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भारतीय संविधान के विकास का इतिहास

-> 1600 ई. के चार्टर एक्ट के तहत महरानी ऐलिजाबेथ ने संपूर्ण पूर्वी देशो में व्यापर करने का अधिकार 24 सदस्यीय ईस्ट इण्डिया कंपनी को प्रदान की |
-> 1600 ई. के चार्टर एक्ट के तहत 31 दिसम्बर 1600 ई. को लंदन में ईस्ट इण्डिया कम्पनी की स्थापना की गयी |
-> अंग्रजों ने भारत में अपना प्रथम व्यापारिक केंद्र 1613 ई. में सूरत में स्थापित किया |
-> दिसम्बर 1615 ई. में इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम का राजदूत “सर टामस रो “ भारत आया |
-> सर टामस रो ने 10 जनवरी 1616 ई. को अजमेर के किले में जहाँगीर से मुलाकात की तथा भारत में व्यापर करने की अनुमति माँगी |
-> 1617 ई. में प्रथम व्यापारिक केंद्र मसुलीपट्टम में स्थापित किया जिसे बाद में मद्रास ले जाया गया और वहाँ इसका नाम फोर्ट सेंट जार्ज रखा गया |
-> 1726 ई. में अंग्रजों ने भारत में विकेन्द्रीकरण की व्यवस्था को अपनाते हुए बंगाल, बम्बई व मद्रास के प्रेसीडेन्सी के गर्वनर को अपनी-अपनी प्रेसीडेन्सी में कानून बनाने का अधिकार प्रदान किया |
-> ईस्ट इण्डिया कम्पनी द्वारा भारत में साम्राज्य स्थापित करने का प्रथम कदम 1757 के प्लासी के युद्ध में उठाया गया |
-> 1764 ई. के बक्सर युद्ध के उपरान्त भारत में ब्रिटिश साम्राज्य की स्थापना हुई |

1773 ई. का रेग्यूलेटिंग एक्ट

-> इस एक्ट के तहत अंग्रजों ने  केंद्रीकरण की व्यवस्था को अपनाते हुए, बम्बई व मद्रास प्रेसीडेन्सी को बंगाल प्रेसीडेन्सी के अधीन कर दिया तथा कानून बनाने का अधिकार बंगाल के गवर्नर व उसके चार सदस्य परिषद् को दे दिया गया |
-> बंगाल के गवर्नर का नाम बदलकर बंगाल का गर्वनर जनरल कर दिया गया |
-> बंगाल के प्रथम गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग बने |
-> इसी एक्ट के तहत 1774 ई. में कलक्ता के फोर्ट विलियन ने एपेक्स न्यायालय के नाम से सर्बोच्च न्यायालय की स्थापना की गई |
-> इसमें एक न्यायाधीश तथा तीन अन्य न्यायाधीश रखे गये |
-> न्यायाधिशो की आयु 65 वर्ष निर्धारित की गई |
-> इसके प्रथम मुख्य न्यायाधीश सर इनिजाइम्पे बने |
-> इस एक्ट के कमयो को दूर करने के लिए 1781 में “एक्ट ऑफ़ सेटलमेंट” लाया गया | जिसके तहत बिहार व उड़ीसा में भी कानून निर्माण का अधिकार बंगाल के गवर्नर जनरल को सोप दिया गया |

1784 ई. का पिट्स इंडिया एक्ट

-> इस एक्ट का नाम तत्कालीन ब्रिटिश प्रधानमंत्री विलियम पिट के नाम पर पड़ा |
-> इस एक्ट के तहत भारत में पहली बार दोहरा शासन लागू किया गया |
-> इस एक्ट के तहत ईस्ट इंडिया के राजनितिक तथा व्यापारिक कार्यो को दो भागो में विभाजित कर दिया गया |
     (1)राजनैतिक कार्य हेतु संचालक मंडल ( बोर्ड ऑफ़ कंट्रोलर )[ सदस्य संख्या -18 ]
     (2) व्यापारिक कार्य हेतु नियंत्रक मंडल ( कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स ) [ सदस्य संख्या – 6 ]

1813 ई. का चार्टर अधिनियम ( एक्ट )

-> इस एक्ट के तहत ईस्ट इंडिया कम्पानी के व्यापारिक एकाधिकार को समाप्त कर दिया गया तथा व्यवस्था की गई की अन्य ब्रिटिश व यूरोपियन नागरिक भी भारत में व्यापार कर सकते हैं | किन्तु उसे चीन के साथ व्यापार एवं पूर्वी देशो के साथ चाय के व्यापार के संबंध में 20 वर्षो के लिए एकाधिकार प्राप्त रहा |
-> गवर्नर जनरल व प्रधान सेनापति की नियुक्ति का अधिकार ब्रिटेन के सम्राटको सोंप दिया गया |
-> ईसाई धर्म प्रचारक मिशनरियों को भारत में धर्म प्रचार करने की छुट प्रदान की गई |

1833 ई. का चार्टर अधिनियम (एक्ट)

-> इस एक्ट के तहत सशक्त केन्द्रीय शासन की व्यवस्था करते हुए बंगाल के गवर्नर जनरल को सम्पूर्ण भारत का गवर्नर जनरल घोषित कर दिया गया |
-> उस समय बंगाल के गवर्नर जनरल लार्ड विलियम वैटिंग थे जो की भारत का प्रथम गवर्नर बने एवं बंगाल के लिए लार्ड विलियम वैटिंग अंतिम गवर्नर जनरल थे |
-> कानून बनाने का अधिकार गवर्नर जनरल व उसके चार सदस्य परिषद् को दे दिया गया | एवं उसमे एक विधि सदस्य को शामिल करने का प्रावधान किया गया |
-> लार्ड मैकाले प्रथम विधि सदस्य नियुक्त हुए |
-> इस एक्ट के तहत ईस्ट इंडिया कम्पनी को भारत में व्यापार करने का अधिकार को समाप्त कर दिया गया तथा व्यवस्था की गई की कम्पनी आगे से भारत में केवल राजनितिक कार्य ही करेगी |
-> इस एक्ट के तहत चीन के साथ व्यापार एवं पूर्वी देशो के साथ चाय के व्यापार के एकाधिकार को भी समाप्त कर दिया गया |

1853 ई. का चार्टर अधिनियम

-> इस एक्ट के तहत ईस्ट इंडिया कम्पनी के राजनीतिक कार्यो को दो भागो में विभाजित कर दिया गया |
      (1) प्रशासनिक
      (2) विधायी
-> प्रशासनिक कार्य गवर्नर जनरल को एवं उसकी कार्यकारणी को सौंपा गया |
-> खुली प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन की व्यवस्था की गई|
-> विशिष्ट नागरिक सेवाओं के द्वार भारतीयों के लिए खोलने के संबंध में 1854 में मैकाले समिति का गठन किया गया |
-> विधायी कार्य हेतु पहली बार भारतीय केन्द्रीय विधान परिषद का गठन किया गया | इसकी सदस्य संख्या 4 से बढ़ाकर 12 निर्धारित की गई |

1858 ईस्वी का चार्टर अधिनियम

-> इस अधिनियम के तहत भारत का शासन ईस्ट इंडिया कंपनी से लेकर ब्रिटिश क्राउन के हाथों में सौंपा गया |
-> ब्रिटिश क्राउन की शक्तियों का प्रयोग भारत में करने के लिए भारत सचिव पद की व्यवस्था की गई तथा इसकी सहायता के लिए 15 सदस्यीय भारत परिषद का गठन किया गया |
-> चाल्स वुड प्रथम भारत सचिव नियुक्त हुए |
-> गवर्नर जनरल का नाम बदलकर वायसराय कर दिया गया तथा इसे ब्रिटिश सम्राट का प्रत्यक्ष प्रतिनिधि घोषित कर दिया गया |
-> लॉर्ड कैनिंग भारत के प्रथम वायसराय बने
-> इस अधिनियम के तहत 1784 ईस्वी के पिट्स इंडिया एक्ट में किए गए दोहरी शासन व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया |
-> इस अधिनियम को भारतीय स्वतंत्रता का मैग्नाकार्टा भी कहा जाता है |

1861 का भारत शासन अधिनियम

-> इस अधिनियम के तहत लॉर्ड कैनिंग ने क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व के सिद्धांत के तहत पहली बार भारतीयों को विधान परिषद में शामिल किया अर्थात विधायी कार्यो में शामिल किया |
-> इस विधान परिषद में लॉर्ड कैनिंग ने तीन भारतीय सदस्य दिनकर राव,पटियाला के महाराजा और बनारस के राजा को मनोनीत किया |
-> वायसराय को विधायी कार्य हेतु नए प्रांत के निर्माण तथा नवनिर्मित प्रांत में गवर्नर या लेफ्टिनेंट गवर्नर को नियुक्त करने का अधिकार दिया गया |
-> केंद्रीय कार्यकारिणी के सदस्यों की संख्या 4 से बढ़ाकर 5 कर दी गई,पांचवें सदस्य का विधिवेत्ता होना अनिवार्य कर दिया गया |
-> इस एक्ट के तहत लॉर्ड कैनिंग ने विभागीय व्यवस्था पोर्टफोलियो सिस्टम लागू किया इस व्यवस्था के अंतर्गत विभिन्न विभागों को भिन्न- भिन्न सदस्यों को दे दिए गए जो उस विभाग के लिए उत्तरदाई होता था इस प्रकार भारत में मंत्रिमंडलीय व्यवस्था की नीव पड़ी |
-> इस अधिनियम के तहत 1773 के एक्ट में अपनाई गई केंद्रीकरण की व्यवस्था को पुनः विकेंद्रीकरण में बदलते हुए बंबई और मद्रास प्रसिडेंसी को बंगाल प्रेसिडेंसी के नियंत्रण से स्वतंत्र कर दिया गया |

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