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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी | भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम | श्री कृष्ण के बारे में कई रोचक और कम ज्ञात तथ्य | जनमाष्टमी पर महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी हिन्दू धर्म के सबसे प्रमुख पर्वों में से एक है, जिसे भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। श्रीकृष्ण को विष्णु के आठवें अवतार के रूप में पूजा जाता है, और उनके जीवन का हर पहलू धर्म, भक्ति, प्रेम, और नीति का प्रतीक है। यहाँ इस पर्व के बारे में विस्तृत जानकारी दी जा रही है:

श्रीकृष्ण का जन्म

श्रीकृष्ण का जन्म मथुरा में भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को हुआ था। उस समय मथुरा पर अत्याचारी राजा कंस का शासन था। कंस की बहन देवकी और उसके पति वासुदेव को एक भविष्यवाणी के कारण कारागार में बंद कर दिया गया था। भविष्यवाणी में कहा गया था कि कंस की मृत्यु देवकी के आठवें पुत्र के हाथों होगी।

जब श्रीकृष्ण का जन्म हुआ, तब पूरे वातावरण में चमत्कारिक घटनाएँ घटीं। सभी कारागार के द्वार स्वतः खुल गए, पहरेदार गहरी नींद में सो गए और वासुदेव श्रीकृष्ण को टोकरी में लेकर यमुना नदी पार कर गोकुल पहुँचे, जहाँ उन्होंने भगवान को नंद बाबा और यशोदा माता के पास छोड़ दिया।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का महत्व

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं है, बल्कि यह भगवान कृष्ण के जीवन और उनके द्वारा दी गई शिक्षाओं को याद करने का अवसर है। भगवान कृष्ण ने भगवद गीता में अर्जुन को कर्म, धर्म, और जीवन के उद्देश्य के बारे में जो उपदेश दिए, वे आज भी समस्त मानव जाति के लिए मार्गदर्शन का स्रोत हैं। जन्माष्टमी का पर्व हमें सत्य और धर्म के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

उत्सव की तैयारी और रीतियाँ

  1. व्रत और उपवास: जन्माष्टमी के दिन भक्त व्रत रखते हैं। यह व्रत निराहार (बिना भोजन के) या फलाहार (फल और दूध) के रूप में किया जाता है। उपवास का उद्देश्य भक्ति और आत्मशुद्धि है।
  2. पूजा और सजावट: घरों और मंदिरों में भगवान कृष्ण की मूर्तियों को नए वस्त्र पहनाए जाते हैं और उन्हें झूले में बिठाया जाता है। विभिन्न प्रकार के फूलों और पत्तों से मंदिरों को सजाया जाता है। घरों में भजन-कीर्तन और कृष्ण लीलाओं का गायन होता है।
  3. झांकियाँ और नाटक: श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित झांकियाँ सजाई जाती हैं, जिसमें उनके जन्म से लेकर बाल लीलाओं का चित्रण होता है। कई स्थानों पर भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं को मंचित किया जाता है, जिसमें रासलीला, माखनचोरी और कंस वध प्रमुख हैं।
  4. रात्रि जागरण: श्रीकृष्ण का जन्म रात्रि के 12 बजे माना जाता है। इस समय भक्त मंदिरों में या अपने घरों में जागरण करते हैं, भजन-कीर्तन करते हैं, और भगवान के जन्म का उत्सव मनाते हैं।
  5. माखन मिश्री का भोग: भगवान कृष्ण को माखन (मक्खन) और मिश्री का बहुत प्रेम था, इसलिए जन्माष्टमी के दिन उन्हें विशेष रूप से माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है।
  6. दही हांडी: महाराष्ट्र और कुछ अन्य क्षेत्रों में जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का उत्सव मनाया जाता है। इसमें एक मटकी को ऊँचाई पर लटकाया जाता है और युवक “गोविंदा” के समूह में इसे तोड़ने का प्रयास करते हैं। यह श्रीकृष्ण की माखनचोरी की लीला का प्रतीक है।

पौराणिक कथा और मान्यताएँ

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएँ हैं। एक प्रसिद्ध कथा के अनुसार, जब कंस ने यह सुना कि देवकी के आठवें पुत्र के हाथों उसकी मृत्यु लिखी गई है, तो उसने देवकी और वासुदेव को कारागार में डाल दिया। वह उनके सभी नवजात शिशुओं को मारता गया। लेकिन जब कृष्ण का जन्म हुआ, तो उन्हें मथुरा से गोकुल पहुंचा दिया गया, जहाँ उनका पालन-पोषण यशोदा और नंद बाबा ने किया।

श्रीकृष्ण ने अपने बाल्यकाल में कई अद्भुत लीलाएँ कीं। उन्होंने पूतना, शकटासुर, और कालिया नाग का वध किया, और अपने मित्रों के साथ गोपियों से माखन चुराकर खाया। युवावस्था में उन्होंने गोपियों के साथ रासलीला की और अंततः कंस का वध कर मथुरा को उसके अत्याचार से मुक्त किया।

श्रीकृष्ण की शिक्षाएँ

भगवान श्रीकृष्ण की शिक्षाएँ केवल धार्मिक महत्व ही नहीं रखतीं, बल्कि जीवन जीने के लिए भी मार्गदर्शक हैं। भगवद गीता में श्रीकृष्ण ने जो उपदेश दिए, वे कर्मयोग, भक्ति योग, और ज्ञान योग के सिद्धांतों पर आधारित हैं। उन्होंने यह सिखाया कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन बिना किसी फल की चिंता किए करना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि भगवान के प्रति भक्ति और विश्वास से जीवन की हर समस्या का समाधान संभव है।

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का पर्व हमें इस बात की याद दिलाता है कि हमें अपने जीवन में धर्म, सत्य, और प्रेम को महत्व देना चाहिए। यह दिन हमें श्रीकृष्ण की शिक्षाओं को अपनाने और उनके द्वारा दिखाए गए मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

भगवान श्रीकृष्ण के 108 नाम

  1. कृष्ण – सर्व आकर्षक
  2. गोविन्द – गायों के रक्षक और सभी को आनंद देने वाले
  3. माधव – लक्ष्मीपति, श्री का पति
  4. गोपाल – गोपियों और गायों के रक्षक
  5. केशव – भगवान विष्णु के रूप में केशव
  6. कन्हैया – यशोदा के पुत्र
  7. मुरारी – मुर नामक दानव का संहारक
  8. श्रीधर – लक्ष्मीपति, श्री का धारण करने वाला
  9. हरि – सभी पापों का हरने वाला
  10. वसुदेव – वसुदेव के पुत्र
  11. दामोदर – जिनके पेट में रस्सी बांधी गई थी
  12. मुकुंद – मुक्ति का दाता
  13. अच्युत – जो कभी नहीं गिरता
  14. जनार्दन – भक्तों का पालन करने वाला
  15. बालगोपाल – बाल कृष्ण
  16. वृन्दावनचन्द्र – वृन्दावन के चन्द्र
  17. राधानाथ – राधा के स्वामी
  18. यशोदानन्दन – यशोदा के पुत्र
  19. कंसनिसूदन – कंस का वध करने वाले
  20. नन्दनन्दन – नंद बाबा के पुत्र
  21. परमेश्वर – सर्वोच्च भगवान
  22. देवकीनन्दन – देवकी के पुत्र
  23. मधुसूदन – मधु नामक दानव का वध करने वाले
  24. गोवर्धनधारी – गोवर्धन पर्वत उठाने वाले
  25. कृष्णचन्द्र – चन्द्र की तरह शांत और सुंदर
  26. अनन्त – अनंत, जिसका कोई अंत नहीं
  27. चक्रधर – चक्रधारी
  28. अद्वितीय – अद्वितीय, जिसका कोई दूसरा नहीं
  29. विष्णु – सर्वव्यापी
  30. त्रिविक्रम – तीन लोकों में विस्तार करने वाले
  31. वामन – वामन अवतार
  32. हृषिकेश – इन्द्रियों के स्वामी
  33. धरमधर्म – धर्म का पालन करने वाले
  34. अनिरुद्ध – सभी बाधाओं को रोकने वाले
  35. प्रभु – सर्वोच्च स्वामी
  36. गोपालक – गोपियों के पालक
  37. गणनाथ – सभी के नेता
  38. केशवनाथ – केशव के स्वामी
  39. माधवपति – माधव के स्वामी
  40. जगन्नाथ – जगत के स्वामी
  41. यदुनाथ – यादवों के नेता
  42. प्रणव – ओंकार स्वरूप
  43. कृष्णाय – कृष्ण को समर्पित
  44. क्लीं – मंत्र स्वरूप
  45. कमलनयन – कमल के समान नेत्र वाले
  46. मुरलीधर – बांसुरीधारी
  47. मुरारि – मुर नामक दानव का वध करने वाले
  48. मदनमोहन – कामदेव को भी मोह लेने वाले
  49. राम – सभी को आनन्द देने वाले
  50. लक्ष्मीपति – लक्ष्मी के पति
  51. अनादि – जिसका कोई आरंभ नहीं
  52. श्रीकृष्ण – श्रीयुक्त कृष्ण
  53. वासुदेव – वासुदेव के पुत्र
  54. बलरामसखा – बलराम के मित्र
  55. धीर – धैर्यवान
  56. निर्मल – पवित्र और निर्दोष
  57. वीर – पराक्रमी
  58. परमात्मा – सर्वोच्च आत्मा
  59. सत्य – सत्य स्वरूप
  60. रूपवर्ण – सुंदर रूप वाले
  61. विभु – सर्वव्यापी
  62. श्रीधर – लक्ष्मीपति
  63. नवनीतचोर – मक्खन चुराने वाले
  64. जयन्ती – विजयी
  65. सत्यव्रत – सत्य का पालन करने वाले
  66. अच्युत – जिसका पतन नहीं होता
  67. गोपीवल्लभ – गोपियों के प्रिय
  68. सर्वेश्वर – सभी के ईश्वर
  69. पूर्ण – संपूर्ण
  70. पुरुषोत्तम – सर्वोच्च पुरुष
  71. वामनरूप – वामन अवतार
  72. श्रीवासुदेव – वासुदेव के साथ रहने वाले
  73. विश्वात्मा – विश्व की आत्मा
  74. नन्दगोपसुत – नन्दगोप के पुत्र
  75. श्रीराम – आनंददायक
  76. श्रीधाम – लक्ष्मी का धाम
  77. कमलनयन – कमल के नेत्र वाले
  78. परब्रह्मा – सर्वोच्च ब्रह्म
  79. धीरोधात्त – शांतचित्त
  80. नवनीतचोर – मक्खन चुराने वाले
  81. रासेश्वर – रास लीला के स्वामी
  82. राधाप्रिय – राधा के प्रिय
  83. सर्वज्ञ – सर्वज्ञाता
  84. राधारमण – राधा को आनंद देने वाले
  85. विजय – विजयी
  86. पद्मनाभ – नाभि से कमल उत्पन्न करने वाले
  87. हरि – सबको हरने वाले
  88. शिव – कल्याणकारी
  89. सदाशिव – सदा कल्याणकारी
  90. रूपेश्वर – सुंदर रूप वाले
  91. सदाशिव – हमेशा कल्याणकारी
  92. वसुदेव – वसुदेव के पुत्र
  93. अनन्त – अनंत
  94. श्रीराम – श्री युक्त राम
  95. धीर – धैर्यवान
  96. मधुसूदन – मधु दानव का वध करने वाले
  97. सर्वात्मा – सभी का आत्मा
  98. गिरिधर – गोवर्धन धारण करने वाले
  99. माधव – लक्ष्मीपति
  100. ध्यानेश्वर – ध्यान के स्वामी
  101. प्रणव – ओंकार स्वरूप
  102. राम – आनंददायक
  103. प्रभु – सर्वोच्च स्वामी
  104. अनिरुद्ध – अनियंत्रित
  105. विश्वात्मा – विश्व की आत्मा
  106. धीर – धैर्यवान
  107. शिव – कल्याणकारी
  108. सत्य – सत्य स्वरूप

यह 108 नाम भगवान श्रीकृष्ण के विभिन्न स्वरूपों, गुणों और लीलाओं का वर्णन करते हैं। इनके स्मरण और जाप से भक्‍तों को श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।

श्री कृष्ण के बारे में कई रोचक और कम ज्ञात तथ्य 

कृष्ण का जन्म और समय

श्री कृष्ण का जन्म द्वापर युग में हुआ था, जो त्रेता युग और कलियुग के बीच का समय था। उनका जन्म भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को रोहिणी नक्षत्र में हुआ था। यह समय अत्यंत संकट का था, जब कंस के अत्याचार से पूरा मथुरा राज्य त्रस्त था।

कृष्ण और सुदर्शन चक्र

श्री कृष्ण का सुदर्शन चक्र केवल एक हथियार नहीं था, बल्कि यह विष्णु का एक रूप है। यह चक्र किसी भी प्रकार के अडिग और असुर शक्तियों को समाप्त करने में सक्षम था। महाभारत के युद्ध में, जब कृष्ण ने सुदर्शन चक्र का उपयोग किया, तो वह युद्ध का निर्णायक क्षण बन गया।

अध्यात्मिक गुरु के रूप में कृष्ण

श्री कृष्ण ने गीता का उपदेश अर्जुन को महाभारत के युद्ध के समय दिया, जो केवल युद्ध की परिस्थितियों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह जीवन के हर पहलू में लागू होती है। गीता के 700 श्लोकों में उन्होंने जीवन, कर्म, धर्म, और मोक्ष के गूढ़ रहस्यों को समझाया।

कृष्ण का रंग

श्री कृष्ण का वर्ण नीला था, जो उनकी दिव्यता और आकाशीय शक्ति का प्रतीक है। उनके नीले रंग को लेकर कई कहानियां हैं। कुछ कहते हैं कि उनका नीला रंग समुद्र के समान असीम गहराई का प्रतीक है, जो उनकी असीमित ज्ञान और शक्ति का द्योतक है।

माखन चोर के रूप में कृष्ण

कृष्ण को माखन चोर के रूप में जाना जाता है। लेकिन यह केवल एक बाललीला नहीं थी; इसके पीछे गहरे आध्यात्मिक अर्थ छिपे हैं। माखन (मक्खन) को जीवन का सार माना गया है, और इसे चुराकर कृष्ण ने यह सिखाया कि आत्म-साक्षात्कार के लिए जीवन के सार को प्राप्त करना आवश्यक है।

कृष्ण का विवाह और 16,108 पत्नियाँ

यह एक कम ज्ञात तथ्य है कि श्री कृष्ण की 16,108 पत्नियाँ थीं। इन पत्नियों में से आठ प्रमुख रानियाँ थीं, जिन्हें ‘अष्टभार्याएँ’ कहा जाता है। शेष 16,100 पत्नियाँ वे महिलाएँ थीं जिन्हें उन्होंने नरकासुर के अत्याचार से मुक्त किया था। उन्होंने उन सभी को अपनाया, ताकि समाज उन्हें ठुकरा न दे।

कृष्ण की मृत्यु का रहस्य

श्री कृष्ण की मृत्यु एक व्याध (शिकारी) द्वारा बाण से हुई थी, जो उनके पैर के तलवे में लगी थी। इसे लेकर एक कथा है कि यह श्राप के कारण हुआ, जो गांधारी ने दिया था। लेकिन उनकी मृत्यु केवल एक मानव शरीर का अंत था; उनकी आत्मा अमर है, और वे समय से परे हैं।

कृष्ण और कलियुग

ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण का अवतार कलियुग के प्रारंभ का संकेत था। उनके निधन के साथ द्वापर युग का अंत और कलियुग का प्रारंभ हुआ। श्री कृष्ण ने भविष्यवाणी की थी कि कलियुग में धर्म और सत्य की स्थिति कमजोर हो जाएगी, लेकिन अंततः सत्य की ही जीत होगी।

कृष्ण और योगमाया

श्री कृष्ण की लीला में योगमाया का बड़ा योगदान है। जब कंस ने देवकी के आठवें पुत्र को मारने का प्रयास किया, तो योगमाया ने उसे बचा लिया और कृष्ण को यशोदा के घर पहुँचा दिया। योगमाया श्री कृष्ण की शक्ति हैं, जिन्होंने उनकी हर लीला में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

कृष्ण का धैर्य और क्षमाशीलता

महाभारत के युद्ध के बाद, जब अश्वत्थामा ने पांडवों के पुत्रों की हत्या कर दी, तो अर्जुन ने उसे बंदी बनाकर श्री कृष्ण के पास लाया। कृष्ण ने अश्वत्थामा को मारने के बजाय उसे क्षमा करने का आदेश दिया, जिससे उनके महान धैर्य और क्षमाशीलता का पता चलता है।

कृष्ण का नामकरण

श्री कृष्ण का नामकरण स्वयं ऋषि गर्ग द्वारा किया गया था, जो उनके कुलगुरु थे। नामकरण संस्कार के समय ही गर्ग ऋषि ने भविष्यवाणी की थी कि यह बालक संपूर्ण विश्व में प्रसिद्ध होगा और इसके जीवन में अनेक लीलाएँ होंगी।

कृष्ण का राजसी अधिकार

श्री कृष्ण ने अपने जीवनकाल में कोई भी राजसी अधिकार नहीं अपनाया। उन्होंने यद्यपि मथुरा को कंस के अत्याचार से मुक्त कराया, फिर भी उन्होंने वहाँ का शासन नहीं संभाला। इसके बजाय, उन्होंने उद्धव और बलराम को यह जिम्मेदारी दी और स्वयं द्वारका चले गए, जहां उन्होंने एक अलग ही नगरी बसाई।

कृष्ण और राधा की अनोखी प्रेम कहानी

श्री कृष्ण और राधा की प्रेम कथा अत्यंत प्रसिद्ध है, लेकिन यह बहुत कम लोग जानते हैं कि राधा और कृष्ण का कोई औपचारिक विवाह नहीं हुआ था। उनके प्रेम को शुद्ध और अलौकिक माना जाता है, जो सांसारिक बंधनों से परे था। यह प्रेम भक्ति और समर्पण का प्रतीक है, जो भौतिक संबंधों से परे है।

कृष्ण का गुरु संदीपनि आश्रम में शिक्षा

श्री कृष्ण ने अपने भाई बलराम के साथ उज्जैन के संदीपनि आश्रम में शिक्षा ग्रहण की थी। संदीपनि मुनि के आश्रम में उन्होंने 64 कलाओं में प्रवीणता प्राप्त की। इनमें से कुछ कलाएँ, जैसे कि संगीत, नृत्य, और शस्त्र विद्या, आज भी अत्यधिक महत्वपूर्ण मानी जाती हैं।

कृष्ण और स्यमंतक मणि की कथा

स्यमंतक मणि की कथा एक प्रसिद्ध लेकिन कम ज्ञात घटना है। यह मणि सूर्य देवता का आशीर्वाद थी और इसे धारण करने वाले व्यक्ति के पास कभी भी धन और धान्य की कमी नहीं होती थी। जब यह मणि श्री कृष्ण के पास आई, तो इस पर उनके खिलाफ कई आरोप लगे, लेकिन अंततः उन्होंने इसे सत्यापित किया और सभी आरोपों को खारिज किया।

कृष्ण और उनकी कूटनीति

महाभारत के युद्ध से पहले श्री कृष्ण ने शांति स्थापना के लिए कौरवों से पांच गाँवों की मांग की थी। लेकिन जब दुर्योधन ने इसे अस्वीकार कर दिया, तो उन्होंने धर्म की रक्षा के लिए युद्ध का मार्ग अपनाया। इस घटना से उनकी कूटनीतिक क्षमता और धैर्य का पता चलता है।

कृष्ण का अभंग संगीत प्रेम

श्री कृष्ण को संगीत का बहुत प्रेम था। वे बांसुरी वादन में पारंगत थे और उनकी बांसुरी की धुन से गोपियाँ और समस्त वृंदावन मोहित हो जाता था। बांसुरी को भगवान कृष्ण का प्रिय वाद्य माना जाता है और यह उनके प्रेम और सौंदर्य का प्रतीक है।

कृष्ण और पारिजात का वृक्ष

एक कथा के अनुसार, कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के लिए स्वर्ग से पारिजात का वृक्ष लाया था। यह वृक्ष देवताओं की बगिया में था और इसकी सुगंध अद्वितीय थी। इस वृक्ष को लेकर सत्यभामा और रुक्मिणी के बीच एक हास्यपूर्ण घटना भी जुड़ी है।

कृष्ण का सत्यवादी रूप

श्री कृष्ण को सत्य और न्याय के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। उन्होंने कभी भी असत्य का सहारा नहीं लिया, चाहे परिस्थितियाँ कितनी भी कठिन क्यों न रही हों। यहां तक कि जब उन्होंने अर्जुन को युद्ध के लिए प्रेरित किया, तब भी उन्होंने धर्म का पालन करते हुए सत्य की ही बात की।

कृष्ण और शिशुपाल का वध

शिशुपाल का वध भी श्री कृष्ण की जीवन गाथा का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। शिशुपाल, जो कृष्ण का दूर का भाई था, ने जीवन भर कृष्ण का अपमान किया। लेकिन श्री कृष्ण ने उसे सौ बार माफ किया, और अंततः, जब उसने अपनी सीमाएं पार कर दीं, तो कृष्ण ने उसे सुदर्शन चक्र से मार डाला। यह घटना बताती है कि कृष्ण क्षमाशील थे, लेकिन जब धर्म की रक्षा का सवाल आया, तो उन्होंने न्याय किया।

कृष्ण का लोकहितैषी दृष्टिकोण

श्री कृष्ण ने हमेशा समाज और धर्म की भलाई के लिए कार्य किया। चाहे वह गोवर्धन पर्वत उठाने की घटना हो या कंस के अत्याचार से लोगों को मुक्त कराने की, उन्होंने हमेशा लोककल्याण को प्राथमिकता दी। उनकी जीवन गाथाएँ हमें सिखाती हैं कि लोकहित के लिए व्यक्तिगत इच्छाओं का त्याग कितना महत्वपूर्ण है।

कृष्ण और बाल लीला

श्री कृष्ण की बाल लीलाएँ, जैसे कि माखन चोरी, गोपियों के साथ रासलीला, और कालिया नाग का मर्दन, केवल बाल सुलभ क्रियाएँ नहीं थीं, बल्कि इनमें गहरे अध्यात्मिक अर्थ छिपे हैं। ये लीलाएँ बताती हैं कि कृष्ण ने बचपन से ही धर्म और सत्य की रक्षा के लिए काम किया।

कृष्ण और नवग्रह

ऐसा माना जाता है कि श्री कृष्ण नवग्रहों के प्रभाव से मुक्त थे। ज्योतिष शास्त्र में कहा गया है कि नवग्रह किसी भी व्यक्ति के जीवन को प्रभावित करते हैं, लेकिन श्री कृष्ण के जीवन पर कोई ग्रह दोष नहीं था। वे स्वयं ब्रह्मांडीय शक्ति के प्रतीक थे।

कृष्ण का अखंड धैर्य

महाभारत युद्ध के दौरान श्री कृष्ण ने कभी भी अपने धैर्य को नहीं खोया। जब अर्जुन ने युद्ध से पीछे हटने का निर्णय लिया, तब भी कृष्ण ने धैर्यपूर्वक गीता का उपदेश देकर उसे प्रेरित किया। उनकी धैर्य और संयम की यह गुण हमें विपरीत परिस्थितियों में भी स्थिर रहने की शिक्षा देता है।

कृष्ण का साकार और निराकार रूप

श्री कृष्ण को साकार और निराकार दोनों ही रूपों में पूजा जाता है। उनके साकार रूप में वे एक दिव्य बालक, प्रेमी, मित्र, और धर्मरक्षक के रूप में प्रतिष्ठित हैं, जबकि उनका निराकार रूप ब्रह्म का प्रतीक है, जो सृष्टि के हर कण में व्याप्त है।

ये तथ्य श्री कृष्ण के जीवन की महानता को और भी उजागर करते हैं। उनके जीवन की घटनाएँ और लीलाएँ न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे जीवन जीने की कला और धर्म के महत्व को भी दर्शाती हैं।

जनमाष्टमी पर 50 महत्वपूर्ण बहुविकल्पीय प्रश्न

प्रश्न: जनमाष्टमी किस देवता के जन्मोत्सव के रूप में मनाई जाती है

   A) गणेश 

   B) विष्णु 

   C) शिव 

   D) राम 

   उत्तर: B) विष्णु

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण का जन्म किस दिन मनाया जाता है

   A) 8वीं तिथि (अष्टमी) 

   B) 9वीं तिथि (नवमी) 

   C) 7वीं तिथि (सप्तमी) 

   D) 10वीं तिथि (दशमी) 

   उत्तर: A) 8वीं तिथि (अष्टमी)

प्रश्न: जनमाष्टमी का पर्व किस महीने में मनाया जाता है

   A) श्रावण 

   B) कार्तिक 

   C) माघ 

   D) वैशाख 

   उत्तर: A) श्रावण

प्रश्न: भगवान कृष्ण का जन्मस्थल किस स्थान पर है

   A) अयोध्या 

   B) मथुरा 

   C) द्वारका 

   D) काशी 

   उत्तर: B) मथुरा

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन विशेष पूजा के दौरान किस वस्तु का खास महत्व होता है

   A) खीर 

   B) पंजीरी 

   C) लड्डू 

   D) चिउड़ा 

   उत्तर: A) खीर

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन विशेष रूप से कौन सी पूजा की जाती है

   A) रुद्राभिषेक 

   B) शिव पूजा 

   C) कृष्ण पूजा 

   D) लक्ष्मी पूजा 

   उत्तर: C) कृष्ण पूजा

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण की कौन सी बाललीला विशेष रूप से याद की जाती है

   A) गोवर्धन पूजा 

   B) माखन चोरी 

   C) रासलीला 

   D) कंस वध 

   उत्तर: B) माखन चोरी

प्रश्न: जनमाष्टमी का पर्व कितनी रात्री तक मनाया जाता है

   A) एक रात्री 

   B) दो रात्री 

   C) तीन रात्री 

   D) चार रात्री 

   उत्तर: A) एक रात्री

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन विशेष रूप से किस वस्त्र में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है

   A) लाल वस्त्र 

   B) पीला वस्त्र 

   C) नीला वस्त्र 

   D) सफेद वस्त्र 

   उत्तर: C) नीला वस्त्र

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण के किस स्वरूप की पूजा की जाती है

    A) बाल स्वरूप 

    B) युवा स्वरूप 

    C) वृद्ध स्वरूप 

    D) स्त्री स्वरूप 

    उत्तर: A) बाल स्वरूप

प्रश्न: जनमाष्टमी पर विशेष रूप से किस प्रकार के धार्मिक आयोजन होते हैं

    A) मेला 

    B) भजन संध्या 

    C) सत्यनारायण पूजा 

    D) हवन 

    उत्तर: B) भजन संध्या

प्रश्न: जनमाष्टमी की रात्री को किस विशेष रस्म को निभाया जाता है

    A) आरती 

    B) कथा वाचन 

    C) दही हांडी 

    D) व्रत 

    उत्तर: C) दही हांडी

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण के जन्म की कथा किस ग्रंथ से प्राप्त होती है

    A) रामायण 

    B) महाभारत 

    C) भागवत पुराण 

    D) वेद 

    उत्तर: C) भागवत पुराण

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन भक्त विशेष रूप से किस प्रकार की वस्तुएँ मंदिरों में अर्पित करते हैं

    A) फल 

    B) फूल 

    C) मिठाई 

    D) सब्जियाँ 

    उत्तर: B) फूल

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण की बाललीलाओं का वर्णन किस प्रकार की उपासना में होता है

    A) कथा वाचन 

    B) पूजन 

    C) नृत्य 

    D) व्रत 

    उत्तर: A) कथा वाचन

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की पूजा रात को किस समय की जाती है

    A) संध्या समय 

    B) रात्रि 12 बजे 

    C) प्रात: समय 

    D) मध्यरात्रि 

    उत्तर: B) रात्रि 12 बजे

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन विशेष रूप से किन फल-फूलों का पूजा में उपयोग किया जाता है

    A) आम और केला 

    B) सेब और अंगूर 

    C) तुलसी और गेंदा 

    D) नारियल और पपीता 

    उत्तर: C) तुलसी और गेंदा

प्रश्न: जनमाष्टमी पर खास तौर पर किस प्रकार के व्रत का पालन किया जाता है

    A) उपवासा 

    B) रोजा 

    C) असत्य 

    D) पौष 

    उत्तर: A) उपवासा

प्रश्न: जनमाष्टमी पर विशेष रूप से कौन सा खेल खेला जाता है

    A) कबड्डी 

    B) फुटबॉल 

    C) दही हांडी 

    D) बैडमिंटन 

    उत्तर: C) दही हांडी

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के जन्म की खुशी में कौन से विशेष आयोजन होते हैं

    A) जुलूस 

    B) प्रदर्शनी 

    C) धार्मिक प्रवचन 

    D) सभी 

    उत्तर: D) सभी

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण को विशेष रूप से किस प्रकार की मिठाई का भोग अर्पित किया जाता है

    A) रसमलाई 

    B) गुलाब जामुन 

    C) खीर 

    D) पेड़ा 

    उत्तर: C) खीर

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन घरों में किस विशेष वस्त्र से सजावट की जाती है

    A) रंग-बिरंगे कपड़े 

    B) स्वर्ण वस्त्र 

    C) सिल्क साड़ी 

    D) पेंटिंग 

    उत्तर: A) रंग-बिरंगे कपड़े

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा में कौन सा विशेष कल्याणकारी मन्त्र का जाप किया जाता है

    A) श्रीराम जय राम जय जय राम 

    B) ओम नमः शिवाय 

    C) कृष्णाष्टकश्लोकी 

    D) महामृत्युंजय मन्त्र 

    उत्तर: C) कृष्णाष्टकश्लोकी

प्रश्न: जनमाष्टमी पर विशेष रूप से किस प्रकार की पूजा का आयोजन किया जाता है

    A) सामूहिक पूजा 

    B) व्यक्तिगत पूजा 

    C) सार्वजनिक पूजा 

    D) राजकीय पूजा 

    उत्तर: A) सामूहिक पूजा

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा के दौरान विशेष रूप से किस वस्त्र का उपयोग किया जाता है

    A) सफेद वस्त्र 

    B) नीला वस्त्र 

    C) लाल वस्त्र 

    D) हरा वस्त्र 

    उत्तर: B) नीला वस्त्र

प्रश्न: जनमाष्टमी पर पूजा के समय भगवान कृष्ण के बाल रूप को किस वस्तु से सजाया जाता है

    A) फूलों से 

    B) आभूषण से 

    C) वस्त्र से 

    D) रंग-बिरंगे कागज से 

    उत्तर: B) आभूषण से

प्रश्न: जनमाष्टमी के अवसर पर विशेष रूप से किस प्रकार की भजन संध्या आयोजित की जाती है

    A) कृष्ण भजन 

    B) शिव भजन 

    C) राम भजन 

    D) गणेश भजन 

    उत्तर: A) कृष्ण भजन

प्रश्न: जनमाष्टमी पर पूजा के दौरान भगवान कृष्ण के किस खेल को दर्शाया जाता है

    A) रासलीला 

    B) माखन चोरी 

    C) गोवर्धन पूजा 

    D) दही हांडी 

    उत्तर: B) माखन चोरी

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन मंदिरों में कौन सी विशेष प्रक्रिया की जाती है

    A) भगवान कृष्ण के जन्म की पुनरावृत्ति 

    B) धार्मिक प्रवचन 

    C) हवन 

    D) सब कुछ 

    उत्तर: A) भगवान कृष्ण के जन्म की पुनरावृत्ति

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण के जन्म का समय कौन से दिन मनाया जाता है

    A) दिन 

    B) संध्या 

    C) रात 

    D) प्रात: 

    उत्तर: C) रात

प्रश्न: जनमाष्टमी पर विशेष रूप से कौन से धार्मिक अनुष्ठान का आयोजन किया जाता है

    A) हवन 

    B) ध्यान 

    C) पूजा 

    D) यज्ञ 

    उत्तर: C) पूजा

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव की प्रदर्शनी किस प्रकार की होती है

    A) चित्र प्रदर्शनी 

    B) मूर्तियों की प्रदर्शनी 

    C) खेल प्रदर्शनी 

    D) नृत्य प्रदर्शनी 

    उत्तर: B) मूर्तियों की प्रदर्शनी

प्रश्न: जनमाष्टमी पर खास तौर पर किस प्रकार की मिठाइयाँ तैयार की जाती हैं

    A) घर में तैयार की गई 

    B) दुकानों से खरीदी गई 

    C) होटल से लाई गई 

    D) बाहर से मंगवाई गई 

    उत्तर: A) घर में तैयार की गई

प्रश्न: जनमाष्टमी पर घरों में किस प्रकार की सजावट की जाती है

    A) रंग-बिरंगे बल्ब 

    B) फूलों और लाइट्स से 

    C) रिबन और बैनर से 

    D) पेंटिंग से 

    उत्तर: B) फूलों और लाइट्स से

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन मंदिरों में किस प्रकार के विशेष आयोजन किए जाते हैं

    A) धार्मिक कीर्तन 

    B) खेलकूद 

    C) व्याख्यान 

    D) सब कुछ 

    उत्तर: A) धार्मिक कीर्तन

प्रश्न: जनमाष्टमी पर विशेष रूप से कौन से भक्तिरस का आयोजन होता है

    A) रासलीला 

    B) भजन संध्या 

    C) कथा वाचन 

    D) उपवासा 

    उत्तर: B) भजन संध्या

प्रश्न: जनमाष्टमी पर किस प्रकार की सामाजिक गतिविधियों का आयोजन किया जाता है

    A) मेले 

    B) संगीत समारोह 

    C) सांस्कृतिक कार्यक्रम 

    D) सब कुछ 

    उत्तर: C) सांस्कृतिक कार्यक्रम

प्रश्न: जनमाष्टमी के अवसर पर बच्चों को विशेष रूप से क्या प्रदान किया जाता है

    A) उपहार 

    B) मिठाई 

    C) किताबें 

    D) खिलौने 

    उत्तर: B) मिठाई

प्रश्न: जनमाष्टमी पर मंदिरों में विशेष रूप से किस प्रकार की सजावट की जाती है

    A) रंगीन कागज 

    B) स्वर्ण सजावट 

    C) फूल और लाइट्स 

    D) कैंडल्स 

    उत्तर: C) फूल और लाइट्स

प्रश्न: जनमाष्टमी पर विशेष पूजा में भगवान कृष्ण के किस रूप की पूजा की जाती है

    A) कन्हैया 

    B) मुरलीधर 

    C) गोपाल 

    D) सभी 

    उत्तर: D) सभी

प्रश्न: जनमाष्टमी का पर्व किस प्रकार की धार्मिक भावना को बढ़ावा देता है

    A) भक्ति 

    B) ध्यान 

    C) तपस्या 

    D) श्रद्धा 

    उत्तर: A) भक्ति

प्रश्न: जनमाष्टमी पर समाज में कौन से विशेष आयोजन किए जाते हैं

    A) पूजन समारोह 

    B) व्रत और उपवासा 

    C) खेलकूद और मेले 

    D) सांस्कृतिक कार्यक्रम 

    उत्तर: C) खेलकूद और मेले

प्रश्न: जनमाष्टमी का पर्व किस प्रकार के सामाजिक मेल-मिलाप को प्रोत्साहित करता है

    A) परिवारिक 

    B) धार्मिक 

    C) शैक्षिक 

    D) पेशेवर 

    उत्तर: B) धार्मिक

प्रश्न: जनमाष्टमी पर किस विशेष प्रथा का पालन किया जाता है

    A) खीर का भोग 

    B) रंगारंग सजावट 

    C) दही हांडी 

    D) कथा वाचन 

    उत्तर: C) दही हांडी

प्रश्न: जनमाष्टमी पर धार्मिक साहित्य का विशेष अध्ययन किस ग्रंथ से किया जाता है

    A) भगवद गीता 

    B) रामचरितमानस 

    C) उपनिषद 

    D) वेद 

    उत्तर: A) भगवद गीता

प्रश्न: जनमाष्टमी के अवसर पर विशेष रूप से कौन सी धार्मिक गतिविधियाँ होती हैं

    A) मेला 

    B) रात्रि भजन 

    C) कथा वाचन 

    D) पूजा 

    उत्तर: B) रात्रि भजन

प्रश्न: जनमाष्टमी पर समाज में बच्चों को विशेष रूप से क्या सिखाया जाता है

    A) भगवान कृष्ण की लीलाएँ 

    B) धार्मिक इतिहास 

    C) योग 

    D) तत्त्वज्ञान 

    उत्तर: A) भगवान कृष्ण की लीलाएँ

प्रश्न: जनमाष्टमी पर विशेष रूप से किस प्रकार के सामाजिक आयोजन की भूमिका महत्वपूर्ण होती है

    A) खेलकूद 

    B) भजन संध्या 

    C) कथा वाचन 

    D) मेले 

    उत्तर: B) भजन संध्या

प्रश्न: जनमाष्टमी के दिन विशेष रूप से कौन सी सामाजिक परंपरा निभाई जाती है

    A) घर-घर भजन 

    B) सामूहिक पूजा 

    C) उधार चढ़ावा 

    D) सब कुछ 

    उत्तर: B) सामूहिक पूजा

प्रश्न: जनमाष्टमी पर भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव को मनाने के लिए लोग किस प्रकार की गतिविधियाँ करते हैं

    A) सांस्कृतिक कार्यक्रम 

    B) धार्मिक प्रवचन 

    C) सामाजिक मिलन 

    D) सब कुछ 

    उत्तर: D) सब कुछ

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