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An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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भारत की नदियाँ| Important Rivers of India

भारत की नदियाँ

भारत की नदियों का देश के आर्थिक एवं सांस्कृतिक विकास में प्राचीनकाल से ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। सिंधु (सिन्धु) तथा गंगा (गङ्गा) नदी की घाटियों में ही विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सभ्यताओं – सिंधु (सिन्धु) घाटी तथा आर्य सभ्यता का आर्विभाव हुआ। आज भी देश की सर्वाधिक जनसंख्या एवं कृषि का संकेंद्रण (संकेन्द्रण) नदी घाटी क्षेत्रों में पाया जाता है। प्राचीन काल में व्यापारिक एवं यातायात की सुविधा के कारण देश के अधिकांश नगर नदियों के किनारे ही विकसित हुए थे तथा आज भी देश के लगभग सभी धार्मिक स्थल किसी न किसी नदी से संबद्ध (सम्बद्ध) है।

भारत की नदियों का वर्गीकरण

भारत की नदियाँ चार समूहों में वर्गीकृत की जा सकती हैं :

  • हिमालय की नदियाँ
  • प्रायद्वीपीय नदियाँ
  • तटवर्ती नदियाँ और
  • अंतःस्थलीय प्रवाह क्षेत्र की नदियाँ।

हिमालय की नदियाँ बारहमासी है, जिन्हें पानी आमतौर पर बर्फ पिघलने से मिलता है। इनमें वर्षभर निर्बाध प्रवाह बना रहता है। मानसून के महीने में हिमालय पर भारी वर्षा होती है, जिससे नदियों में पानी बढ़ जाने के कारण अक्सर बाढ़ आ जाती है। दूसरी तरफ प्रायद्वीप की नदियों में सामान्यतः वर्षा का पानी रहता है, इसलिए पानी की मात्रा घटती-बढ़ती रहती है। अधिकांश नदियाँ बारहमासी नहीं हैं। तटीय नदियां, विशेषकर पश्चिमी तट की, कम लंबी हैं और इनका जलग्रहण क्षेत्र सीमित है। इनमें से अधिकतर में एकाएक पानी भर जाता है। पश्चिमी राजस्थान में नदियाँ बहुत कम हैं। इनमें से अधिकतर थोड़े दिन ही बहती हैं।

ब्रह्मपुत्र का उद्भव तिब्बत में होता है जहां इसे ‘सांगपो’ के नाम से जाना जाता है और यह लंबी दूरी तय करके भारत में अरुणाचलप्रदेश में प्रवेश करती है जहां इसे दिहांग नाम मिल जाता है। पासीघाट के निकट, दिबांग और लोहित ब्रह्मपुत्र नदी में मिल जाती हैं, फिर यह नदी असम से होती हुई धुबरी के बाद बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है।

 

 

भारत में ब्रह्मपुत्र की प्रमुख सहायक नदियों में सुबानसिरी, जिया भरेली, धनश्री, पुथीमारी, पगलादीया और मानस हैं। बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र में तीस्ता आदि नदियां मिलकर अंत में गंगा में मिल जाती हैं। मेघना की मुख्यधारा बराक नदी का उद्भव मणिपुर की पहाडियों में होता है। इसकी मुख्य सहायक नदियां मक्कू, त्रांग, तुईवई, जिरी, सोनाई, रुकनी, काटाखल, धनेश्वरी, लंगाचीनी, मदुवा और जटिंगा हैं। बराक बांग्लादेश में तब तक बहती रहती है जब तक कि भैरव बाजार के निकट गंगा-ब्रह्मपुत्र नदी में इसका विलय नहीं हो जाता।

दक्कन क्षेत्र में प्रमुख नदी प्रणालियां बंगाल की खाड़ी में जाकर मिलती हैं। बहने वाली प्रमुख अंतिम नदियों में गोदावरी, कृष्णा, कावेरी, महानदी आदि हैं। नर्मदा और ताप्ती पश्चिम की ओर बहने वाली मुख्य नदियां हैं।

सबसे बड़ा थाला दक्षिणी प्रायद्वीप में गोदावरी का है। इसमें भारत के कुल क्षेत्र का लगभग 10 प्रतिशत भाग शामिल है। प्रायद्वीपीय भारत में दूसरा सबसे बड़ा थाला कृष्णा नदी का है और तीसरा बड़ा थाला महानदी का है। दक्षिण की ऊपरी भूमि में नर्मदा अरब सागर की ओर है और दक्षिण में कावेरी बंगाल की खाड़ी में गिरती है, इनके थाले बराबर विस्तार के हैं, यद्यपि उनकी विशेषताएं और आकार भिन्न-भिन्न हैं।

कई तटीय नदियां हैं जो तुलनात्मक रूप से छोटी हैं। ऐसी गिनी-चुनी नदियां पूर्वी तट के डेल्टा के निकट समुद्र में मिल जाती हैं जबकि पश्चिमी तट पर ऐसी करीब 600 नदियां हैं।

राजस्थान में कई नदियाँ समुद्र में नहीं मिलती। वे नमक की झीलों में मिलकर रेत में समा जाती हैं क्योंकि इनका समुद्र की ओर कोई निकास नहीं है। इनके अलावा रेगिस्तानी नदियां लूनी तथा अन्य, माछू रूपेन, सरस्वती, बनांस तथा घग्घर हैं जो कुछ दूरी तक बहकर मरुस्थल में खो जाती हैं।

भारत की प्रमुख नदियाँ और उनसे जुड़े तथ्य :

 

 

भारत की नदियाँ

सिंधु नदी

  • यह विश्व की सबसे बड़ी नदियों में से एक है।
  • इस नदी की कुल लम्बाई 2,880 किलोमीटर है लेकिन भारत में इसकी लम्बाई 1,114 किलोमीटर है।
  • यह नदी उत्तर-पश्चिमी दिशा में बहती है।
  • सिंधु नदी का उद्गम स्थल तिब्बत की कैलाश पर्वत के बोखर चू से होता है। इसकी ऊंचाई 4,164 मीटर है।
  • तिब्बत में इसके उद्गम स्थल को सिंगी खंबान या शेर मुख कहते हैं।
  • सिंधु नदी भारत में सिर्फ लेह में बहती है।
  • सहायक नदियाँ : श्योक, सुरु, गिलगित, झेलम, चिनाब, रावी, ब्यास, सतलुज।
  • गिलगित भारत में अंतिम सहायक नदी है।

झेलम

  • इस नदी की कुल लम्बाई 725 किलोमीटर है।
  • झेलम का उद्गम स्थल जम्मू-कश्मीर के शेषनाग या बेरीनाग है।
  • किशनगंगा प्रमुख सहायक नदी है।
  • झेलम पाकिस्तान में बारामुला के नजदीक प्रवेश करती है।

चिनाब

  • चिनाब नदी की कुल लम्बाई 960 किलोमीटर है।
  • यह चंद्र और भाग नदियों के संगम से बनती है। इसलिए इसे चंद्रभाग भी कहते हैं।
  • चंद्र का उद्गम स्थल जोजिला दर्रा जबकि भाग का बारालाचा दर्रा है।
  • मियार नाला, सोहल, थिरोट, भुट नाला, मारुसुदर और लिद्रारी चिनाब की सहायक नदियां हैं।

रावी

  • रावी की कुल लम्बाई 720 किलोमीटर है।
  • इसका उद्गम हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित रोहतांग दर्रे से हुआ है।
  • यह पीरपंजाल और धौलाधर के बीच बहती है।
  • तटवर्ती नगर : चम्बा।

सतलुज

 

 

  • सतलुज नदी की कुल लम्बाई 1,500 किलोमीटर है।
  • यह तिब्बत में करीब 4, 555 मीटर की ऊँचाई पर स्थित मानसरोवर के निकट राक्षस ताल से निकलती है।
  • यह भाखड़ा नांगल परियोजना की महत्वपूर्ण नदी है।
  • लुधियाना तथा फिरोजपुर तटवर्ती नगर हैं।
  • स्पिति प्रमुख सहायक नदी है।

व्यास

  • व्यास नदी की कुल लम्बाई 470 किलोमीटर है।
  • यह नदी 4,000 मीटर की ऊँचाई पर रोहतांग दर्रे के निकट व्यास कुंड से निकलती है।
  • यह सतलुज से हरिके पे मिलती है।
  • कुल्लू ब्यास की सहायक नदी पार्वती के किनारे अवस्थित है।

गंगा नदी

  • गंगा नदी की कुल लम्बाई 2,525 किलोमीटर है।
  • इसका उद्गम भागीरथी नदी के रूप में उत्तराखंड के गंगोत्री के गोमुख से हुआ है।
  • अलकनंदा बद्रीनाथ से निकलती है जिसमें धौलीगंगा विष्णुप्रयाग के नजदीक, पिंडर नदी कर्णप्रयाग के नजदीक और फिर मंदाकिनी रुद्रप्रयाग के नजदीक मिलती है।
  • अंततः मंदाकिनी और भागीरथी देवप्रयाग के नजदीक मिलती है जिसके बाद इसका नाम गंगा हो जाता है।
  • गंगा नदी भारत में 5 राज्यों से होकर गुजरती है – उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड और पश्चिम बंगाल।
  • गंगा नदी की सबसे ज्यादा लम्बाई उत्तर प्रदेश में है तथा सबसे कम लम्बाई झारखंड राज्य में है।
  • पश्चिम बंगाल में गंगा नदी दो वितरिकाओं में बंट जाती है – भागीरथी एवं हुगली। मुख्य नदी भागीरथी अर्थात् गंगा बांग्लादेश में प्रवेश कर जाती है और हुगली नदी पश्चिम बंगाल में दक्षिण की ओर बहते हुए बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
  • पश्चिम बंगाल में गंगा नदी को भागीरथी नदी भी कहते हैं।
  • कोलकाता हुगली नदी के ही तट पर स्थित है।
  • छोटा नागपुर पठार के बीचों-बीच भ्रंश घाटी में बहने वाली दामोदर नदी पूरब दिशा की ओर प्रवाहित होते हुए हुगली नदी में मिल जाती है।
  • बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र नदी को जमुना कहते हैं जो गंगा यानी पद्मा से मिलकर संयुक्त धारा के रूप में पद्मा नाम से ही बहती है। आगे चलकर पद्मा नदी से मेघना नदी अथवा बराक नदी मिलती है, तो इन दोनों नदियों की मुख्य धारा मेघना नदी ही कहलाती है। अर्थात् मेघना नदी ही बंगाल की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
  • बराक नदी अथवा मेघना नदी मणिपुर‘ से निकलती है।
  • गंगा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी का डेल्टा विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है। गंगा नदी और ब्रह्मपुत्र नदी के डेल्टा को सुन्दरवन का डेल्टा भी कहते हैं|
  • सुन्दरवन के डेल्टा पर सुन्दरी नामक वृक्ष की बहुलता होने के कारण इसे सुन्दरवन का डेल्टा कहते हैं।
  • सुन्दरवन डेल्टा का विस्तार हुगली नदी से लेकर मेघना नदी तक है।

गंगा नदी की सहायक नदियाँ:

  • गंगा नदी की सहायक नदियों को सुविधा की दृष्टि से दो भागों में बाँटा जा सकता है :
    • (1) गंगा नदी के दाँए तट पर आकर मिलने वाली नदियां
    • (2) गंगा नदी के बाँए तट पर आकर मिलने वाली नदियां
  • गंगा नदी के दाहिने तट पर आकर मिलने वाली नदियां :
    • गंगा के दाहिने तट पर आकर मिलने वाली नदियां मुख्य रूप से यमुना, चम्बल, सिन्ध, बेतवा, केन, टोन्स और सोन नदियां हैं।
    • गंगा नदी के दाहिने तट पर आकर मिलने वाली प्रायद्वीपीय पठार की नदियां चम्बल, सिन्ध, बेतवा, केन, टोन्स और सोन हैं।
    • गंगा नदी की एकमात्र हिमालयी सहायक नदी यमुना नदी है, जो कि इसके दाँए तट पर आकर मिलती है।
  • यमुना नदी :
    • यमुना नदी गंगा नदी की सबसे लम्बी हिमालयी सहायक नदी है। यमुना नदी उत्तराखण्ड में बन्दरपुच्छ चोटी पर यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और प्रयागराज में गंगा नदी से आकर मिल जाती है। यमुना नदी प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी गोदावरी नदी से छोटी है। यमुना नदी की लम्बाई लगभग 1385 किमी. है।
  •   चम्बल, सिन्ध, बेतवा, केन :
    • यद्यपि चम्बल, सिन्ध, बेतवा और केन नदियां गंगा नदी तंत्र का हिस्सा है, लेकिन ये चारों नदियां अपना जल सीधे गंगा नदी में न गिराकर यमुना नदी में गिराती हैं। चम्बल नदी, यमुना नदी की सबसे बड़ी सहायक नदी है। चम्बल, सिन्ध, बेतवा और केन ये चारों नदियां प्रायद्वीपीय पठार के अंतर्गत मालवा के पठार से निकलती हैं।
  •    टोंस और सोन :
    • टोंस और सोन ये दोनों नदियां भी प्रायद्वीपीय पठार से निकलकर सीधे गंगा नदी में अपना जल गिराती हैं। टोंस नदी प्रयागराज (इलाहाबाद) जिले में गंगा से आकर मिलती है।
    • सोन नदी मैकाल पहाड़ी के अमरकंटक चोटी से निकलकर पटना के पास गंगा नदी में मिलती है।
  • गंगा नदी के बाँए तट पर मिलने वाली नदियां :
    • यमुना नदी को छोड़कर अन्य सभी हिमालयी नदियां गंगा नदी के बाँए तट पर आकर मिलती हैं, जिनका पश्चिम से पूर्व की ओर क्रम इस प्रकार है –रामगंगा, गोमती, घाघरा, गण्डक, कोसी और महानंदा
    • रामगंगा, गोमती और घाघरा नदियां उत्तर प्रदेश में प्रवाहित होती हैं। गण्डक नदी और कोसी नदी बिहार में प्रवाहित होती हैं, जबकि महानन्दा नदी बिहार और पश्चिम बंगाल की सीमा पर प्रवाहित होती हैं।
    • गोमती नदी गंगा नदी की एकमात्र सहायक नदी है, जो कि हिमालय से न निकलकर मैदानी क्षेत्र से निकलती है। गोमती नदी का उद्गम उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले में तराई के मैदान में स्थित फुल्हर झील से होता है।
    • लखनऊ और जौनपुर शहर गोमती नदी के तट पर ही बसे हैं।
    • गण्डक को नेपाल में शालिग्राम या नारायणी नदी भी कहते हैं।
    • कोसी नदी नेपाल से निकलकर बिहार राज्य में गंगा नदी से मिलती है। कोसी नदी को बिहार का शोक भी कहते हैं, क्योंकि कोसी नदी अपना रास्ता बदलने के लिए कुख्यात है।
  • महानन्दा नदी, गंगा नदी के बाँए तट पर मिलने वाली गंगा नदी की सबसे पूर्वी अथवा अन्तिम सहायक नदी है।
  • महानन्दा का उद्गम पश्चिम बंगाल में दार्जिलिंग की पहाड़ियों से होता है।

ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली

ब्रह्मपुत्र दुनिया में सबसे बड़ी नदी घाटियों में से एक है जो मानसरोवर झील के पास कैलाश पर्वत श्रेणी के चमयुंगडुंग ग्लेशियर से शुरू होती है यहाँ से यह दक्षिणी तिब्बत के सूखे और सपाट क्षेत्र में लम्बाई में लगभग 1,200 किलोमीटर की दूरी के लिए पूर्व की ओर बहती है जहां इसे संग्पो (जिसका अर्थ है ‘शोधक’ ) के रूप में जानी जाती है । तिब्बत में नदी राँगो संग्पो इसकी  दाहिनी किनारे की प्रमुख सहायक नदी है। यह नमचा बरवा (7755 मीटर) के पास मध्य हिमालय में एक गहरी खाई बनाने के बाद एक उपद्रवी और गतिशील नदी के रूप में उभर कर आती हैं।

यह नदी सियांग या डिहनग के नाम से तलहटी से उभर कर आती हैं। यह भारत में दक्षिण-पश्चिम की ओर बहती हुई अरुणाचल प्रदेश के सादिया शहर के पश्चिम से प्रवेश करती है। इसके मुख्य बाएं किनारे की सहायक नदियों दिबांग या सिकंग और लोहित है, इसके बाद यह ब्रह्मपुत्र के रूप में जानी जाती है।

यह असम घाटी के माध्यम से अपने 750 किलोमीटर की लंबी यात्रा में कई सहायक नदियों को प्राप्त करती है। इसकी बाएं किनारे की प्रमुख सहायक नदियों है – बरही दिहिंग, धनसारी (दक्षिण) और कलंग जबकि दाहिने किनारे की महत्वपूर्ण सहायक नदिया है – सुबनसिरी, कामेंग, मानस और संकोश । सुबनसिरी जिसका मूल तिब्बत में है एक पूर्वगामी नदी है।

ब्रह्मपुत्र धुबरी के पास बांग्लादेश में प्रवेश करती है और दक्षिण की ओर बहती है। बांग्लादेश में तिस्ता इसको दाहिने किनारे पर मिल जाती है जहां ये यमुना नदी के रूप में जानी जाती है। यह अंत में पदमा नदी के साथ विलीन हो जाती है जो बंगाल की खाड़ी में गिरती है । ब्रह्मपुत्र बाढ़, चैनल शिफ़्टिंग और किनारे के कटाव के लिए अच्छी तरह से जानी जाती है। यह सच है कि इसकी सहायक नदिया बडी हैं और इसके द्वारा जलग्रहण क्षेत्र में भारी वर्षा का कारण इन नदियों का बड़ी मात्रा में अपने साथ अवसादों को लाना है।

प्रायद्वीपीय भारत या दक्षिण भारत की नदियाँ

प्रायद्वीपीय भारत या दक्षिण भारत की नदियों को दो भागों में बाँट सकते हैं :

  • अरब सागर में जल गिराने वाली नदियाँ
  • बंगाल की खाड़ी में जल गिराने वाली नदियाँ

बंगाल की खाड़ी में जल गिराने वाली नदियाँ :

बंगाल की खाड़ी में जल गिराने वाली या पूर्वी तट पर प्रवाहित होने वाली दक्षिण भारत की नदियों का उत्तर से दक्षिण की ओर क्रम इस प्रकार है – दामोदर, स्वर्णरेखा, वैतरणी, ब्राह्मणी, महानदी, गोदावरी, कृष्णा, पेन्नार, कावेरी, वैगाई और ताम्रपर्णी

  • दामोदर नदी
    • दामोदर नदी छोटानागपुरपठार के मध्य में अपनी भ्रंश घाटी में प्रवाहित होते हुये हुगली नदी में मिल जाती है । अर्थात् दामोदर नदी प्रत्यक्ष रूप से बंगाल की खाड़ी में जल न गिराकर हुगली नदी के माध्यम से अपना जल बंगाल की खाड़ी में गिराती है ।
  • स्वर्णरेखा नदी
    • स्वर्णरेखा नदी झारखंड की राजधानी राँची के समीप से निकलकर तीन राज्यों झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल से होकर प्रवाहित होती है और उड़ीसा तट पर अपना मुहाना बनाती है |
    • छोटानागपुर पठार एक औद्योगिक क्षेत्र है इसलिए औद्योगिक इकाईयों से निकलने वाला अवशिष्ट पदार्थ स्वर्णरेखा नदी में गिराया जाता है,जिसके कारण स्वर्णरेखा नदी बहुत प्रदूषित हो चुकी है| प्रदूषण के कारण इस नदी में जलीय जन्तु नहीं पाये जाते हैं, जिसके कारण स्वर्णरेखा नदी को जैविक मरूस्थल कहते हैं ।
    • झारखंड का एक प्रमुख शहर जमशेदपुर स्वर्णरेखा नदी के तट पर स्थित है ।
  • वैतरणी नदी
    • वैतरणी नदी उड़ीसा के क्योझर पठार से निकलती है और उड़ीसा तट पर अपना जल गिराती है ।
  • ब्राह्मणी नदी
    • ब्राह्मणी नदी राँची के समीप से निकलती है और उड़ीसा तट पर अपना मुहाना बनाती है |
    • छोटानागपुर पठार से तीन नदियाँ दामोदर नदी, स्वर्णरेखा नदी और ब्राह्मणी नदी निकलती हैं,जबकि वैतरणी नदी छोटानागपुर पठार से न निकलकर क्योझर पठार से निकलती है |
  • महानदी
    • महानदी छत्तीसगढ़ के दण्डकारण्य पठार से निकलती है और उड़ीसा के कटक शहर के पास अपना डेल्टा बनाती है |
    • छत्तीसगढ़ में महानदी की घाटी को छत्तीसगढ़ बेसिन कहते हैं | छत्तीसगढ़ बेसिन धान उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है | छत्तीसगढ़ बेसिन को धान का कटोरा कहते हैं |
  • गोदावरी नदी
    • गोदावरी नदी दक्षिण भारत की सबसे लम्बी व भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी है | इसकी लम्बाई लगभग 1465 किमी० है |
    • गोदावरी नदी को दक्षिणी गंगा या वृद्ध गंगा (बूढ़ी गंगा) के नाम से भी जाना जाता है |
    • गोदावरी नदी महाराष्ट्र में पश्चिमी घाट पहाड़ी पर स्थित नासिक के त्रयम्बक नामक स्थान से निकलती है और तीन राज्यों महाराष्ट्र, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश से होकर प्रवाहित होती है |
    • गोदावरी नदी की सहायक नदियाँ इस प्रकार हैं – प्रवरा, पूर्णा, वेनगंगा, प्राणहिता, इन्द्रावती और मंजीरा|
    • प्रवरा, पूर्णा, वेनगंगा, प्राणहिता, इन्द्रावती और मंजीरा इनमें से सभी नदियाँ उत्तर की ओर से प्रवाहित होती हैं,जबकि मंजीरा नदी दक्षिण की ओर से प्रवाहित होकर गोदावरी नदी में मिलती है |
    • वेनगंगा नदी ‘गोदावरी नदी‘ की सबसे लम्बी सहायक नदी है |
    • इन्द्रावती नदी बस्तर के पठार से निकलकर छत्तीसगढ़ राज्य में प्रवाहित होते हुए पूर्व की ओर से तेलंगाना राज्य में गोदावरी नदी से मिल जाती है ।
  • कृष्णा नदी
    • दक्षिण भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी कृष्णा नदी है |
    • कृष्णा नदी महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट पर्वत पर महाबलेश्वर चोटी से निकलती है और चार राज्यों महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश से होकर प्रवाहित होती है |
    • कृष्णा नदी विजयवाड़ा के निकट डेल्टा बनाती है | कृष्णा नदी तथा गोदावरी नदी का डेल्टा आपस में मिल गया है |
    • आंध्रप्रदेश के तट पर कृष्णा नदी और गोदावरी नदी की डेल्टा के मध्य कोलेरू झील स्थित है |
    • कृष्णा नदी की सहायक नदियाँ इस प्रकार हैं – तुंगभद्रा, घाटप्रभा, मालप्रभा, दूधगंगा, पंचगंगा, भीमा, कोयना और मूसी |
    • तुंगभद्रा नदी पश्चिमी घाट पर्वत से दो धाराओं तुंगा और भद्राके रूप में निकलती है |
    • तुंगभद्रा नदी ‘कृष्णा नदी‘ की सबसे लम्बी सहायक नदी है, जो दक्षिण से प्रवाहित होते हुए आती है और कृष्णा नदी में मिल जाती है |
    • आंध्रप्रदेश की राजधानी ‘हैदाराबाद’ मूसी नदी के तट पर स्थित है |
  • पेन्नार नदी
    • पेन्नार नदी ‘कृष्णा नदी‘ और कावेरी नदी के मध्य में प्रवाहित होती है|
    • पेन्नार नदी आंध्र प्रदेश में प्रवाहित होने वाली महत्वपूर्ण नदी है |
    • पेन्नार नदी कर्नाटक में कोलार नामक स्थान से निकलती है और आंध्रप्रदेश में अपना मुहाना बनाती है |
  • कावेरी नदी
    • कावेरी नदी कर्नाटक में पश्चिमी घाट पर्वत के पुष्पगिरी या ब्रह्मगिरि पहाड़ी से निकलती है तथा दो राज्यों कर्नाटक और तमिलनाडु में प्रवाहित होती है |
    • कावेरी नदी को दक्षिण भारत की गंगा कहते हैं |
    • कावेरी नदी की घाटी धान उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है इसलिए कावेरी नदी घाटी को दक्षिण भारत के धान का कटोरा (Rice boul of South India) कहते हैं |
    • कावेरी नदी का जलग्रहण क्षेत्र चार राज्यों तमिलनाडु, कर्नाटक, केरल और आंध्रप्रदेश में विस्तृत हैं |
    • कावेरी नदी की सहायक नदियाँ इस प्रकार हैं –शिमसा, आर्कावती, हेमवती, अमरावती, काबीनी, भवानी, लक्ष्मणतीर्थ और लोकपावनी |
    • जहाँ दक्षिण भारत की अधिकाँश नदियाँ मौसमी हैं,अर्थात् इन नदियों में केवल दक्षिण/पश्चिमी मानसून काल में ही जल की मात्रा बनी रहती है, वहीं कावेरी नदी एकमात्र ऐसी नदी है, जिसमें जल की मात्रा वर्षभर बनी रहती है| कावेरी नदी वर्षा वाहिनी है, क्योंकि कावेरी नदी के जल के दो स्रोत हैं – (a) ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून से | (b) निचली जलग्रहण क्षेत्र में, अर्थात् कोरोमण्डल तट पर उत्तर-पूर्वी मानसून से |
    • सम्पूर्ण दक्षिण भारत में शीतकाल में पूर्वी घाट के कोरोमंडल तट पर ही वर्षा होती है |
    • तमिलनाडु के कोरोमंडल तट पर शीतकाल में होने वाली वर्षा उत्तर-पूर्व मानसून से होती है |
    • उत्तर-पूर्वी मानसून बंगाल की खाड़ी से उठकर आता है इसलिए इसमें नमी की पर्याप्त मात्रा रहती है| उल्लेखनीय है कि उत्तर-पूर्वी मानसून किसी अन्य राज्यों से नहीं टकरा पाता है, किन्तु कोरोमंडल तट से टकराकर पर्याप्त वर्षा करता है |
  • वैगाई नदी
    • वैगाई नदी तमिलनाडु के वरूषनादु पहाड़ी से निकलती है |
    • मदुरै (एक प्राचीन शहर जैसे- वाराणसी) वैगाई नदी के तट पर स्थित है | वैगाई नदी रामेश्वरम के पास पाक जलडमरूमध्य में अपना मुहाना बनाती है |
  • ताम्रपर्णी नदी
    • कार्डामम पहाड़ी में स्थित अगस्त्यमलाई चोटी से निकलती है और मन्नार की खाड़ी में जल गिराती है |

अरब सागर में जल गिराने वाली प्रमुख प्रायद्वीपीय नदियाँ –

  • अरब सागर में जल गिराने वाली दक्षिण भारत या प्रायद्वीपीय भारत की प्रमुख नदियों का क्रम उत्तर से दक्षिण की ओर इस प्रकार है – साबरमती, माही, नर्मदा, तापी, माण्डवी, जुआरी, शारावती, गंगावेली, पेरियार और भरत पूजा|
  • प्रायद्वीपीय भारत की चार नदियाँ साबरमती, माही, नर्मदा और तापी खम्भात की खाड़ी में अपना जल गिराती हैं|
  • प्रायद्वीपीय भारत की लूनी नदी समुद्र तट तक नहीं पहुँच पाती है| लूनी नदी समुद्र तट तक पहुँचने से पहले ही कच्छ का रन (दलदल) में विलीन हो जाती है|
  • प्रायद्वीपीय भारत की अरब सागर में जल गिराने वाली नदियों में से नर्मदा नदी और तापी नदी अपनी भ्रंश घाटी में प्रवाहित होती हैं।
  • नर्मदा नदी भ्रंश घाटी सतपुड़ा पहाड़ी के उत्तर में तथा तापी नदी भ्रंश घाटी सतपुड़ा पहाड़ी के दक्षिण में स्थित है।
  • नर्मदा और तापी नदियाँ प्रायद्वीपीय पठार के सामान्य ढाल के विपरीत अपनी भ्रंश घाटी में पश्चिम की ओर प्रवाहित होती हैं तथा खम्भात की खाड़ी में जल गिराती हैं, क्योंकि जल प्रपात तथा तापी नदियों की भ्रंश घाटी का ढाल पश्चिम की ओर है।
  • पश्चिमी घाट से बहुत सी छोटी-छोटी नदियाँ निकलकर अरब सागर में गिरती हैं। चूंकि पश्चिमी घाट का पश्चिमी ढाल कगारनुमा है, इसलिए पश्चिमी घाट से निकलने वाली नदियाँ तीव्र वेग से प्रवाहित होती हैं| तीव्र वेग से प्रवाहित होने के कारण ये नदियाँ जल प्रपातों अथवा झरनों का निर्माण करती हैं|
  • ‘माही नदी’कर्क रेखा को दो बार काटती है और खम्भात की खाड़ी में अपना जल गिराती है |

लूनी नदी –

  • लूनी नदी उत्तरी राजस्थान में अरावली पहाड़ी से निकलती है तथा सांभर झील से होकर गुजरती है और गुजरात के कच्छ का रन (दलदल) में विलीन हो जाती है| लूनी नदी को समुद्र तट नहीं मिलता है, अर्थात् समुद्र तट तक पहुँचने से पहले यह कच्छ का रन में विलीन हो जाती है|

साबरमती नदी –

  • गुजरात की राजधानी गांधीनगर तथा गुजरात का सबसे बड़ा शहर अहमदाबाद साबरमती के तट पर स्थित है|
  • साबरमती नदी राजस्थान के उदयपुर जिले में मेवाड़ से निकलती है और खम्भात की खाड़ी में अपना जल गिराती है|

माही नदी –

  • माही नदी मध्य प्रदेश में विंध्य पर्वत से निकलती है और खम्भात की खाड़ी में गिरती है|
  • माही नदी तीन राज्यों मध्य प्रदेश, राजस्थान और गुजरात से होकर प्रवाहित होती है|
  • माही नदी राजस्थान में कर्क रेखा को दो बार काटती है|

नर्मदा नदी

  • नर्मदा नदी अरब सागर में जल गिराने वाली प्रायद्वीपीय भारत की नदियों में सबसे लम्बी नदी है।
  • नर्मदा नदी,गोदावरी नदी और कृष्णा नदी के बाद प्रायद्वीपीय भारत की तीसरी सबसे लम्बी नदी है|
  • नर्मदा नदी मैकाल पहाड़ी पर स्थित अमरकंटक चोटी से निकलकर पश्चिम में अपनी भ्रंश घाटी में प्रवाहित होती है और भड़ौच या भरूच के पास अपना मुहाना बनाती है|
  • मध्य प्रदेश का शहर जबलपुर और गुजरात का शहर भड़ौच नर्मदा नदी के तट पर स्थित है|
  • नर्मदा नदी तीन राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर प्रवाहित होती है|
  • नर्मदा नदी की सर्वाधिक लम्बाई मध्य प्रदेश राज्यमें है|
  • नर्मदा नदी जबलपुर के पास भेड़ाघाट पर संगमरमर की चट्टानों में एक भव्य और सुन्दर जलप्रपात बनाती है, जिसे हम धुआँधार जल प्रपात या कपिलधारा जलप्रपात कहते हैं।

तापी नदी-

  • तापी नदी महादेव पहाड़ी के समीप बैतूल पठार से निकलती है तथा सतपुड़ा पहाड़ी के दक्षिण में अपनी भ्रंश घाटी में प्रवाहित होती है और सूरत के समीप खम्भात की खाड़ी में अपना जल गिराती है।
  • सूरत तापी नदी के मुहाने पर,जबकि भड़ौच नर्मदा नदी के मुहाने पर स्थित है।
  • जहाँ नर्मदा भ्रंश घाटी सतपुड़ा पहाड़ी के उत्तर में स्थित है, वहीं तापी नदी की भ्रंश घाटी सतपुड़ा पहाड़ी के दक्षिण में स्थित है।
  • सतपुड़ा पहाड़ी नर्मदा तथा तापी भ्रंश घाटी के मध्य स्थित ब्लॉक पर्वत है।
  • तापी नदीअरब सागर में जल गिराने वाली प्रायद्वीपीय भारत की नदियों में नर्मदा नदी के बाद दूसरी सबसे बड़ी नदी है।
  • नर्मदा नदी की भांति तापी नदी भी तीन राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात से होकर प्रवाहित होती है। गुजरात में उकाई और काकरापार जलविद्युत परियोजनाएँ तापी नदी पर ही स्थित हैं।

सह्याद्रि अर्थात् पश्चिमी घाट से निकलकर अरब सागर में गिरने वाली नदियाँ :

  • सह्याद्रि अर्थात् पश्चिमी घाट से निकलकर अरब सागर में गिरने वाली नदियां बहुत छोटी-छोटी हैं| पश्चिमी घाट का पश्चिमी ढाल कगारनुमा होने के कारण पश्चिमी घाट में प्रवाहित होने वाली नदियाँ अत्यंत तीव्रगामी होती हैं|
  • गुजरात : शतरंजी नदी और मादर नदी
  • गोवा: माण्डवी नदी और जुआरी नदी
  • कर्नाटक: शरावती नदी और गंगावेली नदी
  • केरल: भरतपूजा नदी, पेरियार नदी और पाम्बा नदी

सह्याद्रि से निकलकर अरब सागर में गिरने वाली नदियों से संबंधित तथ्य :

  • गोवा की राजधानी पणजी माण्डवी नदी के तट पर स्थित है|
  • भरतपूजा नदी केरल की सबसे बड़ी नदी और पेरियार नदी दूसरी सबसे बड़ी नदी है|
  • पश्चिमी घाट कगारनुमा होने के कारण पश्चिमी घाट में प्रवाहित होने वाली नदियाँ तीव्रगामी होती हैं, जिसके कारण ये नदियाँ जलप्रपात अथवा झरना का निर्माण करती हैं| उदाहरण के लिए – कर्नाटक में शरावती नदी पर जोग जल प्रपात है|
  • जोग जल प्रपात को गरसोप्पा या महात्मा गांधीजल प्रपात भी कहते हैं| इसकी ऊँचाई लगभग 221 मीटर है|
  • भारत का सबसे ऊँचा (सीधा गिरने वाला) जलप्रपात जोग जलप्रपात है| भारत का सबसे ऊँचाई पर स्थित जलप्रपात कुंचीकल जलप्रपात है|
  • सह्याद्रि से निकलकर अरब सागर में जल गिराने वाली नदियाँ चूंकि अत्यधिक प्रपाती हैं, इसलिए यहाँ पर जल विद्युत उत्पादन की संभावना बहुत अधिक है| यही कारण है, कि पश्चिमी घाट में अधिक विद्युत उत्पादन क्षेत्र स्थापित किये गये हैं|

प्रायद्वीपीय भारत की नदियों और हिमालय की नदियों में अंतर

  • प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ बहुत प्राचीन हैं, जबकि हिमालय की नदियाँ नवीन  हैं। हिमालय की नदियाँ अपनी युवावस्था में है, अर्थात् ये नदियाँ अभी भी अपनी घाटी को गहरा कर रही हैं, जबकि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अपनी प्रौढावस्था में हैं। इसका तात्पर्य यह है कि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अपनी घाटी को गहरा करने का काम लगभग समाप्त कर चुकी हैं और आधार तल को प्राप्त कर चुकी हैं। किसी भी नदी का आधार तल समुद्र तल होता है ।
  • हिमालय से निकलने वाली नदियाँ उत्तर भारत के मैदान में पहुँचकर विसर्पण करती हुई चलती हैं और कभी-कभी ये नदियाँ विसर्पण करते हुए अपना रास्ता बदल देती हैं। उदाहरण के लिए-कोसी नदी। जबकि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ कठोर पठारीय संरचना द्वारा नियंत्रित होने के कारण विसर्पण नहीं कर पाती हैं। प्रायद्वीपीय भारत की नदियों का मार्ग लगभग निश्चित होता है, अर्थात् उद्गम से लेकर मुहाने तक अपनी घाटी पर ही प्रवाहित होती हैं। प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ अपने उद्गम से लेकर मुहाने तक कठोर चट्टानों पर प्रवाहित होती हैं।
  • हिमालयी नदियाँ अधिक लम्बी हैं क्योंकि हिमालयी नदियों का उद्गम मुहाने से अधिक दूर है, जबकि अधिकतर प्रायद्वीपीय भारत के पठार की नदियाँ छोटी हैं क्योंकि उनका उद्गम मुहाने से ज्यादा दूर नहीं है। हिमालय से निकलने वाली भारत की सबसे लम्बी नदी गंगा नदी की लम्बाई 2525 किमी० है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत से निकलने वाली दक्षिण भारत की सबसे लम्बी नदी गोदावरी नदी है, जिसकी लम्बाई 1465 किमी० है |
  • हिमालय से निकलने वाली नदियाँ वर्षावाहिनी हैं, अर्थात् हिमालयी नदियों में वर्षभर जल प्रवाहित होता रहता है, क्योंकि हिमालयी नदियों के जल के दो स्रोत हैं-
    • ग्लेशियर 
    • वर्षाजल
  • हिमालय की अधिकाँश चोटियाँ 6000 मीटर से भी ऊँची हैं, जबकि वायुमंडल में हिमरेखा की ऊँचाई लगभग 4400 मीटर होती है। हिमालय की जो चोटी हिमरेखा के ऊपर होती है वो वर्षभर बर्फ से आच्छादित रहती है। वास्तव में हिमालय में पाये जाने वाले ग्लेशियर का जल ही हिमालय की नदियों का मुख्य स्रोत है।
  • जबकि प्रायद्वीपीय भारत की नदियाँ वर्षा वाहिनी न होकर मौसमी हैं, अर्थात् वर्ष के कुछ महीने ही जल की मात्रा बनी रहती है, अन्य महीनों में या तो जल कम हो जाता है या सूख जाता है।
  • प्रायद्वीपीय नदियों को केवल वर्षा के जल पर ही निर्भर रहना पड़ता है। हिमरेखा की औसत ऊँचाई 4400 मीटर है, जबकि प्रायद्वीपीय भारत के पठार की औसत ऊँचाई 800 मीटर ही है। इसका तात्पर्य यह है कि प्रायद्वीपीय भारत के पठार पर ग्लेशियर नहीं मिलते हैं ।

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