई जानना चाहता था, इसलिए वह छत से लटक रही एक रस्सी को पकड़कर लटका रहा।

तीनों अंधों ने अपनी-अपनी लाठियों को चारों ओर घुमाकर पूरे घर को टटोला और फिर दरवाजा बंद कर लिया। वह ठग ऊंचा लटका हुआ था, इसलिए वह पकड़ में न आया। इसके बाद मेरे भाई बूबक ने अपने साथियों से कहा कि तुम दोनों ने मुझ पर भरोसा करके जो अपने पैसे मुझे रखने दिए थे, उन्हें अब वापस ले लो। मैं अब इन्हें अपने पास नहीं रख सकता हूं। इतना कहकर मेरा भाई बूबक एक पुरानी चादर को उठाकर लाया, जिसमें बयालीस हजार चांदी के सिक्के सिले हुए थे। बूबक के दोस्तों ने कहा कि इन्हें तुम अपने पास ही रखो, हमें तुम पर बहुत भरोसा है। इसके बाद बूबक ने उस पुरानी चादर को संभालकर रख दिया।

इसके बाद बूबक ने अपने जेब से पैसे निकाले और साथियों से कहा कि बाजार से कुछ खाने को ले आओ। इस पर एक साथी ने कहा कि कहीं से कुछ लाने की जरूरत नहीं है। आज मुझे एक अमीर आदमी के घर से बहुत सारा स्वादिष्ट भोजन मिला है। इसके बाद तीनों भोजन करने लगे। यह सब देख उस ठग से रहा गया और वो चुपके से मेरे भाई के पास बैठ गया और चुपके से खाना खाने लगा। अन्य व्यक्ति के भोजन चबाने की आवाज सुनकर मेरा भाई चौंक गया और उसने झट से उस ठग का हाथ पकड़ लिया और जोर-जोर से चोर-चोर चिल्लाले लगा और उस ठग को मारने लगा।

मेरे भाई के चिल्लाने पर उसके दोस्तों ने भी ठग को मारना शुरू किया। खुद को बचाते हुए वो ठग भी अंधों को मारने लगा। साथ ही वो चिल्लाने लगा कि मुझे बचाओ, ये चोर मुझे मार डालेंगे। उन लोगों की चीख-पुकार सुनकर आसपास के लोग इकट्ठा हो गए और घर का दरवाजा तोड़कर अंदर घुसे और उनसे चीख-पुकार की वजह पूछी। इस पर मेरे भाई बूबक ने लोगों से कहा कि मैंने जिस आदमी को पकड़ रखा है वह एक ठग है। यह हमारे पैसे चुराने आया है।

ठग ने जब लोगों को देखा, तो अपनी आंखें बंद कर ली और अंधा होने का नाटक करने लगा। उस चोर ने कहा, भाइयों यह अंधा व्यक्ति झूठ बोल रहा है। सच बात यह है कि हम चारों ही अंधे हैं और यह रुपया हम सभी ने भीख मांगकर जमा किया है। लेकिन, इन तीनों की नीयत खराब हो गई है और ये मुझे मेरा हिस्सा नहीं देना चाहते हैं। इसीलिए, ये लोग मुझे चोर कह रहे हैं और साथ ही मुझे मार भी रहे हैं। अब आप ही लोग इंसाफ करें।

इस मामले को इतना उलझा हुआ देखकर लोग उन सभी को कोतवाल के पास ले गए। वहां अंधा होने का नाटक कर रहे ठग ने कहा, मालिक हम चारों ही गुनहगार हैं, लेकिन हम में से कोई भी अपना अपराध नहीं मानेगा। अगर हम सभी लोगों को एक-एक करके पीटा जाए, तो हम अपना दोष स्वीकार कर लेंगे। सबसे पहले आप मुझ से शुरुआत करें। इस पर मेरे भाई बूबक ने कुछ कहने की कोशिश की, लेकिन कोतवाल ने उसे डांट कर चुप करा दिया। इसके बाद उस चोर की पिटाई होने लगी। बीस-तीस कोड़े खाने के बाद उस चोर ने अपनी दोनों आंखें खोल दी और चिल्लाकर कहा, सरकार, अब मत मारिए, मैं सब सच-सच बताता हूं।

कोतवाल ने उसकी पिटाई रुकवा दी। चोर बोला, सरकार सच्चाई तो यह है कि मैं और मेरे ये तीनों साथी अंधें हैं ही नहीं, हम तो अंधे होने का नाटक करते हैं और भीख मांगने के बहाने लोगों के घर में घुस कर चोरी करते हैं। ऐसे चोरी करके ही हमने बयालीस हजार रुपये इकट्ठा किए। आज जब मैं इन लोगों से अपना हिस्सा मांगने  लगा, तो इन लोगों ने मुझे मेरे पैसे नहीं दिए और मुझे मारने लगे। ठग ने आगे कहा कि सरकार अगर आपको मेरी बात पर भरोसा नहीं, तो इन लोगों को भी मेरी तरह पिटवाइए। मार पड़ते ही ये अपना गुनाह कबूल कर लेंगे। मेरे भाई और उसके दोनों साथियों ने ठग की सच्चाई बताना चाही, लेकिन कोतवाल ने उन्हें बोलने ही नहीं दिया।

कोतवाल ने कहा कि तुम चारों ही अपराधी हो। मेरे भाई ने कोतवाल को बहुत समझाने की  कोशिश की, लेकिन कोतवाल नहीं माना। इसके बाद तीनों अंधों को मार पड़ने लगी। थोड़ी देर बाद उस ठग ने चिल्लाते हुए उन तीनों अंधों से कहा कि दोस्तों तुम क्यों बेकार में अपनी जान दे रहो हो। मेरी तरह तुम भी अपनी आंखें खोल दो और अपना अपराध मान लो, लेकिन वे तीनों बेचारे अंधे, कहां अपनी आंख खोल पाते। वे मार खाते रहे और चिल्लाते रहे। इसके बाद उस ठग ने कोतवाल से कहा कि सरकार ये तीनों बड़े पक्के चोर हैं। ये मार खाते-खाते मर जाएंगे, लेकिन अपना अपराध कबूल नहीं करेंगे। मुझे लगता है कि इन तीनों को इनके अपराध का दंड मिल चुका है। अच्छा होगा कि हम चारों को काजी के सामने खड़ा किया जाए। वह जो फैसला करेंगे, वही ठीक होगा।

काजी के सामने पहुंचते ही उस ठग ने कहा कि हम चारों ने वह धन चोरी से इकट्ठा किया है। अगर आपका आदेश हो, तो वह पैसा आपके सामने ले आऊं। काजी ने अपने एक सेवन को उस ठग के साथ पैसा लाने के लिए भेज दिया। वो ठग पैसों वाली उस पुरानी चादर को लेकर आ गया। काजी ने उस पैसे में से एक-चौथाई हिस्सा उस ठग को दे दिया।

पैसा पाकर वह वहां से चला गया। काजी ने बाकि बचे पैसे अपने पास रख लिए और मेरे भाई के साथ उसके दोनों साथियों को खूब पिटवाकर देश से निकलवा दिया।

इतना कहकर नाई ने खलीफा से कहा कि जब मुझे यह बात पता चली, तो मैं बूबक को खोजकर अपने घर ले आया। इसके बाद कई गवाहों को इकट्ठा कर मैंने उसे बेकसूर साबित करवाया। इसके बाद काजी ने उस ठग को बुलवाकर उसे दंड दिया और दिया हुआ पैसा वापस ले लिया। लेकिन, उस काजी ने वह रकम तीनों अंधों को नहीं दी। खलीफा नाई की यह बात सुनकर जोर से हंसा। इसके बाद नाई ने अपने चौथे भाई की कहानी शुरू की।

Sign up to Receive Awesome Content in your Inbox, Frequently.

We don’t Spam!
Thank You for your Valuable Time

Share this post