“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers……….
An Initiative by: Kausik Chakraborty.

The Knowledge Library

श्री कृष्ण भगवान के अष्टोत्तर शतनाम | 108 Auspicious Names of Lord Sri Krishna

1. कृष्ण

   – इसका अर्थ है “काला” या “गहरा रंग,” और यह नाम भगवान के आकर्षक स्वरूप को दर्शाता है।

2. गोविंद

   – इसका अर्थ है “गायों के रक्षक” और यह भगवान की गोपालक लीला को दर्शाता है।

3. गोपाला

   – “गोप” का अर्थ है गाय, और “पाला” का अर्थ है पालन करने वाला। यह भगवान के गोपियों और गायों के साथ उनके संबंध को दर्शाता है।

4. माधव

   – यह नाम “लक्ष्मी का पति” को दर्शाता है और भगवान विष्णु के एक रूप के रूप में कृष्ण का संकेत करता है।

5. मुकुंद

   – मुकुंद का अर्थ है “मुक्ति देने वाला।” यह नाम भगवान की उस शक्ति को दर्शाता है जिससे वे भक्तों को मोक्ष प्रदान करते हैं।

6. केशव

   – इसका अर्थ है “लंबे, सुंदर बालों वाला,” और यह नाम भगवान के दिव्य स्वरूप को दर्शाता है।

7. मुरारी

   – “मुरा” नामक दैत्य का संहारक। यह भगवान कृष्ण की दुष्टों का नाश करने की शक्ति को दर्शाता है।

8. श्रीधर

   – इसका अर्थ है “लक्ष्मी (श्री) को धारण करने वाला।” यह नाम भगवान की संपत्ति और ऐश्वर्य को दर्शाता है।

9. दामोदर

   – “दम” का अर्थ है रस्सी और “उदर” का अर्थ है पेट। इस नाम से भगवान की बाल-लीला का संदर्भ मिलता है जब यशोदा ने उन्हें उखल से बांधा था।

10. वामन

   – भगवान विष्णु के वामन अवतार का नाम, जो एक ब्राह्मण के रूप में प्रकट हुए थे।

11. हरि

   – इसका अर्थ है “जो सभी दुःखों और पापों को हर लेता है।” यह नाम भगवान की करुणा को दर्शाता है।

12. अच्युत

   – इसका अर्थ है “जो कभी नहीं गिरता” या “अविनाशी।” भगवान की शाश्वतता का परिचायक।

13. अनन्त

   – इसका अर्थ है “असीमित” या “अनंत।” भगवान के अनंत गुणों का सूचक।

14. वासुदेव

   – “वासुदेव” का अर्थ है “वासुदेव के पुत्र”। यह नाम भगवान के माता-पिता और उनके जन्म की कहानी को दर्शाता है।

15. सत्यव्रत

   – इसका अर्थ है “सत्य के प्रति दृढ़ रहने वाला।” भगवान कृष्ण की सत्यप्रियता और धर्म के प्रति उनकी अटल निष्ठा को दर्शाता है।

16. जगदीश

   – “जगत” का अर्थ है संसार और “ईश” का अर्थ है स्वामी। यह नाम भगवान को जगत के स्वामी के रूप में दर्शाता है।

17. पार्थसारथी

   – “पार्थ” का अर्थ है अर्जुन और “सारथी” का अर्थ है रथ चालक। यह नाम भगवान कृष्ण के महाभारत युद्ध में अर्जुन के सारथी बनने को दर्शाता है।

18. जनार्दन

   – “जन” का अर्थ है लोग, और “अर्दन” का अर्थ है दुख को हरने वाला। यह नाम भगवान की उन पर कृपा को दर्शाता है जो उनका आश्रय लेते हैं।

19. हरिकेश

   – भगवान के सुन्दर केशों का उल्लेख करता है और उनका दिव्य स्वरूप दर्शाता है।

20. गिरिधर

   – “गिरि” का अर्थ है पर्वत और “धर” का अर्थ है धारण करने वाला। यह नाम भगवान कृष्ण की गोवर्धन पर्वत को उठाने वाली लीला का वर्णन करता है।

21. मधुसूदन

   – “मधु” नामक असुर का संहार करने वाला। यह नाम भगवान की दुष्टों का नाश करने की शक्ति को दर्शाता है।

22. योगेश्वर

   – इसका अर्थ है “योग के स्वामी।” भगवान की योग माया शक्ति का परिचायक।

23. नारायण

   – इसका अर्थ है “जो जल में निवास करता है” या “संपूर्ण ब्रह्मांड में निवास करने वाला।” यह भगवान के सर्वव्यापी रूप को दर्शाता है।

24. विष्णु

   – “विष्णु” का अर्थ है “व्यापक।” भगवान कृष्ण के व्यापक स्वरूप को दर्शाता है जो सम्पूर्ण ब्रह्मांड में व्याप्त है।

25. यदुनंदन

   – “यदु” वंश में जन्म लेने वाले। भगवान कृष्ण की यदुवंशीय परंपरा को दर्शाता है।

26. श्रीकृष्ण

   – “श्री” का अर्थ है लक्ष्मी और “कृष्ण” का अर्थ है भगवान का दिव्य नाम। यह नाम भगवान के सौंदर्य और दिव्यता का प्रतिनिधित्व करता है।

27. राधानाथ

   – “राधा” का स्वामी। यह नाम भगवान कृष्ण और राधा के प्रेम के प्रति सम्मान को दर्शाता है।

28. गोपीनाथ

   – “गोपियों के स्वामी।” यह नाम भगवान कृष्ण की गोपियों के साथ उनकी प्रेम लीलाओं का वर्णन करता है।

29. बालगोपाल

   – “बाल” का अर्थ है बच्चा और “गोपाल” का अर्थ है गायों का रक्षक। यह नाम भगवान की बाल लीलाओं को दर्शाता है।

30. कनैय्या

   – यह नाम भगवान कृष्ण के बचपन के प्यारे रूप का वर्णन करता है, जब वे कन्हैया के रूप में ब्रज में खेले थे।

31. गिरिवरधारी

   – गोवर्धन पर्वत को धारण करने वाले। यह नाम भगवान कृष्ण की लीला का वर्णन करता है जब उन्होंने गोवर्धन पर्वत को अपनी छोटी उंगली पर उठाया था।

32. कुंजबिहारी

   – “कुंज” का अर्थ है बगीचा और “बिहारी” का अर्थ है घूमने वाला। यह नाम भगवान की उन लीलाओं का वर्णन करता है जब वे वृन्दावन के बगीचों में गोपियों के साथ खेले थे।

33. नंदलाल

   – नंद बाबा के पुत्र। यह नाम भगवान कृष्ण की बाल लीलाओं का वर्णन करता है।

34. यशोदानंदन

   – यशोदा माता के पुत्र। यह नाम भगवान की बाल्यावस्था के समय की लीला को दर्शाता है।

35. बंसीधर

   – बांसुरी धारण करने वाला। यह नाम भगवान की मधुर बांसुरी वादन की लीला को दर्शाता है।

36. मुरलीधर

   – मुरली (बांसुरी) धारण करने वाला। भगवान कृष्ण के बांसुरी वादन का उल्लेख करता है।

37. प्रेमवल्लभ

   – प्रेम के प्रियतम। यह नाम भगवान कृष्ण की प्रेम लीलाओं को दर्शाता है।

38. श्रीकांत

   – लक्ष्मीपति। भगवान के ऐश्वर्य और सौंदर्य का परिचायक।

39. रासेश्वर

   – रासलीला के स्वामी। भगवान कृष्ण की रासलीला का उल्लेख करता है।

40. व्रजेश

   – व्रजभूमि के स्वामी। भगवान कृष्ण के व्रज में राजा स्वरूप को दर्शाता है।

41. व्रजविहारी

   – व्रजभूमि में विहार करने वाले। भगवान की व्रज की लीलाओं का परिचायक।

42. व्रजप्रिया

   – व्रजभूमि के प्रिय। भगवान कृष्ण के व्रजवासियों के प्रति प्रेम को दर्शाता है।

43. वत्सल

   – माता-पिता और भक्तों के प्रति करुणा दिखाने वाला। भगवान की प्रेमपूर्ण करुणा का प्रतीक।

44. चक्रधर

   – चक्र धारण करने वाला। यह नाम भगवान विष्णु के रूप को दर्शाता है, जिसमें वे सुदर्शन चक्र धारण करते हैं।

45. वसुदेवसुत

   – वसुदेव के पुत्र। भगवान के माता-पिता के प्रति उनके संबंध को दर्शाता है।

46. विष्णुरूप

   – भगवान कृष्ण के विष्णु रूप का उल्लेख करता है।

47. पद्मनाभ

   – भगवान के नाभि से प्रकट होने वाले कमल का उल्लेख करता है।

48. मदनमोहन

   – कामदेव को भी मोहित करने वाला। भगवान के अद्वितीय सौंदर्य का प्रतीक।

49. रुक्मिणीरमण

   – रुक्मिणी के प्रियतम। भगवान के प्रेम के रूप को दर्शाता है।

50. रामेश

   – राम के स्वामी। भगवान की विष्णु रूप में महत्ता को दर्शाता है।

51. हरिदास

   – हरि के सेवक। भगवान के प्रति भक्त की भक्ति का प्रतीक।

52. मानव

   – भगवान के मानव रूप का संकेत करता है।

53. यदुनाथ

   – यदु वंश के स्वामी। भगवान के वंश का उल्लेख करता है।

54. महाबाहु

   – बड़े भुजाओं वाला। भगवान की शक्ति का प्रतीक।

55. द्वारकाधीश

   – द्वारका के राजा। भगवान कृष्ण के द्वारका में शासन का वर्णन करता है।

56. सत्यभामापति

   – सत्यभामा के पति। भगवान के सत्य के प्रति प्रेम को दर्शाता है।

57. नरकांतक

   – नरकासुर का संहारक। भगवान की दुष्टों का नाश करने की शक्ति का प्रतीक।

58. विनायक

   – भगवान की अग्रणी शक्ति का प्रतीक।

59. रामप्रिय

   – राम के प्रिय। भगवान के सभी अवतारों का सम्मान करता है।

60. नित्यप्रिया

   – नित्य प्रिय। भगवान के भक्तों के प्रति प्रेम का प्रतीक।

61. रामानुज

   – राम के छोटे भाई। भगवान की विष्णु के रूप में महत्ता का प्रतीक।

62. गोपीवल्लभ

   – गोपियों के प्रियतम। भगवान कृष्ण की गोपियों के साथ प्रेम लीलाओं का वर्णन करता है।

63. कृष्णचंद्र

   – कृष्ण के रूप में चंद्रमा समान प्रिय। भगवान के सौंदर्य और प्रियता का वर्णन करता है।

64. अमृतधारा

   – अमृत की धारा। भगवान की अमृत रूपी कृपा का उल्लेख करता है।

65. पार्थिवराज

   – पार्थ (अर्जुन) के राजा। भगवान की महाभारत में भूमिका का उल्लेख करता है।

66. सुदर्शन

   – सुदर्शन चक्र धारण करने वाले। भगवान की रक्षा करने की शक्ति का प्रतीक।

67. वीर

   – वीरता का प्रतीक। भगवान की शक्ति और पराक्रम का उल्लेख करता है।

68. माधवप्रिय

   – माधव के प्रिय। भगवान के नाम और सौंदर्य का वर्णन करता है।

69. अच्युतप्रिय

   – अच्युत के प्रिय। भगवान की अचलता और प्रेम का प्रतीक।

70. विराट

   – विराट रूप। भगवान के विश्व रूप का उल्लेख करता है।

71. धर्मराज

   – धर्म के राजा। भगवान की धार्मिकता का प्रतीक।

72. धनंजय

   – धन का विजेता। भगवान की विजय और समृद्धि का प्रतीक।

73. श्रीवस्त्र

   – श्री के वस्त्र। भगवान की समृद्धि का प्रतीक।

74. वैकुंठनाथ

   – वैकुंठ के स्वामी। भगवान के वैकुंठ रूप का उल्लेख करता है।

75. योगेश्वर

   – योग के स्वामी। भगवान की योग माया शक्ति का प्रतीक।

76. गोकुलनाथ

   – गोकुल के स्वामी। भगवान के गोकुल में लीला का वर्णन करता है।

77. अलख

   – अलख का अर्थ है अचिन्हित। भगवान की अलखनीयता का प्रतीक।

78. अद्वैत

   – अद्वैत का अर्थ है “दूसरा न होने वाला।” भगवान की अद्वितीयता का प्रतीक।

79. निर्गुण

   – गुणों से परे। भगवान की निर्गुणता का प्रतीक।

80. व्रजराज

   – व्रज के राजा। भगवान के व्रज में राजा रूप का वर्णन करता है।

81. नंदकेश

   – नंद के केश। भगवान की बाल्यावस्था का प्रतीक।

82. रासबिहारी

   – रासलीला में विहार करने वाले। भगवान की रासलीला का वर्णन करता है।

83. व्रजविहारी

   – व्रज में विहार करने वाले। भगवान की व्रजलीला का उल्लेख करता है।

84. व्रजगोपाल

   – व्रज के गोपाल। भगवान की गोपियों के प्रति प्रेम का वर्णन करता है।

85. वत्सधारी

   – वत्स (गाय के बच्चे) को धारण करने वाले। भगवान के गोपालक रूप का उल्लेख करता है।

86. व्रजमोहन

   – व्रज में मोहने वाले। भगवान की मोहिनी रूप का वर्णन करता है।

87. व्रजप्रिया

   – व्रज के प्रिय। भगवान के व्रजवासियों के प्रति प्रेम का प्रतीक।

88. व्रजसुधा

   – व्रज की सुधा। भगवान की व्रजभूमि में मधुर लीला का वर्णन करता है।

89. व्रजविलास

   – व्रज में विलास करने वाले। भगवान की व्रजलीला का उल्लेख करता है।

90. व्रजव्रत

   – व्रज के व्रतधारी। भगवान की व्रजभूमि में भक्तों के प्रति समर्पण का वर्णन करता है।

91. व्रजरत्न

   – व्रज के रत्न। भगवान की व्रजभूमि में अनमोलता का प्रतीक।

92. व्रजवीर

   – व्रज के वीर। भगवान की व्रजभूमि में वीरता का उल्लेख करता है।

93. व्रजवल्लभ

   – व्रज के प्रिय। भगवान के व्रजवासियों के प्रति प्रेम का प्रतीक।

94. व्रजवंदन

   – व्रज में वंदित। भगवान की व्रजभूमि में सम्मान का प्रतीक।

95. व्रजवंशी

   – व्रज के वंशीधर। भगवान की बांसुरी का उल्लेख करता है।

96. व्रजरंजन

   – व्रज में रंजन करने वाले। भगवान की व्रजभूमि में सुख देने का उल्लेख करता है।

97. व्रजविलासिनी

   – व्रज में विलासिनी। भगवान की व्रजलीला का वर्णन करता है।

98. व्रजचंद्र

   – व्रज के चंद्रमा। भगवान की व्रजभूमि में चंद्रमा रूपी सौंदर्य का उल्लेख करता है।

99. व्रजबिहारी

   – व्रज में विहार करने वाले। भगवान की व्रजलीला का उल्लेख करता है।

100. व्रजधारी

   – व्रज को धारण करने वाले। भगवान की गोवर्धन लीला का उल्लेख करता है।

101. व्रजवासी

   – व्रज में निवास करने वाले। भगवान की व्रजभूमि में निवास का प्रतीक।

102. व्रजेश्वरी

   – व्रज की इश्वरी। भगवान की व्रजभूमि में अधिपति रूप का उल्लेख करता है।

103. व्रजव्रतधारी

   – व्रज के व्रतधारी। भगवान की व्रजभूमि में व्रतधारिता का उल्लेख करता है।

104. व्रजविहारी

   – व्रज में विहार करने वाले। भगवान की व्रजलीला का उल्लेख करता है।

105. व्रजवल्लभ

   – व्रज के प्रिय। भगवान की व्रजवासियों के प्रति प्रेम का उल्लेख करता है।

106. व्रजरत्न

   – व्रज के रत्न। भगवान की व्रजभूमि में अनमोलता का प्रतीक।

107. व्रजचंद्र

   – व्रज के चंद्रमा। भगवान की व्रजभूमि में चंद्रमा रूपी सौंदर्य का उल्लेख करता है।

108. व्रजवल्लभ

   – व्रज के प्रिय। भगवान के व्रजवासियों के प्रति प्रेम का उल्लेख करता है।

 

Sign up to Receive Awesome Content in your Inbox, Frequently.

We don’t Spam!
Thank You for your Valuable Time

Share this post

error: Content is protected !!