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An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन

सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है की इनका जन्मदिन (5 सितम्बर) भारत में शिक्षक दिवस (Teachers’ Day) के रूप में मनाया जाता है।

 

डॉ॰ सर्वपल्ली राधाकृष्णन को सन् 1954 में भारत सरकार ने सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से अलंकृत किया था।

 

डॉ॰ राधाकृष्णन एक निर्धन किन्तु विद्वान ब्राह्मण की सन्तान थे। (पिता – सर्वपल्ली वीरासमियाह) (माता – सीताम्मा)।

 

वह बचपन से ही मेधावी (brilliant) थे।

 

डॉ॰ सर्वपल्ली का विवाह मात्र 14 वर्ष की आयु में हो गया था। क्योकि उस वक्त विवाह कम उम्र में ही क्र दिया जाता था।

 

लगभग 20 वर्ष की आयु में ही पिता बन गये थे। (पुत्री – सुमित्रा)

 

विवाह के समय उनकी पत्नी की आयु मात्र 10 वर्ष की थी।

 

1908 में उन्होंने एम० ए० की उपाधि प्राप्त करने के लिये एक शोध लेख भी लिखा। इस समय उनकी आयु मात्र 20 वर्ष की थी।

 

1909 में 21 वर्ष की उम्र में डॉ॰ राधाकृष्णन ने मद्रास प्रेसिडेंसी कॉलेज में कनिष्ठ व्याख्याता के तौर पर दर्शन शास्त्र पढ़ाना प्रारम्भ किया।

 

इस समय इनका वेतन मात्र 37 रुपये था।

 

डॉ॰ राधाकृष्णन अपनी बुद्धि से परिपूर्ण व्याख्याओं, आनन्ददायी अभिव्यक्तियों और हल्की गुदगुदाने वाली कहानियों से छात्रों को मन्त्रमुग्ध कर देते थे।

 

जब डॉ॰ राधाकृष्णन एक शिक्षक थे, तब भी वे नियमों के दायरों में नहीं बँधे थे। कक्षा में यह 20 मिनट देरी से आते थे और 10 मिनट पूर्व ही चले जाते थे।

 

सन् 1952 में  वे स्वतंत्र भारत के पहले उप-राष्ट्रपति बने और 1962 में, वे भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने।

 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने घोषणा की कि सप्ताह में दो दिन कोई भी व्यक्ति उनसे बिना पूर्व अनुमति के मिल सकता है। इस तरह से उन्होंने राष्ट्रपति को आम लोगों के लिए भी खोल दिया था।

 

डॉ॰ सर्वपल्ली ने ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी 17 साल (1936 से 1952 तक) पढ़ाया हैं।

 

सर्वपल्ली राधाकृष्णन आन्ध्र विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर और काशी हिन्दू विश्‍वविद्यालय व दिल्ली विश्‍वविद्यालय के चांसलर (कुलपति) रह चुके हैं।

 

1929 में इन्हें व्याख्यान देने हेतु ‘मानचेस्टर विश्वविद्यालय’ द्वारा आमन्त्रित किया गया।

 

डॉ॰ राधाकृष्णन स्वामी विवेकानद को अपना गुरु मानते थे।

 

इन्होने अनेक पुस्तकों की रचना की, जैसे : द एथिक्स ऑफ़ वेदांत (The Ethics of the Vedanta), माई सर्च फॉर ट्रुथ (My Search for Truth), रिलीजन एंड सोसाइटी (Religion and Society), इंडियन फिलासफी (Indian philosophy) आदि।

 

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की 5 पुत्रियाँ – सुमि‌‌त्रा, शकुंतला, रुक्मिणी कस्तूरी तथा 1 पुत्र – सर्वपल्ली गोपाल था।

 

डॉ॰ राधाकृष्णन जी के अनुसार जीवन बहुत ही छोटा है परन्तु इसमें व्याप्त खुशियाँ अनिश्चित हैं। (17 अप्रैल 1975 (आयु: 86 वर्ष)।

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