शरीर में हीमोग्लोबिन वास्तव में लालरक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) में पाया जाने वाला वह प्रोटीन (Protine) है जिसमें हीम के रूप में लौह के साथ ग्लोबिन के रूप में प्रोटीन अंश होता है। हीमोग्लोबिन (Hemoglobin) फेफड़ों से आक्सीजन को शरीर के ऊतकों में ले जाता है।
रक्त में लालरक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की कमी से एनीमिया (Anemia) की स्थिति भी आ सकती है जिसमें लालरक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) की संख्या या हीमोग्लोबिन की मात्रा सामान्य से कम हो जाती है।
लालरक्त कोशिकाओं की वृद्धि के लिये आहार –
1. गहरी हरी पत्तेदार सब्जियाँ, जैसे पालक अधिक खायें.
2. सूखे मेवे, जैसे किशमिश का सेवन बढ़ायें.
3. फलियाँ व गाँठदार जड़ों वाली खाद्य-सामग्रियाँ रसोई में लायें.
4. विटामिन-बी12 युक्त खाद्य – खमीर (Yeast) व फ़ोर्टिफ़ाईड उत्पाद, दूध, मश्रूम, चुकन्दर, पालक, आलू, सेब, केला का दिनचर्या का भाग बनायें.
5. लौहयुक्त पदार्थ – सोयाबीन, मसूर, कद्दू, अलसी, तिल का सेवन करें, लौहे के पात्र में खाना पकायें.
6. फ़ालेट युक्त खाद्य – यह बी-विटामिन्स में सम्मिलित एक विटामिन है जो फलीदार फसलों, भाजियों एवं पपीते में पाया जाता है.
7. ताँबायुक्त खाद्य – मटर, चने एवं सूर्यमुखी के बीज किसी न किसी प्रकार से आहार में लायें, ताँबे के पात्र में रखा जल पीयें.
8. संतुलित आहार के लिये तिरंगी थाली की तरीका अपनायें जिसमें केसरी (जैसे कि फल), सफ़ेद (जैसे कि दुग्धोत्पाद) एवं हरा (जैसे कि भाजी-तरकारियाँ) रंग अवश्य हो क्योंकि एक खाद्य के तत्त्व अन्य खाद्यों के तत्त्वों के अवशोषण में सहायता करते हैं तथा अंकुरित अनाज एवं सलाद की मात्रा बढ़ायें।
साथ में स्वच्छता व सावधानी के साथ स्थानीय व ताजे मिश्रित फलों व सब्जियों इत्यादि के रसों का सेवन भी किया जा सकता है परन्तु रेशे सहित सेवन करें तो अधिक उपयुक्त होगा।
उपरोक्त उपाय अपनाने के साथ ही खून की लालरक्त कोशिका-जाँच करायें एवं चिकित्सक से भेंट करें। यदि लौह अथवा फ़ालेट या अन्य किसी पदार्थ की कमी पूरी करने के लिये Doctor कोई औषधि (Medicine) लिखे तो उसे उतनी मात्रा में व उस अवधि तक ही लें, अन्यथा विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका रहती है।
लालरक्त कोशिकाओं की कमी के लक्षण –
*. थकान – थोड़ी-सी सीढ़ियाँ चढ़ने-उतरने अथवा ज़रा-सा श्रम कर लेने में भी थकावट आने लगना
*. साँस लेने में कठिनाई अथवा दिल की धड़कनें तेज होना
*. ठण्ड अधिक लगना
*. कमज़ोरी (ऐसा लगना कि कुछ करते नहीं बन रहा अथवा आलस्य हावी हो रहा है अथवा नींद-नींद जैसी आती रहती है)
*. सिर चकराना अथवा घूमने जैसा लगना, विशेष रूप से तब जब आप आसन-मुद्रा में तेजी से परिवर्तन करें
*. सिरदर्द
*. त्वचा में पीलापन
लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) में कमी क्यों ?
*. लाल रक्त कोशिकाएँ शरीर में कम बनना या बनकर शीघ्र नष्ट हो जाना अथवा हीमोग्लोबिन पर्याप्त न होना अथवा होना किन्तु सुचारु कार्य न करना.
*. मद्यपान – इससे शरीर में लालरक्त कोशिकाओं का उत्पादन कम हो जाता है.
*. धूम्रपान – धूम्रपान एवं तम्बाकू उत्पादों के प्रयोग से लालरक्त कोशिकाओं की कला (झिल्ली) कमज़ोर पड़ने लगती है.
*. प्रसव अथवा दुर्घटनादि किसी कारणवश (उदाहरणार्थ शल्यचिकित्सा के दौरान) Blood अचानक अत्यधिक बह जाना अथवा किसी कारणवश लालरक्त कोशिकाओं के धीरे-धीरे नष्ट होने से बाद में शरीर में उनकी कमी हो जाना.
जैसे कि बड़ी आँत के कैन्सर में लाल रक्त कोशिकाओं में कमी हो सकती है अथवा बिना प्रामाणिक प्रिस्क्रिप्शन के दवाएँ लेते रहने से अल्सर (Alsar) इत्यादि स्थितियों के दौरान व्यक्ति को पता भी नहीं चलता कि लालरक्त कोशिकाएँ अब पर्याप्त मात्रा में नहीं बन रहीं.
*. अस्थि-मज्जा (Bone marrow) से सम्बन्धित किसी समस्या से, जैसे कि कैन्सर के कारण यदि अस्थि-मज्जा हटानी पड़ी हो या कीमोथिरॅपी ड्रग्स से लालरक्त कोशिकाओं में कमी आ गयी हो अथवा वृक्क (गुर्दे) सुचारु कार्य न कर रहे हों.
*. सिकल सेल एनीमिया जिसमें लालरक्त कोशिकाएँ असामान्य (हँसिये जैसी) आकृति की हो जाती हैं जबकि ये सामान्यतः लचीली व गोल होती हैं.
*. थैलीसीमिया में पर्याप्त हीमोग्लोबिन न होने से भी लालरक्त कोशिकाएँ (Red Blood Cells) कम पड़ सकती हैं.
*. पोषणात्मक कमी से, जैसे कि लौह की कमी, आहार में ताँबे की कमी से भी रक्त में लौह की कमी आ सकती है क्योंकि ताँबा ऐसा खनिज है जो रक्त-कोशिकाओं में लौह के अवशोषण में सहायक बनता है, विटामिन – बी12 की कमी अथवा फ़ालेट की कमी से भी लालरक्त कोशिकाएँ कम हो सकती हैं.
*. चाय-काफ़ी, कोला इत्यादि जैसे लौह-अवरोधकों (आयरन-ब्लाकर्स) से शरीर में लौह का अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता.
*. अपने मन से अथवा फ़ार्मासिस्ट के कहने पर एण्टीबायोटिक ले लेने से अथवा प्रामाणिक चिकित्सक द्वारा दर्शायी अवधि तक Anti – Biotech का सेवन पूर्ण न करने से भी लालरक्त कोशिकाओं पर किसी न किसी प्रकार का प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है.
पहली बात तो एण्टीबायोटिक सरलता से नहीं लेने चाहिए एवं यदि जरुरी हुए तो चिकित्सक वर्णन करेगा एवं उसकी बतायी अवधि तक समयबद्ध रूप से उसका सेवन जरूरी होगा.
*. लालरक्त कोशिकाओं में कमी अथवा एनीमिया के अन्य कारण भी देखे गये हैं, जैसे कि थायरायड विकार, यकृत-रोग, सीसा नामक भारी धातु से उत्पन्न विषाक्तता, लार से फैलने वाला मोनोन्यूक्लियोसिस (जिससे पीलिया व हिपेटाइटिस भी हो सकता है), मलेरिया, वायरल हिपेटाइटिस, शरीर के भीतर कृमि-संक्रमण इत्यादि.