“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

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कामना पूरी न हो तो दुख और कामना पूरी हो जाये तो सुख , पर यदि कोई कामना ही न हो तो उससे बड़ा कोई आनंद  नहीं …

एक बार एक सेठ ने पंडित जी को अपने घर पर भोजन के लिए निमंत्रित किया , पर पंडित जी का एकादशी का व्रत था , इसलिए पंडित जी नहीं जा सके ।

 

लेकिन पंडित जी ने अपने दो शिष्यों को सेठ के यहाँ भोजन के लिए भेज दिया..।

 

जब दोनों शिष्य वापस लौटे तो उनमें एक शिष्य दुखी और दूसरा बेहद प्रसन्न था!

 

पंडित जी को देखकर आश्चर्य हुआ और उन्होंने पूछा….बेटा क्यो दुखी हो — क्या सेठ ने भोजन मे अंतर कर दिया ?

 

“नहीं गुरु जी”

 

क्या सेठ ने सम्मान देने में अंतर कर दिया ?

 

“नहीं गुरु जी”

 

क्या सेठ ने दान दक्षिणा में अंतर कर दिया ?

 

“नहीं गुरु जी ,बराबर दक्षिणा दी , 2 रुपये मुझे और 2 रुपये दूसरे को” ।

 

अब तो गुरु जी को और भी आश्चर्य हुआ । तब उन्होंने पूछा…..फिर क्या कारण है ? जो तुम दुखी हो ?

 

तब दुखी चेला बोला… गुरु जी , मै तो सोचता था सेठ बहुत बड़ा आदमी है , कम से कम 10 रुपये दक्षिणा देगा , पर उसने सिर्फ़ 2 रुपये दिये , इसलिए मै दुखी हूं !!

 

अब गुरु जी ने दूसरे से पूछा… तुम क्यो प्रसन्न हो ?

 

दूसरा बोला… गुरु जी ,मैं जानता था , सेठ बहुत कंजूस है आठ आने से ज्यादा दक्षिणा नहीं देगा , पर उसने 2 रुपए दे दिये , इसलिए मैं प्रसन्न हूं …!

……….

 

बस यही हमारे मन का हाल है । इस संसार में घटनाएं समान रूप से घटती है , पर कोई उन्हीं घटनाओं से सुख प्राप्त करता है तो कोई दुखी होता है , ये हमारे मन की स्थिति पर निर्भर है ।

 

कामना पूरी न हो तो दुख और कामना पूरी हो जाये तो सुख , पर यदि कोई कामना ही न हो तो उससे बड़ा कोई आनंद  नहीं …

 

शरीर में कोई सुन्दरता नहीं है !

सुन्दर होते हैं

व्यक्ति के कर्म,

उसके विचार,

उसकी वाणी,

उसका व्यवहार,

उसके  संस्कार,

और

उसका चरित्र !

जिसके जीवन में यह सब है , वही इंसान दुनिया का सबसे सुंदर व्यक्ति है..!!

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