यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, तत्र देवता: रमन्ते।
किसी भी देश की प्रगति का आंकलन करना है तो यह देखिए की वहां की नारी कितनी सशक्त है। क्या आप नारी का सम्मान करते हैं। अगर हाँ तो समझ लीजिए की आपका शिक्षित होना या फिर मानव जीवन प्राप्त करना सफल रहा।
नारी समाज का एक महत्वपूर्ण अंग है जिसके बिना समाज की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। नारी के अंदर सहनशीलता, धैर्य, प्रेम, ममता और मधुर वाणी जैसे बहुत से गुण विद्यमान है जो कि नारी की असली शक्ति है। यदि कोई नारी कुछ करने का निश्चय कर ले तो वह उस कार्य को करे बिना पीछे नहीं हटती है और वह बहुत से क्षेत्रों में पुरूषों से बेहतरीन कर अपनी शक्ति का परिचय देती है।
जब वो मांग में सिंदूर आते ही लड़की से औरत बन जाती है।
जब शादी की अगली सुबह बेटे को आराम करने दिया जाता है और उसे रसोई में प्रवेश मिल जाता है। सबकी पसंद का खाना बना के खिलाओ, अपनी पसंद का कोई पूछने वाला नही
जब उसकी हर ग़लती भी उसकी और उसके पति की हर ग़लती भी उसी की ग़लती कहलाती है।
जब मायके आने के लिए किसी की इजाजत जरूरी हो जाती है।
जब मायके की यादों की उदासी को उसके काम ना करने का बहाना करार दिया जाता है।
जब जरूरत पड़ने पर ना वो पति से पैसे मांग पाती है और ना ही पिता से।
जब उसकी माँ उसे समझौता करने को कहती रहती है। और अपनी सफल शादी की दुहाई देती रहती है।
जब रात को पति के बाद सोती है और सुबह पति से पहले उठती है।
जब अपने सपने/ख्वाहिशें भूल जाती है और कोई पुरानी सहेली उसको याद दिलाती है।
शादी सभी के लिए उतनी मीठी नहीं होती जितनी नज़र आती है। महिलाओं के लिए आज भी जीवन मुश्किल है।
वो जो महिला को आप रोज़ देखते है और उससे उसकी आँखों के नीचे काले घेरे होने का कारण पूछते है, मत पूछिए। वो कभी नहीं बताएगी। और अगर बताती भी है तो आप कभी नहीं समझेंगे।
अरे भई! जिसे उसकी माँ ने नहीं समझा, आप क्या खाक समझेंगे?
और भी जाने क्या-क्या बकवास दलीलों के रूप में सुनने को मिलती है।
महिलाओं के शांत चेहरों और फूल से हँसी के पीछे कौन-कौन से तूफ़ान गुज़र रहे होते है आप कभी नहीं समझोगे स्त्री को समझने के लिए सात जन्म कम पड़ जायेंगे एक दिन स्त्री की जगह लेकर तो देखो दिन में तारे नज़र आयेंगे:::::
औरतों की भावनाओं पर प्रहार मत करो।औरते भावना प्रधान होती हैं। महिलाओं की भावनाओं का सम्मान करो ।
पिछले जमाने जैसा नहीं है तुम बैठकर अधिकार चलाओगे, रोब जमाओगे
महिलाओं का सम्मान करो ।
स्त्रियों का अपमान, ईश्वर के अपमान तुल्य हैं, जो व्यक्ति स्त्री का अपमान करते है उनका पतन शीघ्र ही शुरू हो जाता हैं।
यदि आज का समाज उसे घर की चारदीवारी की सामग्री न समझे तो वह दिन दूर नहीं जब फिर से राम राज्य आ जाएगा। नारी त्याग, शांति और ममता की देवी है।
कहा भी गया है – यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते, तत्र देवता: रमन्ते। अर्थात जहां नारी की पूजा होती है वहां देवता वास करते हैं। *