बादशाह ने चारों अंगूठे कटे हुए आदमी के बाद यहूदी हकीम को अपना किस्सा सुनाने को कहा। बादशाह का आदेश मिलते ही यहूदी हकीम ने कहा कि मैं दमिश्क नगर का हकीम हूं। मरीजों की बीमारी का पता लगाने और उसे ठीक करने की मेरी समझ के कारण हर कोई वहां मेरी इज्जत करता था।
एक दिन मुझे राज खानदान से एक मरीज को देखने का बुलावा आया। मैं भी अपना सारा सामान लेकर वहां पहुंच गया। दूर से ही मुझे एक युवा लड़का चारपाई में लेटा हुआ दिखा। उसने मुझे देखते ही सिर झुकाया। मैंने भी उसका आदर करते हुए अपना सिर झुकाकर नमस्ते किया।
उस लड़के के पास पहुंचकर मैंने उसे अपना हाथ दिखाने को कहा। उसने अपना बायां हाथ आगे बढ़ाया, लेकिन मुझे उसकी नाड़ी देखनी थी। मेरे मन में हुआ कि शायद इसे नहीं पता कि दाहिने हाथ की नस को देखा जाता है। मैंने भी चुपचाप उसके बाएं हाथ की नाड़ी देखी और उसे नौ दिन की दवाई दे दी।
नौ दिन के बाद मैं दोबारा उसे देखने के लिए गया, तो पता चला कि वो काफी ठीक हो गया है। फिर भी मैंने उसे कुछ दिन आराम करने और थोड़ी और दवा खाने को कहा। तभी वहां मौजूद सभी लोगों ने मेरी काफी तारीफ की और मुझे शाही दवाखाने का सबसे बड़ा हकीम बना दिया।
मैं वही रहने लगा। उस लड़के की सेहत भी दिन-ब-दिन बेहतर होती गई। एक दिन मैंने दोबारा उस लड़के को देखा और उसे नहाकर कुछ देर टहलने की सलाह दी। उस लड़के ने कहा कि मैं आपकी देखरेख में ही नहाना चाहता हूं। मैंने भी कहा कि ठीक है, इन्हें स्नानघर ले जाओ, मैं आता हूं।
कुछ देर बाद जब मैं स्नानघर पहुंचा, तो देखा कि उस लड़के का दाहिना हाथ नहीं था। यह देखकर मुझे काफी दुख हुआ और हैरानी भी। तब मुझे समझ आया कि उस दिन उसने मुझे नाड़ी देखने के लिए अपना बायां हाथ क्यों दिया था। उस लड़के ने मेरे हाव-भाव देखकर पूछा कि क्या आप मुझे देखकर दुखी हो गए हैं?
मैं कुछ जवाब नहीं दे पाया। फिर उस लड़के ने आगे कहा कि अगर आपको मेरी कहानी पता चलेगी, तो आपको और भी बुरा लगेगा। इतना कहते हुए वो मुझे अपने बाग लेकर गया और सैर करते हुए अपनी कहानी सुनाने लगा।
उस लड़के ने कहा, “ मैं मोसिल शहर का निवासी हूं। मेरा परिवार काफी बड़ा था। मेरे दादा के 11 बेटे थे और उनमें से मेरे पिता सबसे बड़े थे। मेरे सभी चाचा मुझे बेटे जैसा ही प्यार करते थे, क्योंकि मैं ही उस खानदान का इकलौता बच्चा था। सभी ने मुझे इतना पढ़ाया-लिखाया कि मैं काफी काबिल हो गया। हम सभी परिवार के लोग एक साथ मिलकर कई सारी बातों पर चर्चा किया करते थे।
एक दिन सभी साथ में बैठकर मिस्र देश की तारीफ करने लगे। पापा और चाचा सभी ने बताया कि वो शहर और वहां के लोग काफी अच्छे हैं। उस शहर की नील नदी से सुंदर कोई नदी नहीं है। वहां हरियाली है और कई तरह के पक्षी भी हैं। उस देश की इतनी तारीफ सुनकर मेरा मन में वहां जाने की इच्छा जागी। तभी मेरे सभी चाचा ने मिस्र जाकर व्यापार करने के बारे में बात की।
यह सुनकर मैं भी खुश हो गया और पापा व चाचा से उनके साथ मिस्र जाने की जिद करने लगा, लेकिन किसी ने मेरी एक नहीं सुनी। जब मैं सब लोगों से नाराज हो गया, तो पिता ने कहा कि तुम्हें मिस्र तक नहीं ले जाएंगे। हां, तुम्हें मिस्र के पास के दमिश्क शहर तक लेकर जा सकते हैं। उसके बाद तुम वही रहना और हम मिस्र से व्यापार करके लौटेंगे, तो साथ में मोसिल आ जाएंगे।
मेरे मन में हुआ कि मिस्र न सही, लेकिन उसके पास तक पहुंचने का तो मौका मिल रहा है। यह सोचकर मैंने हां कह दिया। हम कुछ दिन की यात्रा करके दमिश्क पहुंचे। मुझे वो शहर बहुत पसंद आया। चाचा और पापा के साथ मिलकर मैंने भी दमिश्क में कुछ दिनों तक कपड़ों का व्यापार किया।
कुछ दिन साथ बिताने के बाद पापा और चाचा मुझे व्यापार में हुए मुनाफे की कुछ रकम देकर मिस्र चले गए और उनका इंतजार करने को कहा। मैंने भी उन पैसों से एक अच्छा मकान किराए पर ले लिया और सुख-सुविधाओं के साथ रहने लगा। घर के कामकाजों में मदद के लिए कुछ सेवकों को भी रख लिया था।
तभी एक दिन नकाब पहने एक लड़की मेरे उस किराए के घर में आई। उसने दरवाजा खटखटाया और सीधे घर के अंदर आ गई। उसने मुझे कहा कि मुझे काफी भूख लगी है, कुछ खाने को दे दो। मैंने घर में मौजूद सेवकों से उसके लिए खाना लाने के लिए कहा। उसने भरपेट खाना खाया और वही रूकने की बात कही। मैंने उसे मना नहीं किया और रातभर उससे बातचीत की।
सुबह होते ही उसने मुझे कुछ रुपये दिए और जाने लगी। मैंने कहा कि मुझे पैसे नहीं चाहिए। उसने कहा कि वो मुझे दोस्त मानती है और कल भी आएगी, लेकिन उसके लिए मुझे पैसे लेने होंगे। मैंने दुखी होकर उससे पैसे ले लिए। अगले दिन वो दोबारा आई। कुछ दिनों तक ऐसा चलता रहा।
एक दिन उसने मुझसे अचानक पूछा कि क्या तुम मुझसे प्यार करते हो। मैंने उसकी तरफ देखते हुए कहा कि तुम काफी सुंदर हो और तुम्हारा स्वभाव भी अच्छा है, इसलिए मैं तुम्हें पसंद करता हूं। मेरी बात सुनकर उसने कहा कि मेरी बहन मुझसे भी अच्छी है। तुम उसे देखोगे, तो तुम्हें उससे प्यार हो जाएगा। मैंने जवाब में कहा कि ऐसा हो ही नहीं सकता। मैं तुमसे ही प्यार करता हूं।
अगले दिन वो अपनी बहन को लेकर आ गई। वो सचमुच इतनी अच्छी थी कि उसे देखते ही मैं कही खो सा गया। तब उस लड़की ने मुझसे कहा कि तुम्हें हो गया न मेरी बहन से प्यार। देखो, मेरी बात सच साबित हुई। भले ही मेरे मन में उसकी बहन के लिए प्यार की भावना आ रही थी, लेकिन मैंने उससे कहा ऐसा कुछ नहीं है।
कुछ देर बाद उसकी बहन और मैं एक दूसरे को देखने लगे। हमें इस तरह एक दूसरे की आंखों में देखते हुए देखकर उसे गुस्सा आ गया। वो तुरंत दो गिलास में जूस लेकर आई। उसने एक गिलास अपनी बहन के हाथ में और दूसरा मेरे हाथ में पकड़ा दिया। फिर खुद बाहर चली गई।
उसकी बहन और मैंने अपने-अपने गिलास का जूस पी लिया। कुछ देर बाद देखा, तो उसकी बहन नीचे गिर गई। मैंने मदद के लिए घर में मौजूद सेवकों को बुलाया, तो उन्होंने बताया कि यह मर चुकी है। मैं हैरान हो गया। डर के मारे मैंने अपने सेवकों को उसकी लाश घर में ही दफनाने को कह दिया। फिर उस घर के मालिक को एक साल का किराया देकर मैंने उस घर में ताला मारा और मिस्र चला गया।
चाचा और पापा ने मुझे वहां देखकर पूछा कि मैं क्यों आया। मैंने डरकर उन्हें कुछ नहीं बताया और मिस्र घूमने लगा। तभी पापा और चाचा ने वापस अपने देश लौटने की बात कही, लेकिन मैं अपने शहर मोसिल नहीं जाना चाहता था। मैं कुछ दिनों के लिए मिस्र में ही कहीं छुप गया। पापा और चाचा ने मुझे बहुत ढूंढा, लेकिन मैं नहीं मिला। वो थक हारकर वापस मोसिल लौट गए।
मैं उनके लौटने के बाद भी मिस्र में ही तीन साल तक रहा और दमिश्क के उस घर के लिए मालिक को हर साल किराया भेजता रहता था। एक दिन मैंने वापस दमिश्क लौटने के बारे में सोचा और उसी घर में पहुंच गया। कुछ दिनों के बाद मेरे सारे पैसे खत्म हो गए। तभी घर की सफाई करते हुए मुझे एक बड़ा सा गहना दिखा। जब मैंने ध्यान से देखा, तो मुझे याद आया कि यह उसी लड़की की बहन का है, जिसे उसने जहर दे दिया था।
मेरी हालत इतनी खराब थी कि मैं उस गहने को लेकर उसी घर के मालिक के पास गया, जिसके घर में मैं रहता था। दरअसल, वो जौहरी था। उसने मुझे कहा कि गहने में कई ऐसे मोती लगे हुए हैं, जिनकी कीमत बताना मुश्किल है। इतना कहकर वो अन्य जौहरी से उसकी कीमत पूछने के लिए चला गया।
सभी ने बताया कि उस गहने की कीमत दो हजार मुद्राएं हैं, लेकिन किसी के पास इतना पैसा नहीं है। तभी एक जौहरी ने मकान मालिक को छह सौ मुद्राओं में उस गहने को बेचने के लिए कहा। वो उसे बेचने की इजाजत लेने के लिए मेरे पास आया। मुझे पैसों की जरूरत थी, इसलिए मैंने उस गहने को छह सौ मुद्रओं में बेचने को कह दिया। तभी छह सौ मुद्रा देने की बात कहने वाले जौहरी ने पुलिस को फोन करके कह दिया कि यह गहना चुराकर बेच रहा है।
पुलिस सीधा मेरे मकान मालिक के पास पहुंची। उसने पुलिस को मेरे पास भेज दिया। मैंने पुलिस को बताया कि मेरे पास पैसे नहीं हैं, इसलिए मुझे गहना बेचना है, लेकिन मैंने उसे चुराया नहीं है। पुलिस वालों को मेरी बात पर विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने मुझे इतना मारा कि मैंने कह दिया कि हां मैंने ही गहना चुराया है।
उस पुलिस वाले ने यह सुनते ही मेरा दाहिना हाथ काट दिया। उसके बाद वो मुझे शहर के सबसे बड़े अधिकारी के पास ले गए। उस अधिकारी ने बताया कि यह गहना उसकी बेटी का है। फिर उसने सभी पुलिसवालों को डाटते हुए कहा कि यह लड़का चोर नहीं हो सकता है। तुम इसे यहां छोड़कर चले जाओ।
अधिकारी की बात मानकर सारे पुलिस वाले चले गए। फिर उसने मुझसे पूछा कि आखिर यह गहना मेरे पास कैसे आया। मैंने उसे सबकुछ सच-सच बता दिया। आंखों में आंसू लिए उस अधिकारी ने कहा कि वो दोनों मेरी बेटी हैं। वो लड़की जो सबसे पहले तुम्हारे पास आई थी, वो मेरी बड़ी बेटी है और दूसरी वाली उससे छोटी। मेरी बड़ी बेटी, दूसरी बेटी को पसंद नहीं करती थी, इसलिए उसने उसके साथ ऐसा किया होगा।
इतना कहकर उस अधिकारी ने कहा कि मेरी एक और बेटी है, तुम उससे शादी कर लो। मेरे पास बहुत धन-दौलत है। मैं सब कुछ तुम्हारे नाम कर दूंगा। उसकी बात मैंने मान ली और तभी उस अधिकारी ने अपनी बेटी की शादी मुझसे करवा दी और अपनी जमीन जायदाद सब कुछ मेरे नाम कर दिया। मैं भी इस जगह को संभालने लगा।
यहूदी हकीम ने बादशाह को कहानी सुनाते हुए आगे कहा कि उस लड़के की हाथ कटने की कहानी सुनने के बाद मैंने जबतक वो लड़का जिंदा रहा उसकी सेवा की। जैसे ही उस लड़के की मौत हुई, मैं फारस देश चला गया और वहां जाकर कुछ दिनों तक घूमा और फिर हिंदुस्तान आ गया। हिंदुस्तान आने के बाद घूमते-घूमते बादशाह आपके शहर में आ गया और यही मरीजों की देखभाल करने लगा।
यहूदी की इतनी कहानी सुनकर बादशाह ने कहा कि तुम्हारी कहानी अच्छी थी, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि तुम लोगों की जान बच गई है। अब तक की सबसे अच्छी कहानी कुबड़े की थी। अगर तुम लोगों में किसी ने कुबड़े की कहानी से अच्छी कहानी नहीं सुनाई, तो तुम चारों को मैं मौत की सजा दे दूंगा।
बादशाह की यह बात सुनकर दरजी ने कहा, “हुजूर, आप मुझे भी अपनी कहानी सुनाने का मौका दे दो।