30 जनवरी को विश्व कुष्ठरोग उन्मूलन दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य कुष्ठरोग को समाप्त करना तथा कुष्ठरोग से पीड़ित लोगों के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त करना है। कुष्ठरोग से पीड़ित लोग सामाजिक भेदभाव के कारण अक्सर अवसाद का शिकार हो जाते हैं। इसके इलाज के लिए पीड़ित को मल्टी-ड्रग थेरेपी की आवश्यकता पड़ती है, इस थेरेपी के तहत पीड़ित को 6 माह से एक वर्ष तक दवाइयों का सेवन करना पड़ता है।
विश्व में विश्व कुष्ठरोग दिवस जनवरी के अंतिम रविवार को मनाया जाता है, लेकिन भारत में यह दिवस महात्मा गाँधी की पुण्यतिथि पर 30 जनवरी को मनाया जाता है।
वर्ष 1953 में कुष्ठ रोग को लेकर लोगों में जन जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से फ्रांसीसी मानवीय राउल फोलेरो ने पहली बार ‘विश्व कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस’ की शुरुआत की थी। कुष्ठ रोग को दूर करने तथा उसके रोगियों की बेहतर अवस्था के लिए राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने विशेष प्रयास किए थे, इसीलिए उनकी पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने के उद्देश्य से हमारे देश में 30 जनवरी को ‘कुष्ठ रोग उन्मूलन दिवस’ मनाया जाता है।