“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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Knowledge for All, without Barriers……….
An Initiative by: Kausik Chakraborty.

The Knowledge Library

शोषण के विरुद्ध अधिकार(Right against exploitation)

->अनुच्छेद-23 के तहत मनुष्य के क्रय-विक्रय एवं बेगार, बंधुवा मजदूरी आदि पर रोक लगा दी गई है|
->अनुच्छेद-24 के तहत 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को किसी भी कार्य में नही लगाया जा सकता है| यह बालश्रम कानून 10 Oct 2006 को लागू किया गया|

धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार(Right to freedom of religion)अनुच्छेद- 25 से 28

->अनुच्छेद-25 के तहत अंतःकरण और धर्म को अबाध रूप से मानने, आचरण और प्रचार करने की स्वतंत्रता प्रदान की गई है|यह स्वतंत्रता लोक व्यवस्था सदाचार और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए दी गई है| इसी अनुच्छेद के अंतर्गत सिक्खों को कृपाण धारण करके चलने की स्वतंत्रता दी गई है|
->अनुच्छेद-26 के अनुसार धार्मिक कार्यों के प्रबंध की स्वतंत्रता दी गई|अर्थात् व्यक्ति को अपने धर्म के लिए संस्थाओं की स्थापना व पोषण करने, विधि-सम्मत संपत्ति के अर्जन, स्वामित्व व प्रशासन का अधिकार दिया गया है|
->अनुच्छेद-27 के तहत धार्मिक व्यय(खर्च) के लिए निश्चित धन पर कर अदायगी में छूट दी गई है|
->अनुच्छेद-28 के तहत शिक्षा संस्थानों में धार्मिक-शिक्षा और धार्मिक उपासना में कुछ प्रावधान किए गए हैं|
(1)अनुच्छेद-28(a)के अनुसार राज्य द्वारा स्थापित किसी शिक्षा संस्था में कोई धार्मिक-शिक्षा नहीं दी जाएगी|
(2)अनुच्छेद-28(b)के अनुसार यदि कोई शिक्षा संस्थान ट्रस्ट द्वारा स्थापित किया जाता है तो उस पर अनुच्छेद 28(a)लागू नहीं होता है|
(3)अनुच्छेद-28(c)के अनुसार राज्य द्वारा मान्यता या सहायता प्राप्त शिक्षा संस्थानों में किसी को धार्मिक उपासना के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा|

संस्कृति एवं शिक्षा संबंधी अधिकार(Cultural & educational rights)अनुच्छेद-29 से 30

->यह मूल अधिकार केवल अल्पसंख्यक वर्गों को प्राप्त है|
->अनुच्छेद-29 में अल्पसंख्यक वर्गों के हितों के संरक्षण का प्रावधान है, परंतु भारतीय संविधान में अल्पसंख्यक शब्द को कहीं परिभाषित नहीं किया गया है|
->अनुच्छेद-29(a)के अनुसार किसी भी अल्पसंख्यक वर्ग को अपनी भाषा, लिपि, और संस्कृति को सुरक्षित रखने का अधिकार है|
->अनुच्छेद-29(b)के अनुसार केवल भाषा, जाति, धर्म, और संस्कृति के आधार पर उसे किसी भी सरकारी शैक्षिक संस्था में प्रवेश से नहीं रोका जाएगा|
->अनुच्छेद-30 के अनुसार अल्पसंख्यकों को शिक्षा-संस्थान की स्थापना और प्रशासन का अधिकार दिया गया है|
Note-अनुच्छेद-31 में “संपत्ति का अधिकार” आता है जिसे हटा दिया गया है|

संवैधानिक उपचारों का अधिकार(Right to constitutional remedies)अनुच्छेद-32

->संवैधानिक उपचारों के अधिकारों को डॉ. भीमराव आंबेडकर ने इसे भारतीय संविधान का हृदय और आत्मा कहा है|
->अनुच्छेद-32 के तहत मूल अधिकारों की अवहेलना की स्थिति में व्यक्ति सर्वोच्च न्यायालय(SC)/उच्च न्यायालय(HC) की शरण ले सकता है|सर्वोच्च न्यायालय मूल अधिकारों की रक्षा हेतु अनुच्छेद-32 के तहत तथा उच्च न्यायालय अनुच्छेद-226 के तहत पांच प्रकार का रीट/आदेश जारी कर सकता है|
(1)बंदी-प्रत्यक्षीकरण – यह रीट/आदेश सर्वोच्च न्यायालय उस व्यक्ति की प्रार्थना पर कार्यपालिका को जारी करता है जब उस व्यक्ति को यह लगता है कि उसे अवैध रूप से बंदी बनाया गया है|इस आदेश के तहत बंदी को मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रस्तुत करने का निर्देश दिया जाता है|
(2)परमादेश – इस रीट का प्रयोग ऐसे अधिकारी को आदेश देने के लिए क्या जाता है जो संवैधानिक कर्तव्यों का निर्वाह नहीं करता है|
(3)प्रतिषेध-लेख-यह रीट सर्वोच्च न्यायालय तथा उच्च न्यायालय द्वारा निचली अदालतों तथा अर्द्ध-न्यायिक न्यायाधिकरणों के लिए जारी की जाती है जिसके तहत मुकदमे की सुनवाई तत्काल रोक दी जाती है|यह रीट उस स्थिति में जारी की जाती है जब संबंधित न्यायालय मुकदमे की सुनवाई में सक्षम न हो अथवा न्यायाधीश की निष्पक्षता पर संदेह हो|
(4)उत्प्रेषण – यह रीट भी अधीनस्थ न्यायालयों या न्यायिक या अर्द्ध-न्यायिक कार्य करने वाले निकायों के विरुद्ध जारी की जाती है|
इसके द्वारा अधीनस्थ न्यायालयों को अपने समक्ष के मामलों को वरिष्ठ न्यायालय को भेजने का निर्देश दिया जाता है|
(5)अधिकार पृच्छा-लेख – यह रीट कार्यपालिका को तक जारी की जाती है जब कोई व्यक्ति गैरकानूनी ढंग से ऐसे पदाधिकारी के रूप में कार्य करने लगता है जिसके रूप में कार्य करने का उसे वैधानिक रुप से अधिकार नहीं है|

मौलिक अधिकारों का निलंबन(Suspension of Fundamental Rights)

->मौलिक अधिकारों का निलंबन राष्ट्रपति आपातकाल में कर सकता है|
->यदि आपातकाल की घोषणा करने हेतु केवल अनुच्छेद-359(सशस्त्र विद्रोह, राज्य आपातकाल, वित्तीय आपातकाल) को प्रभावी किया जाए तो कोई भी मूल अधिकार स्वत: निलंबित नहीं होता|
->यदि अनुच्छेद-359 के साथ-साथ 358 को भी लागू कर दिया जाए तो अनुच्छेद-19 स्वत: निलंबित हो जाता है|
->राष्ट्रपति चाहे तो अलग से आदेश जारी करके अन्य मूल अधिकारों को भी निलंबित कर सकता है परंतु अनुच्छेद-20 और 21 को किसी भी परिस्थिति में निलंबित नहीं किया जा सकता(यह व्यवस्था 44वें संविधान संशोधन 1978 के तहत जोड़ा गया)

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