“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers…

 

An Initiative by: Kausik Chakraborty.

“The Knowledge Library”

Knowledge for All, without Barriers……….
An Initiative by: Kausik Chakraborty.

The Knowledge Library

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ – जीवन परिचय, रचनाएँ और योगदान

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ – जीवन परिचय, रचनाएँ और योगदान

परिचय

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हिंदी साहित्य के प्रमुख कवियों में से एक थे। वे छायावादी कविता के चार स्तंभों में से एक माने जाते हैं। उन्होंने अपनी कविताओं में सामाजिक जागरूकता, विद्रोह, मानवता और करुणा को अभिव्यक्त किया। उनके साहित्य में राष्ट्रीय चेतना, शोषितों की पीड़ा और सांस्कृतिक गौरव का अद्भुत समन्वय देखने को मिलता है।


जन्म और प्रारंभिक जीवन

पूरा नाम: सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’

जन्म: 21 फरवरी 1896

जन्म स्थान: गढ़कोला, महुआ, उन्नाव, उत्तर प्रदेश

मृत्यु: 15 अक्टूबर 1961 (इलाहाबाद, उत्तर प्रदेश)

माता-पिता: पं. रामसहाय त्रिपाठी (पिता), माता का नाम अज्ञात

शिक्षा: उन्होंने औपचारिक शिक्षा बहुत अधिक नहीं ली, लेकिन वे स्वाध्याय के माध्यम से संस्कृत, हिंदी और बांग्ला भाषा में निपुण हो गए।


साहित्यिक योगदान

निराला जी ने हिंदी साहित्य में क्रांतिकारी परिवर्तन किए। वे छायावादी युग के प्रमुख स्तंभों में से एक थे, लेकिन उनकी कविताएँ सिर्फ रोमांस और प्रकृति तक सीमित नहीं थीं, बल्कि उन्होंने समाज के यथार्थ और विद्रोह को भी प्रस्तुत किया।

(क) कविता और काव्य रचनाएँ

जूही की कली

परिमल

अनामिका

गीतिका

आराधना

बेला

तुलसीदास

राम की शक्तिपूजा (सबसे प्रसिद्ध कविता)

(ख) उपन्यास

अप्सरा

अलका

प्रभावती

चोटी की पकड़

निरुपमा

कुल्ली भाट (आत्मकथात्मक उपन्यास)

(ग) कहानी संग्रह

चतुरी चमार

सुकुल की बीवी

लिली

(घ) निबंध और आलोचना

प्रबंध पद्म

रवींद्र कविता काण

भारतीय साहित्य के निर्माता


प्रमुख विशेषताएँ और लेखन शैली

छायावाद के प्रमुख कवि:

  • निराला जी छायावाद के चार प्रमुख कवियों (जयशंकर प्रसाद, सुमित्रानंदन पंत, महादेवी वर्मा और निराला) में से एक थे।
  • उनकी कविता में प्रकृति, भावुकता, और कल्पना के साथ-साथ यथार्थ का समावेश भी था।

स्वतंत्र छंद के प्रवर्तक:

  • उन्होंने हिंदी कविता को परंपरागत बंधनों से मुक्त किया और स्वतंत्र छंद को अपनाया।
  • उनकी कविता में लय, गेयता और भावनात्मक तीव्रता का सुंदर मिश्रण मिलता है।

सामाजिक और राजनीतिक चेतना:

  • निराला ने अपनी रचनाओं में समाज की कुरीतियों, शोषण और दमन के खिलाफ आवाज उठाई।
  • उनकी कविता “वह तोड़ती पत्थर” गरीब मजदूर वर्ग की दयनीय स्थिति को दर्शाती है।

राम-कृष्ण और भारतीय संस्कृति का महत्त्व:

  • उनकी कविता “राम की शक्तिपूजा” भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का श्रेष्ठ उदाहरण है।

प्रमुख कविताएँ और उनकी व्याख्या

(1) “राम की शक्तिपूजा”

यह कविता राम के चरित्र और शक्ति साधना को दर्शाती है।

इसमें बताया गया है कि किस तरह भगवान राम ने शक्ति की पूजा कर रावण पर विजय प्राप्त की।

यह कविता राष्ट्रवाद और भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाती है।

(2) “वह तोड़ती पत्थर”

यह कविता श्रमिक वर्ग की पीड़ा और संघर्ष को चित्रित करती है।

इसमें निराला ने एक गरीब महिला मजदूर के कठिन जीवन को मार्मिक रूप से प्रस्तुत किया है।

(3) “सरोज स्मृति”

यह उनकी व्यक्तिगत वेदना पर आधारित कविता है, जो उनकी पुत्री सरोज की मृत्यु पर लिखी गई थी।

इसमें पिता के रूप में उनकी पीड़ा और संवेदना का मार्मिक चित्रण किया गया है।


व्यक्तिगत जीवन और संघर्ष

निराला का जीवन संघर्षों से भरा रहा।

आर्थिक तंगी, पारिवारिक दुख, और मानसिक तनाव के बावजूद उन्होंने साहित्य सेवा जारी रखी।

उनकी पत्नी और बेटी की असमय मृत्यु ने उन्हें अत्यधिक प्रभावित किया।

उन्हें समाज से भी अपेक्षित सम्मान नहीं मिला, लेकिन वे कभी अपने सिद्धांतों से नहीं हटे।


मृत्यु और विरासत

मृत्यु: 15 अक्टूबर 1961 को इलाहाबाद में।

विरासत:

  • हिंदी साहित्य में उनका योगदान अमूल्य है।
  • उनके नाम पर कई पुरस्कार और संस्थान स्थापित किए गए हैं।
  • उनकी रचनाएँ आज भी साहित्य प्रेमियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ हिंदी साहित्य के उन महान रचनाकारों में से एक हैं जिन्होंने हिंदी कविता को नया आयाम दिया। उन्होंने अपनी कविताओं और रचनाओं के माध्यम से समाज में सुधार और जागरूकता लाने का प्रयास किया। वे केवल छायावाद तक सीमित नहीं रहे बल्कि उन्होंने अपने साहित्य में यथार्थवाद और समाज सुधार की भावना को भी उजागर किया। उनकी लेखनी आज भी प्रेरणादायक है और उन्हें हिंदी साहित्य में सदैव याद किया जाएगा।

“निराला केवल एक कवि नहीं, बल्कि हिंदी साहित्य की आत्मा थे।” 

 

सूर्यकांत त्रिपाठी ‘निराला’ – जीवन परिचय, रचनाएँ और योगदान

Sign up to Receive Awesome Content in your Inbox, Frequently.

We don’t Spam!
Thank You for your Valuable Time

Share this post

error: Content is protected !!