“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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अकबर बीरबल के सवाल-जवाब

बहुत समय पहले भारत में महान मुगल सम्राट हुआ करते थे, जिन्हें बादशाह अकबर के नाम से जाना जाता था। अकबर के शासन में नवरत्न थे, जिनमें से चतुर बीरबल भी शामिल थे। बादशाह अकबर, बीरबल से पहली बार जंगल में मिले थे, जब वह रास्त भटक गए थे, तब बीरबल ने उन्हें रास्ता दिखाया। उस समय बीरबल को महेशदास नाम से जाना जाता था। अकबर ने महेशदास का नाम बदलकर बीरबल रख दिया था। साथ ही बीरबल को विशेष सलाहकार के तौर पर अपने दरबार में नियुक्त किया था, क्योंकि बीरबल अधिक बुद्धिमान थे। वह अपने ज्ञान और चतुराई से हर सवाल और उलझन का हल निकाल दिया करते थे।

बीरबल बेहद कम समय में महाराजा अकबर के चहेते सलाहकार बन गए थे। इस बात से उनके सभा के अन्य मंत्री और महामंत्री बीरबल से जला करते थे। यह जलन उनके साले मानसिंह को भी थी। इसलिए, एक दिन मानसिंह ने बीरबल की परीक्षा लेनी चाही। उन्होंने बीरबल से तीन सवाल पूछने चाहे। महाराज अकबर ने भी बीरबल की परीक्षा लेने की अनुमति दे दी।

आसमान में कितने तारे हैं?

मानसिंह का पहला सवाल था कि यह पहला सवाल था। यह सवाल सुनकर बीरबल से जलने वाले अन्य दरबारियों को खुशी होने लगी। महाराजा अकबर भी सोचने लगे कि क्या बीरबल इसका जवाब दे पाएंगे।

बीरबल ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘इसका जवाब तो बहुत ही आसान है’ और दरबार में एक भेड़ को लाकर कहा, ‘जितने इस भेड़ में बाल हैं, उतने ही आसमान में तारे हैं। अगर मानसिंह जी को अभी भी संदेह है, तो भेड़ के बाल और आसमान के तारे गिनकर तुलना कर सकते हैं।’ बीरबल की चतुराई देखकर बादशाह अकबर मुस्कुराए और कहा, ‘क्यों मानसिंह जी आप गिनकर तुलना करना चाहते हैं?’

धरती का केंद्र कहां है?

मानसिंह का अगला सवाल सुनकर बीरबल ने तुरंत जवाब दिया, ‘जहां आप खड़े हैं, वही धरती का केंद्र है।’ महाराजा अकबर और अन्य दरबारी बीरबल के जवाब को समझ नहीं पा रहे थे। फिर जहां मानसिंह खड़े थे, वहां बीरबरल ने एक रेखा खींच कर लोहे की छड़ी गाढ़ दी और कहा, ‘यही धरती का केंद्र है। अगर किसी को मेरी बात पर यकीन न हो, तो वह खुद धरती को माप सकता है।’

बीरबल की चतुराई देखकर मानसिंह सोच में पड़ गए थे। फिर मानसिंह ने एक पहली को सुलझाने के लिए कहा।

मानसिंह का तीसरा सवाल

एक परख है सुंदर मूरत, जो देखे वो उसी की सूरत,
फिक्र पहेली पाई न, बोझन लागा आई न।

बीरबल पहेली को दोहराते हुए उसके बारे में गौर से सोचने लगे।

काफी सोचने के बाद बीरबल कहते हैं, ‘यह तो बहुत ही आसान पहेली है मानसिंह जी, इसका उत्तर तो पहेली में ही है। इसका उत्तर आइना है, जिसमें आइने के सामने खड़ा इंसान एक सुन्दर मूरत है। आइने में उसे अपनी सूरत दिखाई देती है।’

बीरबल ने मानसिंह के सभी सवालों का जवाब बड़े चतुराई से दिया, यह देखकर बादशाह अकबर बहुत खुश हुए और मानसिंह से कहा, ‘क्यों मानसिंह जी आपको आपके सवालों का जवाब मिल गया न?’

अकबर बीरबल की कहानी से सीख: इस कहानी से यह सीख मिलती है कि किसी भी सवाल का जवाब दिया जा सकता है। बस अपने दिमाग पर भरोसा होना चाहिए और संयम से काम लेना चाहिए।

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