“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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अलिफ लैला – दरियाबार की शहजादी की कहानी

शहजादी ने जैनुस्सनम और हैरन के 49 शहजादों को कहानी सुनाना शुरू किया। उसने बताया कि मैं काहिरा के पास के द्वीप दरियाबार के बादशाह की बेटी हूं। मेरे अब्बा ने सालों दुआ की थी, जिसके बाद मैं पैदा हुई। मुझे उन्होंने राजनीति, घुड़सवारी और राज्य को चलाने के लिए जरूरी अन्य सभी कौशल की विद्या दी। उनकी इच्छा थी कि उनके बाद मैं ही दरियाबार के सभी कामकाज देखूं।

शहजादी ने आगे कहा कि एक दिन मेरे अब्बा शिकार खेलने के लिए जंगल गए। जाते-जाते वो घने जंगल में पहुंच गए। वहां जाकर उन्होंने एक बड़े शरीर वाले आदमी को देखा, जिसके पास एक महिला और छोटा बच्चा बैठे रो रहे थे। वो आदमी खूब सारा खाना खाने के बाद उस महिला पर विवाह करने का दवाब डालने लगा। वो लड़की नहीं मानी, तो वो उसपर नाराज हुआ। मेरे पिता दूर से वो सब देख रहे थे। उन्होंने जैसे ही देखा कि वो आदमी उस लड़की पर हाथ उठाने वाला है, तो उन्होंने अपनी कमान से तीर छोड़ दिया, जो सीधे उस आदमी के सीने पर जाकर लगा। उसी वक्त राक्षस की मौत हो गई।

मेरे पिता ने उस महिला से उसकी कहानी पूछी। उस लड़की ने बताया कि वो पास के ही सरासंग कबीला के मुखिया की बेटी है और जिसे तुमने मारा है वो हमारे घर में ही काम किया करता था। उसकी नजर मुझ पर बहुत पहले से थी। एक दिन मौका पाकर वो मुझे और मेरे बेटे को इस जंगल में ले आया और शादी करने के लिए जोर डालने लगा। अब मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं अपने घर वापस जाकर क्या कहूंगी।

शहजादी ने कहा कि उस लड़की की बात सुनते ही मेरे पिता उसे अपने साथ अपने महल ले आए। उन्होंने उस महिला और उसके बेटा का काफी ख्याल रखा। जैसे ही उस महिला का बेटा बड़ा हो गया, तो सभी ने मेरी और उस लड़के की शादी की बात शुरू कर दी। वो लड़का बलवान और बुद्धिमान था, इसलिए मेरे अब्बा ने हमारा निकाह तय कर दिया।

उसके बाद उन्होंने शादी से कुछ दिन पहले ही उस लड़के से कहा कि तुम मेरी बेटी से निकाह करने वाले हो। मैं शादी के बाद तुम्हें यहां का बादशाह बना दूंगा। यह सुनकर वो लड़का बहुत खुश हुआ। तभी दरियाबार के बादशाह ने कहा कि बस मेरी एक शर्त है।

उस लड़के ने मेरे अब्बा से पूछा कि आखिर वो शर्त क्या है? तब मेरे पिता जी ने कहा कि तुम मेरी बेटी से निकाह करने के बाद किसी दूसरी लड़की से शादी नहीं करोगे। अगर तुम ये वादा करोगे, तो ही मैं तुम्हारा निकाह अपनी बेटी से कराऊंगा। यह सुनते ही उस लड़के को गुस्सा आ गया। उसने कहा कि वो होने वाला बादशाह है और बादशाहों की कई पत्नियां होती हैं।

इतना सुनते ही बादशाह ने वो निकाह तोड़ दिया। इससे उस लड़के को इतना गुस्सा आया कि उसने मेरे पिता को जान से मार दिया। फिर वो मुझे मारने के लिए ढूंढने लगा। तभी मंत्री ने मुझे एक गुप्त रास्ता दिखाकर वहां से भागने के लिए कहा।

मैंने भी ठीक वैसा ही किया। मैं भागकर एक जहाज में बैठ गई। तभी नदी में इतना तेज तूफान आया कि जहाज डूब गया। किसी तरह से मैं बचकर नदी के किनारे पहुंच गई। वो एक सुनसान जगह थी। वहां दूर-दूर तक कोई भी नहीं था। मैं जोर-जोर से रोने लगी। एक दिन बाद वहां कुछ लोग आए, उन्होंने मुझसे मेरे बारे में पूछा, लेकिन डर कर मैं और ज्यादा रोने लगी। उसके बाद एक घोड़े में एक लड़का आया और मुझसे फिर सवाल करने लगे। उसने मुझसे कहा कि वो शहजादा है और वो मेरी मदद करना चाहता है। मैंने उसपर भरोसा करके उसे सब कुछ बता दिया।

तब वो तुरंत मुझे अपने घर ले गया और अपने परिवार से मिलवाया। कुछ समय बाद उस लड़के के घरवालों ने मेरी और उस लड़के की शादी करवा दी। शादी के पहले दिन ही उसके राज्य में दुश्मनों ने हमला कर दिया। कुछ ही देर में उन्होंने उस राज्य के सभी लोगों को मार दिया। किसी तरह मैं और मेरा पति वहां से भाग गए।

हमें पास की ही नदी में एक नाव दिखी। हम तुरंत उस पर बैठ गए। हवा का रूख उलटा और तेज था, इसलिए हमारी नाव किसी गलत दिशा की ओर चली गई। तभी सामने से एक बड़ा सा जहाज आ रहा था। हमने उनसे मदद मांगी। बाद में पता चला कि उसमें डाकू बैठे थे।

उन्होंने हम दोनों को कैदी बना लिया। वो सात डाकू थे। सभी चाहते थे कि मैं उनकी सेविका बन जाऊं। इसी वजह से सभी आपस में लड़ने लगे। अंत में एक डाकू ने सबको मार दिया और मुझसे कहा कि मैं तुम्हें अपनी सेविका नहीं बनाना चाहता, लेकिन मेरे मालिक को सेविका चाहिए। मैं उनको तुम्हें सौंप दूंगा। उसने मुझसे पूछा कि ये आदमी कौन है, तो मैंने बताया कि वो मेरे पति हैं। यह सुनते ही उस डाकू ने मेरे पति को जहाज से नीचे फेंक दिया।

शहजादी ने आगे कहा कि तभी उस समुद्र में वो राक्षस आ गया, जिससे जैनुस्सनम आपने मुझे बचाया। वो मुझे उस डाकू से छुड़वाकर यहां जंगल की इस गुफा में ले आया। शहजादी की इस कहानी को सुनते ही जैनुस्सनम ने कहा कि तुम अब सुरक्षित हो। मेरे साथ जो 49 युवा लड़के हैं, वो सभी हैरन के शहजादे हैं। तुम इनमें से किसी से भी शादी कर सकती हो। शहजादी ने जैनुस्सनम से कहा कि मैं अगर शादी करूंगी, तो सिर्फ आपसे ही। आपने ही मेरी जान बचाई है। सभी शहजादों ने इस बात को मान लिया।

सबने खुशी-खुशी दोनों की शादी करवा दी। खुशी के मारे जैनुस्सनम ने भी अपना सच सबको बता दिया। जैनुस्सनम ने कहा कि मैं भी एक शहजादा ही हूं। उसने अपने सभी भाइयों को बताया कि मैं पिरोज मां का बेटा हूं, जिसे चचेरे भाई सुमेर ने अपने राज्य में पाला-पोसा है। यह सुनते ही शहजादी ने कहा कि मुझे आप तो पहले से ही शहजादे जैसे लगते थे। इस बात को सुनकर वो लड़की खुश थी, लेकिन जैनुस्सनम से उसके भाइयों को जलन होने लगी। उनके मन में हुआ कि अब्बा इसे अभी से इतना मान देते हैं। अगर उन्हें पता चला कि ये उनका ही बेटा है, तो वो अपना सब कुछ इसी के नाम कर देंगे।

इतना सोचते-सोचते ही सभी शहजादों ने जैनुस्सनम को जान से मारने की योजना बना ली। उसे रातभर पीटते रहे और जब उन्हें लगा कि वो मर गया, तो वहां से भाग गए। उसके बाद सारे शहजादे अपने राज्य हैरन चले गए। सुबह होते ही उस लड़की ने अपने पति को बाहर बुरी हालत में पड़ा देखा, तो रोने लगी। कुछ देर बाद शांत होने पर उसने देखा कि उसके पति की सांसें चल रही हैं। वो वहां से भागकर हकीम को ढूंढने के लिए चली गई। जब वापस लौटी, तो देखा कि उसका पति वहां नहीं था।

हकीम ने कहा कि हो सकता है कोई जंगली जानवर उसे उठाकर ले गया हो। इतना कहकर हकीम उस शहजादी को अपने साथ घर ले गया। कुछ दिनों बाद उस हकीम ने शहजादी से कहा, “बेटा तुम अपने बारे में बताओ क्या हुआ था।” उसने रोते हुए अपने पिता और पति की मृत्यु, राक्षस और अपने नए पति जैनुस्सनम के बारे में  सब कुछ बता दिया।

वो हकीम जैनुस्सनम और उसकी मां को जानता था। उसने कहा, “शहजादी, शायद आपको नहीं पता, लेकिन महाराज ने जैनुस्सनम की मां पिरोज को अपने पास वापस बुलवा लिया है और उन्हें पता चल गया है कि जैनुस्सनम उनका बेटा है। तब से ही वो बहुत परेशान हैं।

इतना कहकर उस हकीम ने कहा कि चलो, मैंं तुम्हें हैरन राज्य ले चलता हूं। शहजादी ने कहा, “ठीक है, मैं उन सभी शहजादों के बारे में बदाशाह को बता दूंगी।” हकीम ने लड़की को सतर्क करते हुए कहा कि ऐसा बिल्कुल मत करना। अगर तुम्हें शहजादों ने देख लिया, तो वो तुम्हें भी मार डालेंगे। पहले मैं जाकर बादशाह की पत्नी यानी जैनुस्सनम की मां से मिलकर उन्हें जब कुछ बता दूंगा।

हैरन पहुंचकर हकीम किसी तरह से मलिका पिरोज से मिला और उन्हें जैनुस्सनम, उसकी पत्नी, राक्षस के साथ ही अन्य सभी बातें बता दी। यह सब जानकर पीरोज के आंखों से आंसू निकलने लगे। उसने हकीम से कहा कि तुम कल मेरी बहू को यहां ले आना। मैं उससे मिलना चाहती हूं।

हकीम वहां से चला गया और बेगम पिरोज रोते-रोते बेहोश हो गई। इस बात की खबर मिलते ही बादशाह पिरोज से मिलने आए और तबीयत खराब होने का कारण पूछने लगे। बेगम पिरोज ने हकीम द्वारा बताई गई सारी बातें बादशाह को बता दी। यह जानते ही बादशाह ने अपने सभी 49 बेटों को जैनुस्सनम को मारने के आरोप में कारागर में बंद करने का आदेश दे दिया।

सैनिकों ने बादशाह के आदेश का पालन करते हुए सभी शहजादों को कारागार में डाल दिया। सुबह होते ही हकीम जैनुस्सनम की पत्नी को लेकर महल पहुंच गया। बादशाह और उसकी बेगम ने उन दोनों का अच्छे से स्वागत किया। तीनों जैनुस्सनम की याद में कई दिनों तक दुखी रहे। फिर जैनुस्सनम ने बादशाह से अपने पति के हत्यारों को सजा देने की मांग की। बादशाह ने तुरंत सभी शहजादों को चार दिन बाद मौत की सजा देने का एलान कर दिया।

इधर हैरन का पुराना दुश्मन जैनुस्सनम के मरने की खबर मिलते ही राज्य पर फिर से हमला करने की तैयारी कर रहा था। उसने तैयारी खत्म करते ही राज्य पर हमला कर दिया। कुछ देर हैरन के सैनिक उनसे लड़ते रहे, लेकिन वो उन्हें राज्य पर घुसने से रोक नहीं पाए। तभी घोड़े पर सवार एक युवक कुछ सैनिकों के साथ वहां पहुंचा। उसने कुछ ही देर में दुश्मनों को खत्म कर दिया। बादशाह उस युवक को धन्यवाद करने के लिए आगे बढ़े। तभी बादशाह ने देखा कि वो कोई और नहीं जैनुस्सनम ही है।

जैनुस्सनम को देखते ही बादशाह ने उसे गले लगा लिया। उसे जिंदा देखकर बादशाह इतने खुश थे कि उनके मुंह से कुछ आवाज नहीं निकली। जैनुस्सनम ने खुद ही कहा, “मैं आपका बेटा हूं। सबने मुझे मरा हुआ समझ लिया था, लेकिन मुझे एक किसान जख्मी हालत में उठाकर अपने गांव ले गया था। उसने मेरा इलाज किया और मैं ठीक हो गया। जब मैंने अपने राज्य वापस आने की सोची, तो पता चला कि हैरन का दुश्मन हमारे राज्य पर हमला करने वाला है। तब मैंने गांव के नौजवानों को लड़ाई करना का परीक्षण दिया और सबको अपने साथ यहां लेकर आ गया।”

यह सब सुनकर बादशाह ने उसे अपने महल जाकर मां से मिलने को कहा। जैनुस्सनम वहां जाकर मां से मिला और वहां अपनी पत्नी को भी देखकर खुश हो गया। तभी बादशाह वहां पहुंचे और उन्होंने कहा कि जैनुस्सनम तुम बहुत साहसी हो। राक्षस से तुम्हारी लड़ाई और अन्य सारी चीजें मैं जानता हूं। जैनुस्सनम ने कहा कि, “अब्बा आपको ये सब भाइयों ने बताया होगा न।” गुस्से में बादशाह ने जैनुस्सनम से उनका नाम न लेने को कहा।

जैनुस्सनम की मां ने उसे बताया कि हम सबको पता है कि तुम्हें मारने की कोशिश किसने की थी। अब तुम्हारे सभी भाइयों को सजा मिलेगी। उनको बादशाह मृत्यु दंड सुना चुके हैं। यह सुनकर जैनुस्सनम ने बादशाह से कहा कि वो आपके बेटे और मेरे भाई हैं, इसलिए उन्हें छोड़ दीजिए। हां, उन्होंने काफी बड़ा गुनाह किया है, लेकिन उन्हें एक मौका मिलना चाहिए।

जैनुस्सनम की बात मानकर तुरंत बादशाह ने सैनिकों से शहजादों को बंदीगृह से उनके पास लाने के लिए कहा। जैसे ही सारे शहजादे वहां पहुंचे जैनुस्सनम ने उन्हें गले से लगा लिया। यह सब देखकर बादशाह ने खुश होकर जैनुस्सनम को राज्य का युवराज घोषित कर दिया। फिर बादशाह ने युवराज जैनुस्सनम की जान बचाने वाले किसान और उनकी बहू को वहां लाने के लिए हकीम को काफी सारा इनाम दिया।

इतनी कहानी सुनाकर शहरजाद चुप हो गई। दुनियाजाद ने उसके किस्से की काफी प्रशंसा की। यह सुनकर शहरजाद ने कहा, “मेरे पास ऐसी ही मनोरंजक एक और कथा है। अगर बादशाह मुझे जान से न मारें, तो मैं कल सुबह उन्हें वो कहानी सुनाना चाहूंगी। बादशाह ने अनुमति दे दी। इस कहानी को जानने के लिए दूसरी स्टोरी पढ़ें।

 

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