“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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आलोचना

प्रेरक प्रसङ्ग

!! आलोचना !!

अमेरिका के सर्वाधिक लोकप्रिय राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन के विषय में उनके विरोधी प्रायः कुछ न कुछ अखबारों में प्रकाशित करवाते रहते थे। किंतु लिंकन कभी उनका प्रतिउत्तर नहीं देते थे। एक दिन उनके एक मित्र ने कहा, “आपके विरोधी इतना कुछ आपके बारे में लिखते हैं। आप उनका जवाब क्यों नहीं देते ? आपको भी जवाब देना चाहिए।” लिंकन ने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया, “मित्र ! यदि मैं उनका जवाब देने लगूंगा तो मेरा सारा समय इसी में निकल जायेगा।

फिर मैं कोई जनकल्याण का कार्य नहीं कर पाऊंगा। जीवन के अंत में यदि मैं अपने कार्यों के द्वारा बुरा साबित होता हूँ तो मेरे द्वारा दी गयी किसी सफाई का कोई मूल्य नहीं होगा। “यदि मैं एक अच्छा व्यक्ति साबित होता हूँ तो फिर इन आलोचनाओं का कोई मूल्य नहीं होगा। इसलिए मैं इनपर ध्यान दिए बिना चुपचाप अपना काम करता हूँ।”

सीख:-यह प्रसंग सिखाता है कि हमें अपने कार्यों के द्वारा लोगों की आलोचनाओं का जवाब देना चाहिए।

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