ग्वालन एक छोटे से गाँव में रहता था। उसके पिता एक किसान थे, जो रोजाना खेतों में काम करते थे। ग्वालन की मां नहीं थी, इसलिए उसका पिता ही उसकी पोषण और शिक्षा का प्रमुख स्रोत थे।
ग्वालन के पिता ने हमेशा उसे यह सिखाया कि किसी भी काम को समय पर करना अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। वे उसे कहते थे, “समय का महत्व समझना ही अच्छी शिक्षा है।”
ग्वालन ने अपने पिता के उपदेश को स्वीकार किया और जीवन में इसे अमल में लिया। वह हमेशा समय पर स्कूल जाता था, अपने विद्यालय के काम को समय पर पूरा करता था और अपने साथियों को भी समय पर पहुंचने के लिए प्रेरित करता था।
एक दिन, ग्वालन को अपने स्कूल में एक प्रस्तुति के लिए चुना गया। वह एक दिन पहले ही अपनी प्रस्तुति की तैयारी करने लगा, लेकिन उसकी तबियत खराब हो गई और वह बीमार पड़ गया। लेकिन ग्वालन ने नहीं हार मानी, उसने अपनी बीमारी के बावजूद प्रस्तुति का तैयारी किया और समय पर स्कूल पहुंचा। उसकी मेहनत और समय पर पहुंचने की वजह से उसकी प्रस्तुति बहुत ही प्रशंसनीय और सफल हुई।
ग्वालन ने अपने पिता की शिक्षा को सच माना और उसने जीवन में सफलता पाई। उसने यह सिखाया कि मेहनत, समय का महत्व और आत्मविश्वास ही वास्तव में अच्छी शिक्षा है।