“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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यूनेस्को द्वारा घोषित भारत की 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासत

अमूर्त (Intangible) सांस्कृतिक विरासत क्या है ?

  • अमूर्त संस्कृति किसी समुदाय, राष्ट्र आदि की वह निधि है जो सदियों से उस समुदाय या राष्ट्र के अवचेतन को अभिभूत करते हुए निरंतर समृद्ध होती रहती है।
  • विरासत सिर्फ स्‍मारकों या कला वस्‍तुओं के संग्रहण तक ही सीमित नहीं होता है। इसमें उन परंपराओं एवं प्रभावी सोचों को भी शामिल किया जाता है जो पूर्वजों से प्राप्‍त होते हैं ओर अगली पीढ़ी को प्राप्‍त होते हैं जैसे- मौखिक रूप से चल रही परंपराएं, कला प्रदर्शन, धार्मिक एवं सांस्‍कृतिक उत्‍सव और परंपरागत शिल्‍पकला।
  • यह अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत अपने प्रकृति के अनुरूप क्षणभंगुर है और इसे संरक्षण करने के साथ-साथ समझने की भी आवश्‍यकता है क्‍योंकि वैश्‍वीकरण की इस बढ़ते दौर में सांस्‍कृतिक विविधताओं को अक्षुण्‍ण रखना एक महत्‍वपूर्ण कारक है।
  • अमूर्त सांस्कृतिक समय के साथ अपनी समकालीन पीढि़यों की विशेषताओं को अपने में आत्मसात करते हुए मौजूदा पीढ़ी के लिये विरासत के रूप में उपलब्ध होती है।
  • अमूर्त संस्कृति समाज की मानसिक चेतना का प्रतिबिंब है, जो कला, क्रिया या किसी अन्य रूप में अभिव्यक्त होती है।
  • उदाहरणस्वरूप, योग इसी अभिव्यक्ति का एक रूप है। भारत में योग एक दर्शन भी है और जीवन पद्धति भी। यह विभिन्न शारीरिक क्रियाओं द्वारा व्यक्ति की भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग प्रशस्त करता है।

भारत में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत

  • भारतीय संस्‍कृति की बहुलता और अनेकता सम्‍पूर्ण विश्‍व के लिए एक साक्ष्‍य है कि भारत मानवता की अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत (आईसीएच) के रूप में माने जाने वाले गीत, संगीत, नृत्‍य, रंगमंच, लोक परम्‍पराओं, मंच कलाओं, रीति – रिवाजों, भाषाओं, बोलियों, चित्रों और लेखन का विश्‍व में सबसे बड़ा संग्रह वाला देश है।
  • यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची 2008 में स्थापित की गई थी जब अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए कन्वेंशन लागू हुआ था। यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के दो भाग हैं। मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची और तत्काल सुरक्षा की आवश्यकता में अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सूची।
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची में एक तत्व को शामिल करने के लिए, राज्य दलों को यूनेस्को समिति के मूल्यांकन के लिए संबंधित तत्व पर नामांकन डोजियर प्रस्तुत करना आवश्यक है।
  • संस्कृति मंत्रालय ने एक स्वायत्त संगठन, संगीत नाटक अकादमी को, अमूर्त सांस्कृतिक विरासत से संबंधित मामलों के लिए नोडल कार्यालय के रूप में नियुक्त किया है, जिसमें यूनेस्को की प्रतिनिधि सूची के लिए नामांकन डोजियर तैयार करना शामिल है।

 

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की प्रतिनिधि सूची

अमूर्त (intangible) सांस्कृतिक विरासत
कालबेलिया नृत्य

अमूर्त सांस्कृतिक विरासत

वर्ष

वैदिक जप की परंपरा 2008
रामलीला, रामायण का पारंपरिक प्रदर्शन 2008
कुटियाट्टम, संस्कृत थिएटर 2008
रमन, धार्मिक त्योहार और गढ़वाल हिमालय के अनुष्ठान थिएटर, भारत 2009
मुदियेट्टू, अनुष्ठान थिएटर और केरल के नृत्य नाटक 2010
कालबेलिया लोक गीत और नृत्य, राजस्थान 2010
छऊ नृत्य 2010
लद्दाख का बौद्ध जप 2012
संकीर्तन, अनुष्ठान गायन, ढोल और मणिपुर का नृत्य 2013
जंडियाला गुरु के ठठेरे: बर्तन बनाने का पारंपरिक पीतल और तांबे का शिल्प 2014
योग 2016
नवरोज़ 2016
कुंभ मेला 2017
दुर्गा पूजा (कोलकाता) 2021

यूनेस्को की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत से सम्बंधित प्रमुख बिंदु

  • ध्यातव्य है कि भारत में अनोखी अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) परंपराओं का भंडार है, जिनमें से 14 को यूनेस्को (UNESCO) द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में भी मान्यता दी है।
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) की राष्ट्रीय सूची का उद्देश्य भारतीय अमूर्त विरासत में निहित भारतीय संस्कृति की विविधता को नई पहचान प्रदान करना है।
    • इस राष्ट्रीय सूची का उद्देश्य राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत के विभिन्न राज्यों में मौजूद अमूर्त सांस्कृतिक विरासत तत्त्वों के संबंध में जागरूकता बढ़ाना और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना है।
  • उल्लेखनीय है कि यह पहल संस्कृति मंत्रालय के विज़न 2024 (Vision 2024) का एक हिस्सा भी है।
  • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिये यूनेस्को के वर्ष 2003 के कन्वेंशन (Convention) का अनुसरण करते हुए संस्कृति मंत्रालय ने इस सूची को अमूर्त सांस्कृतिक विरासत को प्रकट करने वाले पाँच व्यापक डोमेन में वर्गीकृत किया है-
    • अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के एक वाहक के रूप में भाषा सहित मौखिक परंपराएँ और अभिव्यक्ति;
    • प्रदर्शन कला;
    • सामाजिक प्रथाएँ, अनुष्ठान और उत्सव;
    • प्रकृति एवं ब्रह्मांड के विषय में ज्ञान तथा अभ्यास;
    • पारंपरिक शिल्प कौशल।
  • अब तक इस राष्ट्रीय सूची में 100 से अधिक अमूर्त सांस्कृतिक विरासत (ICH) परंपराओं और तत्त्वों को शामिल किया गया है, इसमें भारत की 13 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें भी शामिल हैं जिन्हें यूनेस्को (UNESCO) ने मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप मान्यता दी है।
  • संस्कृति मंत्रालय द्वारा इस राष्ट्रीय सूची को समय के साथ अपडेट किया जाएगा।

 

भारत सरकार द्वारा अमूर्त सांस्कृतिक विरासत की देखभाल के लिए किये गए उपाय

वर्ष 2005 में अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत की सुरक्षा के सम्‍मेलन के अनुसमर्थन के पश्‍चात सरकार ने अपने अनेक अभिकरणों, अर्धसरकारी अभिकरणों और क्षेत्रीय सरकारी अभिकरणों, गैर-सरकारी संगठनों के माध्‍यम से गंभीर प्रयास किए हैं जो वृद्धि, स्थिरता, आगे दृश्‍यता और विकास के लिए अनेक तरीकों से अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत के तत्‍वों की सहायता करते हैं।

अमूर्त सांस्‍कृतिक विरासत सभी स्‍तरों पर व्‍यक्तियों और समुदायों को सक्षम बनाते हुए रहन – सहन और सतत पुनर्सृजित प्रथाओं, जानकारियों और प्रस्‍तुतीकरण में सहायता करती है जो मूल्‍यों तथा नैतिक मानकों की प्रणाली के माध्‍यम से उनकी बृहद संकल्‍पना को व्‍यकत करने में मदद करती है। भारत की सांस्‍कृतिक विरासत की सुरक्षा के लिए निम्‍नलिखित बहुआयामी प्रणाली निरूपित की गई है :

  1. राष्‍ट्रीय स्‍तर पर : अकादमियां (संगीत नाटक अकादमी, साहित्‍य अकादमी, ललित कला अकादमी), स्‍वायत्‍तशासी निकाय (जैसे आईसीसीआर), अधीनस्‍थ निकाय (जैसे भारतीय मानवविज्ञान सर्वेक्षण) और अनेक स्‍वायत्‍त शासी संस्‍थान, मिशन और सर्वेक्षण गठित किए गये हैं।
  2. राज्‍य स्‍तर पर : अनेक क्षेत्रीय सांस्‍कृतिक केन्‍द्र, भारत के राज्‍यों को क्षेत्रवार कवर करते हुए स्‍थापना की गई है – पूर्व क्षेत्र, उत्‍तर क्षेत्र, उत्‍तर मध्‍य क्षेत्र, दक्षिण मध्‍य क्षेत्र, दक्षिण क्षेत्र और पश्चिम क्षेत्र।
  3. क्षेत्रीय, जिला और जमीनी स्‍तर पर सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देते हुए अपनेपन और निरंतरता की समझ का समुदायों के बीच सृजन।

यूनेस्को (UNESCO)

  • यूनेस्को की स्थापना वर्ष 1945 में स्थायी शांति बनाए रखने के रूप में “मानव जाति की बौद्धिक और नैतिक एकजुटता” को विकसित करने के लिये की गई थी।
  • इसका मुख्यालय पेरिस (फ्रांस) में है।
  • भारत में यूनेस्को द्वारा मान्यता प्राप्त कुल 40 मूर्त विरासत धरोहर स्थल (32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और 1 मिश्रित) हैं और 14 अमूर्त सांस्कृतिक विरासतें हैं।

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