भगिनी निवेदिता // पुण्यतिथि
28 अक्टूबर, 1867 को जन्मीं निवेदिता ने 30 साल की उम्र में भारत को ही अपना घर बना लिया।
साल 1895 में मार्गरेट के जीवन में सबसे बड़ा बदलाव आया। दरअसल, अमेरिका की यात्रा करके स्वामी विवेकानंद लंदन चले आए. उन्हें एक निजी संगठन द्वारा बुलाया गया था। लंदन में स्वामी जिसके घर पर रुके थे, उन्होंने मार्गरेट को भी एक ‘हिन्दू योगी’ का भाषण सुनने के लिए बुलाया। और पहली ही मुलाकात में वो विवेकानंद के व्यक्तित्व से काफी प्रभावित हुईं।
साल 1899 में कलकत्ता में प्लेग प्रकोप के दौरान और 1906 के बंगाल फेमिन के दौरान उन्होंने मरीजों के इलाज के लिए अपने जीवन की भी परवाह नहीं की। इसके बाद वे स्वयं मलेरिया की चपेट में आ गयीं। स्वामी विवेकानंद की तरह ही उनकी भी कम उम्र में ही मृत्यु हो गई. 2011 में वो दार्जीलिंग के दौरे पर थीं, जब उनकी मौत हुई. जिसकी वजह से उनकी हालत दिन-प्रतिदिन खराब होती गयी और इसी बीमारी ने उनकी जान भी ले ली। 13 अक्टूबर 1911 को मात्र 44 साल की उम्र में दार्जिलिंग में उनकी मृत्यु हो गई। उन्होंने अपना जीवन पूरी तरह से भारत को समर्पित कर दिया था।