“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

 

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers……….
An Initiative by: Kausik Chakraborty.

The Knowledge Library

Veerangana Jhalkari Bai’s birthday | वीरांगना झलकारी बाई जन्मदिवस 

Veerangana Jhalkari Bai’s birthday 

In the war for India’s independence in 1857, women along with men had given equal support shoulder to shoulder। At some places, British officers and policemen were surprised to see his bravery। One such brave woman was Jhalkari Bai, who left even men behind with her heroic actions।Jhalkari Bai Born November 22, 1830 Village Bhojla (Jhansi, U.Q.) It happened in। His father Moolchandra ji worked in the army। For this reason, the feeling of bravery and patriotism had an impact on the atmosphere of the house। The wars fought by the army, military tactics and victories were often discussed in the house। Moolchandra ji taught Jhalkari to use weapons since childhood। Along with this, Jhalkari also became proficient in tasks like climbing trees, swimming in rivers and jumping from heights।Once Jhalkari was cutting wood from the forest and bringing it, she encountered a ferocious leopard। Jhalkari completed the work of the leopard with one blow of the dagger and brought his dead body on her shoulder। This created noise in the village। Once the head of his village was surrounded by bandits on the way। Coincidentally Jhalkari also came there। She beat the bandits hard with the stick of her hand and caught them and brought them to the village। Jhalkari became the favorite daughter of the entire village, reflected in such heroic incidents।When Jhalkari became young, she was married to Puran Kori, an artilleryman in the Jhansi army। When Jhalkari went to seek blessings from Rani Lakshmibai, she saw his well-built body and weapons and admitted him to the Durga Dal। This work was in accordance with Jhalkari’s nature। When the English army was attempting to enter the fort to take control of Jhansi in 1857, Jhalkari quickly reached the queen’s palace and assisted her to safely leave the fort along with her adopted son।The excitement comes just by imagining the work that Jhalkari did for this। She herself wore Rani Lakshmibai’s jewelery and clothes etc. and made the queen wear the clothes of an ordinary woman। In this way the queen disguised herself and went out। On the other hand, Jhalkari Bai, disguised as a queen, attacked the British as Ranchandi।For a long time the officers of the British army remained confused। They wanted to arrest Rani Lakshmibai, dead or alive, at any cost; But Jhalkari, holding a sword in both her hands, was cutting her soldiers like carrots and radishes। It was not easy to lay hands on him। Then a traitor Dulhaj told General Huroz that the one whom he thought was Rani Lakshmibai was Jhalkari Bai, the heroine of Durga Dal।Hurroz was stunned to know this। His soldiers attacked together and captured Jhalkari। Jhalkari wanted the death of bravery rather than death by hanging। He signaled one of his friends, Veerbala। As soon as the signal was received, Veerbala ended his life। In this way Jhalkari Bai made both her life and death meaningful।

वीरांगना झलकारी बाई जन्मदिवस 

भारत की स्वाधीनता के लिए 1857 में हुए संग्राम में पुरुषों के साथ महिलाओं ने भी कन्धे से कन्धा मिलाकर बराबर का सहयोग दिया था। कहीं-कहीं तो उनकी वीरता को देखकर अंग्रेज अधिकारी एवं पुलिसकर्मी आश्चर्यचकित रह जाते थे। ऐसी ही एक वीरांगना थी झलकारी बाई, जिसने अपने वीरोचित कार्यों से पुरुषों को भी पीछे छोड़ दिया।झलकारी बाई का जन्म 22 नवम्बर, 1830 को ग्राम भोजला (झांसी, उ.प्र.) में हुआ था। उसके पिता मूलचन्द्र जी सेना में काम करते थे। इस कारण घर के वातावरण में शौर्य और देशभक्ति की भावना का प्रभाव था। घर में प्रायः सेना द्वारा लड़े गये युद्ध, सैन्य व्यूह और विजयों की चर्चा होती थी। मूलचन्द्र जी ने बचपन से ही झलकारी को अस्त्र-शस्त्रों का संचालन सिखाया। इसके साथ ही पेड़ों पर चढ़ने, नदियों में तैरने और ऊँचाई से छलांग लगाने जैसे कार्यों में भी झलकारी पारंगत हो गयी।एक बार झलकारी जंगल से लकड़ी काट कर ला रही थी, तो उसका सामना एक खूँखार चीते से हो गया। झलकारी ने कटार के एक वार से चीते का काम तमाम कर दिया और उसकी लाश कन्धे पर लादकर ले आयी। इससे गाँव में शोर मच गया। एक बार उसके गाँव के प्रधान जी को मार्ग में डाकुओं ने घेर लिया। संयोगवश झलकारी भी वहाँ आ गयी। उसने हाथ के डण्डे से डाकुओं की भरपूर ठुकाई की और उन्हें पकड़कर गाँव ले आयी। ऐसी वीरोचित घटनाओं से झलकारी पूरे गाँव की प्रिय बेटी बन गयी।जब झलकारी युवा हुई, तो उसका विवाह झाँसी की सेना में तोपची पूरन कोरी से हुआ। जब झलकारी रानी लक्ष्मीबाई से आशीर्वाद लेने गयी, तो उन्होंने उसके सुगठित शरीर और शस्त्राभ्यास को देखकर उसे दुर्गा दल में भरती कर लिया। यह कार्य झलकारी के स्वभाव के अनुरूप ही था। जब 1857 में अंग्रेजी सेना झांसी पर अधिकार करने के लिए किले में घुसने का प्रयास कर रही थी, तो झलकारी शीघ्रता से रानी के महल में पहुँची और उन्हें दत्तक पुत्र सहित सुरक्षित किले से बाहर जाने में सहायता दी।झलकारी ने इसके लिए जो काम किया, उसकी कल्पना मात्र से ही रोमांच हो आता है। उसने रानी लक्ष्मीबाई के गहने और वस्त्र आदि स्वयं पहन लिये और रानी को एक साधारण महिला के वस्त्र पहना दिये। इस प्रकार वेष बदलकर रानी बाहर निकल गयीं। दूसरी ओर रानी का वेष धारण कर झलकारी बाई रणचंडी बनकर अंग्रेजों पर टूट पड़ी।काफी समय तक अंग्रेज सेना के अधिकारी भ्रम में पड़े रहे। वे रानी लक्ष्मीबाई को जिन्दा या मुर्दा किसी भी कीमत पर गिरफ्तार करना चाहते थे; पर दोनों हाथों में तलवार लिये झलकारी उनके सैनिकों को गाजर मूली की तरह काट रही थी। उस पर हाथ डालना आसान नहीं था। तभी एक देशद्रोही दुल्हाज ने जनरल ह्यूरोज को बता दिया कि जिसे वे रानी लक्ष्मीबाई समझ रहे हैं, वह तो दुर्गा दल की नायिका झलकारी बाई है।यह जानकर ह्यूरोज दंग रह गया। उसके सैनिकों ने एक साथ धावा बोलकर झलकारी को पकड़ लिया। झलकारी फाँसी से मरने की बजाय वीरता की मृत्यु चाहती थी। उसने अपनी एक सखी वीरबाला को संकेत किया। संकेत मिलते ही वीरबाला ने उसकी जीवनलीला समाप्त कर दी। इस प्रकार झलकारी बाई ने अपने जीवन और मृत्यु, दोनों को सार्थक कर दिखाया।

 

Sign up to Receive Awesome Content in your Inbox, Frequently.

We don’t Spam!
Thank You for your Valuable Time

Share this post

error: Content is protected !!