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An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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विद्या, ज्ञान का दिवस बसंत पंचमी विशेष

 

माघ शुक्लपक्ष पंचमी के दिन वसंत पंचमी बड़े ही हर्ष एवं उल्लास के साथ मनाया जाता है।

मान्यता के अनुसार सर्ष्टि के रचयिता ब्रह्मा ने सृष्टि की रचना करने के बाद मनुष्य को बनाया, जिसके पास ज्ञान और शब्द नहीं थे , तब उन्होंने अनुभव किया कि नि:शब्द सृष्टि का औचित्य नहीं है, क्योंकि बिना शब्दों के विचारों की अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं था और इस कारण ज्ञान का प्रसार नहीं हो पा रहा था। तब उनके द्वारा वसंत पंचमी के ही शुभ दिन में पत्तों पर जल छिड़कने से ही विद्या की अधिष्ठात्री देवी का अवतरण हुआ जिनके एक हाथ में वीणा, दूसरा हाथ में वर मुद्रा और अन्य दोनों हाथों में पुस्तक और माला थी एवं जिनका वाहन मयूर ( मोर) है।

माता सरस्वती की वीणा को संगीत का , पुस्तक को विचार का और वाहन मयूर को कला का प्रतीक माना जाता है । इस बार 2017 में वसंत पंचमी 1 फ़रवरी दिन बुधवार को मनाई जाएगी।

बसंत पंचमी के पूजा का मुहूर्त = 07:18 से 12:38 तक । विद्या की देवी माँ सरस्वती की पूजा इसी समय करना बहुत शुभ होगा ।

वाक सिद्धि प्राप्ति हेतु ,इस मंत्र का जाप करें –

“ओम् हृीं ऐं हृीं ओम् सरस्वत्यै नम:”

आत्म ज्ञान की प्राप्ति के लिए इस मंत्र का जाप करें –

“ओम् ऐं वाग्देव्यै विझहे धीमहि।
तन्नो देवी प्रचोदयात्!!”

यह दिन विवाह और किसी भी नए कार्य के प्रारम्भ के लिए उत्तम माना गया है । इसी दिन होलिका का डाँड भी लगाया जाता है , इस दिन छोटे बच्चो को अक्षर ज्ञान, हाथ में कलम थमा कर उनकी शिक्षा की शुरुआत करायी जाती है ।

बसंत पञ्चमी के दिन से ही बसंत ऋतु का आरम्भ माना जाता है । वसंत ऋतु को सभी ऋतुओं का राजा अर्थात “ऋतुराज” कहा गया है इस दिन भगवान विष्णु, कामदेव तथा रति की पूजा की जाती है। आज ही के दिन भगवान श्रीराम माता शबरी के आश्रम में आये थे ।

माँ सरस्वती मानव के लिए परम आवश्यक, ज्ञान प्राप्ति की प्रथम सीढ़ी वाक शक्ति की अधिष्ठात्री हैं । बिना वाणी के अच्छाई-बुराई , सच-झूठ ,प्रेम एवं निष्ठुरता किसी का भी ज्ञान ही नहीं हो पाता। प्राचीनकाल में वेद, पुराण आदि समस्त शास्त्र कंठस्थ किए जाते रहे हैं। आचार्यों द्वारा शिष्यों को गुरु-मंत्र उनकी वाणी से ही मिलता है। प्राचीन काल में समस्त ऋषि मुनि, आचार्यो और आजकल स्कूल कालेजो में अध्यापको द्वारा ज्ञान प्रदान करने, छात्रों को समझाने में उनकी वाणी का प्रमुख स्थान है।

माना जाता है कि इसी दिन मनुष्य शब्दों की शक्ति से परिचित हुए थे अर्थात उसने बोलना सीखा था। इसलिए इस दिन सभी के साथ संयमपूर्वक शुभ और प्रेम वचन बोलने से ईश कृपा प्राप्त होती है।

माँ सरस्वती मनुष्य के शरीर में उसके कंठ और जिह्वा में निवास करती है जो वाणी और स्वाद का स्वरूप है |
मान्यता है कि इस दिन बोले गए वाक्य शीघ्र सफल होते है। अतः इस दिन शुभ वचन ही बोलने चाहिए ।

माता सरस्वती को विद्या की देवी कहा जाता है। विद्या, ज्ञान के बिना इस धरती में सब कुछ अधूरा है और इनकी कृपा से ही व्यक्ति को इस सृष्टि के परम आवश्यक विद्या एवं ज्ञान की प्राप्ति होती है । इसी ज्ञान के माध्यम से सृष्टि के लगभग समस्त कार्य सम्पादित होते है। वे उस शक्ति का प्रतीक हैं जो मानव को अज्ञान के अंधकार से ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाती है। सरस्वती माता की आराधना से ही जातक को विद्या एवं ज्ञान के साथ साथ तमाम ललित कलाओं जैसे संगीत, साहित्य, कविता, वाकपटुता आदि में भी निपुणता प्राप्त होती है।
कहते है कि इनकी अनुकम्पा से ही महर्षि वाल्मीकि ने संसार के सर्वप्रथम महाकाव्य रामायण की रचना की थी ।महर्षि वेदव्यास ने पुराणों की रचना के लिए माता सरस्वती जी की आराधना की थी ।

ब्रह्मवैवर्त पुराण में लिखा है कि भगवान श्रीकृष्ण ने माँ सरस्वती जी को यह वरदान दिया था कि माघ-शुक्ल-पंचमी के दिन तथा विद्यारंभ करते समय सभी लोग आपकी पूजा करेंगे तभी उन्हें वास्तविक ज्ञान की प्राप्ति होगी । मान्यता है कि सरस्वती देवी की महिमा से, इनकी कृपा से मंदबुद्धि भी महा विद्धान बन सकता है। इसीलिए इस दिन प्रत्येक विद्यार्थी के लिए सरस्वती पूजा अति शुभ मानी गयी है, और जिन्हे जीवन में अच्छी शिक्षा, उत्कृष्ट ज्ञान चाहिए उन्हें सच्चे मन, पूर्ण श्रद्धा से इस दिन माँ सरस्वती की आराधना अनिवार्य रूप से करनी चहिये।

इस दिन ना केवल विद्यार्थियों वरन सभी जातको को सुबह सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत होकर साफ पीले वस्त्र पहनकर, गंगाजल, दूध व दही से स्नान के बाद धूप दीप जलाकर पीले फूल, पीले मिष्ठान अर्पण करके माँ की आराधना करनी चाहिए और उनसे विवेक, ज्ञान और सद्बुद्धि का आशीर्वाद लेना चाहिए। बसंत पंचमी के दिन सरस्वती माता के चरणों पर गुलाल चढ़ाकर देवी सरस्वती को श्वेत वस्त्र पहनाएं / अर्पण करें ।
इस दिन पीले फल, मालपुए और खीर का भोग लगाने से माता सरस्वती शीघ्र प्रसन्न होती है ।

बसंत पंचमी का दिन बच्चो की शिक्षा प्रारम्भ करने का सबसे उपर्युक्त दिन माना जाता है । बसंत पँचमी के दिन आप अपने सभी बड़े, परिचितों, और गुरुओं के प्रति सम्मान अवश्य ही व्यक्त करें । उनके पास जाकर अभिवादन करें अगर हो सके तो उन्हें कोई उपहार या फूल ही दें, उनके प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त करें । यह सच्चे मन से बताएँ की वह आपके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है ।

भारतीय ज्योतिषशास्त्र के अनुसार वसंत पंचमी को अति शुभ माना गया है, इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त घोषित किया गया है। अर्थात इस दिन कोई भी काम बिना मुहूर्त देखे ही किया जा सकता है। सभी पवित्र कार्य जैसे मुंडन, यज्ञोपवीत, सगाई, विवाह , तिलक, गृहप्रवेश आदि सभी मांगलिक कार्य इस दिन अति शुभ फलदायी माने गए हैं।

बसंत पंचमी के दिन गहने, कपड़े, वाहन आदि की खरीदारी आदि भी अति शुभ है ।इस दिन यथा संभव ब्राह्मण को दान आदि भी अवश्य ही करना चाहिए ।

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