अनेकार्थक शब्द
– पट – वस्त्र, पर्दा, दरवाजा, स्थान, चित्र का आधार।
– पत्र – चिट्ठी, पत्ता, रथ, बाण, शंख, पुस्तक का पृष्ठ।
– पद्म – कमल, सर्प विशेष, एक संख्या।
– पद – पाँव, चिह्न, विशेष, छन्द का चतुर्थाँश, विभक्ति युक्त शब्द, उपाधि, स्थान, ओहदा, कदम।
– पतंग – पतिँगा, सूर्य, पक्षी, नाव, उड़ाने का पतंग।
– पय – दूध, अन्न, जल।
– पयोधर – बादल, स्तन, पर्वत, गन्ना, तालाब।
– पानी – जल, मान, चमक, जीवन, लज्जा, वर्षा, स्वाभिमान।
– पुष्कर – तालाब, कमल, हाथी की सूँड, एक तीर्थ, पानी मद।
– पृष्ठ – पीठ, पीछे का भाग, पुस्तक का पेज।
– प्रत्यक्ष – आँखोँ के सामने, सीधा, साफ।
– प्रकृति – स्वभाव, वातावरण, मूलावस्था, कुदरत, धर्म, राज्य, खजाना, स्वामी, मित्र।
– कल – मशीन, आराम, सुख, पुर्जा, मधुर ध्वनि, शान्ति, बीता हुआ दिन, आने वाला दिन।
– कक्ष – काँख, कमरा, कछौटा, सूखी घास, सूर्य की कक्षा।
– कर्ता – स्वामी, करने वाला, बनाने वाला, ग्रन्थ निर्माता, ईश्वर, पहला कारक, परिवार का मुखिया।
– कलम – लेखनी, कूँची, पेड़-पौधोँ की हरी लकड़ी, कनपटी के बाल।
– कलि – कलड, दुःख, पाप, चार युगोँ मेँ चौथा युग।
– कशिपु – चटाई, बिछौना, तकिया, अन्न, वस्त्र, शंख।
– काल – समय, मृत्यु, यमराज, अकाल, मुहूर्त, अवसर, शिव, युग।
– काम – कार्य, नौकरी, सिलाई आदि धंधा, वासना, कामदेव, मतलब, कृति।
– किनारा – तट, सिरा, पार्श्व, हाशिया।
– कुल – वंश, जोड़, जाति, घर, गोत्र, सारा।
– कुशल – चतुर, सुखी, निपुण, सुरक्षित।
– कुंजर – हाथी, बाल।
– कूट – नीति, शिखर, श्रेणी, धनुष का सिरा।
– कोटि – करोड़, श्रेणी, धनुष का सिरा।
– कोष – खजाना, फूल का भीतरी भाग।
– क्षुद्र – नीच, कंजूस, छोटा, थोड़ा।
– खंड – टुकड़े करना, हिस्सोँ मेँ बाँटना, प्रत्याख्यान, विरोध।
– खग – पक्षी, बाण, देवता, चन्द्रमा, सूर्य, बादल।
– खर – गधा, तिनका, दुष्ट, एक राक्षस, तीक्ष्ण, धतूरा, दवा कूटने की खरल।
– खत – पत्र, लिखाई, कनपटी के बाल।
– खल – दुष्ट, चुगलखोर, खरल, तलछट, धतूरा।
– खेचर – पक्षी, देवता, ग्रह।
– गंदा – मैला, अश्लील, बुरा।
– गड – ओट, घेरा, टीला, अन्तर, खाई।
– गण – समूह, मनुष्य, भूतप्रेत, शिव के अनुचर, दूत, सेना।
– गति – चाल, हालत, मोक्ष, रफ्तार।
– गद्दी – छोटा गद्दा, महाजन की बैठकी, शिष्य परम्परा, सिँहासन।
– गहन – गहरा, घना, दुर्गम, जटिल।
– ग्रहण – लेना, सूर्य व चन्द ग्रहण।
– गुण – कौशल, शील, रस्सी, स्वभाव, विशेषता, हुनर, महत्त्व, तीन गुण (सत, तम व रज), प्रत्यंचा (धनुष की डोरी)।
– गुरु – शिक्षक, बड़ा, भारी, श्रेष्ठ, बृहस्पति, द्विमात्रिक अक्षर, पूज्य, आचार्य, अपने से बड़े।
– गौ – गाय, बैल, इन्द्रिय, भूमि, दिशा, बाण, वज्र, सरस्वती, आँख, स्वर्ग, सूर्य।
– घट – घड़ा, हृदय, कम, शरीर, कलश, कुंभ राशि।
– घर – मकान, कुल, कार्यालय, अंदर समाना।
– घन – बादल, भारी हथौड़ा, घना, छः सतही रेखागणितीय आकृति।
– घोड़ा – एक प्रसिद्ध चौपाया, बंदूक का खटका, शतरंज का एक मोहरा।
– अंक – संख्या के अंक, नाटक के अंक, गोद, अध्याय, परिच्छेद, चिह्न, भाग्य, स्थान, पत्रिका का नंबर।
– अंग – शरीर, शरीर का कोई अवयव, अंश, शाखा।
– अंचल – सिरा, प्रदेश, साड़ी का पल्लू।
– अंत – सिरा, समाप्ति, मृत्यु, भेद, रहस्य।
– अंबर – आकाश, वस्त्र, बादल, विशेष सुगन्धित द्रव जो जलाया जाता है।
– अक्षर – नष्ट न होने वाला, अ, आ आदि वर्ण, ईश्वर, शिव, मोक्ष, ब्रह्म, धर्म, गगन, सत्य, जीव।
– अर्क – सूर्य, आक का पौधा, औषधियोँ का रस, काढ़ा, इन्द्र, स्फटिक, शराब।
– अकाल – दुर्भिक्ष, अभाव, असमय।
– अज – ब्रह्मा, बकरा, शिव, मेष राशि, जिसका जन्म न हो (ईश्वर)।
– अर्थ – धन, ऐश्वर्य, प्रयोजन, कारण, मतलब, अभिप्रा, हेतु (लिए)।
– अक्ष – धुरी, आँख, सूर्य, सर्प, रथ, मण्डल, ज्ञान, पहिया, कील।
– अजीत – अजेय, विष्णु, शिव, बुद्ध, एक विषैला मूषक, जैनियोँ के दूसरे तीर्थँकर।
– अतिथि – मेहमान, साधु, यात्री, अपरिचित व्यक्ति, अग्नि।